नई दिल्ली: पहली बार दस्तावेजों के हवाले से चीन पर बड़ा खुलासा हुआ है. पाकिस्तान की तर्ज पर चीन भी अब दोगली नीति पर उतर आया है और भारत में अपने स्पेशल एजेंट सहित दो लोगों को घुसपैठ कराने की साजिश रच रहा है. इस घुसपैठ का मकसद सीमा के साथ-साथ भारत के अंदरूनी हिस्सो मे अशांति फैलाना है.


हिंदी चीनी भाई-भाई का नारा देने वाला चीन अब भारत के साथ सीधे-सीधे धोखाधड़ी पर उतर आया है. एक तरफ लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) को लेकर भारत और चीनी सेना के कमांडरों के बीच बैठक हो रही है बैठक इसलिए भी हो रही है, क्योंकि इस बिंदु को लेकर दोनों देश के सैनिकों के बीच में हुई थी कड़ी जंग और इसमें चीन को खासा नुकसान उठाना पड़ा था. भारत के जवानों ने चीनी सैनिकों की गर्दन तोड़ दी थी और ऐसे में चीन को लग गया था कि वह भारत से आमने सामने की लड़ाई में सीधे तौर पर नहीं जीत पाएगा.


भारतीय खुफिया एजेंसियों के सूत्रों ने जानकारी दी है कि उनके सूत्रों से उन्हें पुख्ता सूचना मिली है कि चीन तिब्बती मूल के 2 लोगों को नेपाल के रास्ते भारत भेजने की तैयारी कर रहा है. इनमें से एक तिब्बती पीपुल्स आर्म्ड पुलिस यानी पीएपी का स्पेशल एजेंट है. पीएपी चीनी सेना का अभिन्न अंग माना जाता है और इन्हें एक साजिश के तहत भारत भेजा जा रहा है.


खुफिया एजेंसियों के दस्तावेज में साफ तौर पर बताया गया है कि चीनी खुफिया एजेंसी जिन लोगों को भारत भेज रही है, उनके नाम ताशी और दोरजी हैं, ताशी तिब्बत के तकत्से शहर का रहने वाला बताया गया है, जो बाद में ल्हासा शहर में जाकर बस गया था. इसके बाद वह पीपुल्स आर्मड पुलिस की सेकंड रेजीमेंट में भर्ती हुआ और साल 2017 में उसे स्पेशल ट्रेनिंग के लिए चेंगडू भेजा गया. विशेष प्रशिक्षण से वापस आने के बाद चीनी खुफिया एजेंसियों ने काशी की पोस्टिंग वापस तिब्बत में कर दी और एक साजिश के तहत उसे तिब्बत की जेल में राजनीतिक कैदी बनाकर भेजा गया, जहां उसका मकसद वहां, पहले से ही बंद जोर जी नाम के राजनीतिक कैदी से निकटता बढ़ाना था. दोरजी मूलत तिब्बत के तोरफी जिले का रहने वाला है और एक राजनीतिक कैदी के तौर पर तिब्बत की जेल में चीनी सेना ने उसे साल 2015 से बंद किया हुआ था.


खुफिया सूत्रों ने साफ तौर पर बताया कि इन दोनों को नवंबर 2019 में एक योजना के तहत जेल से रिहा कर दिया गया और इसके बाद अब इन्हें चीनी खुफिया एजेंसियां अपना हथियार बनाकर अपना निशाना साधने के लिए भारत भेज रही हैं.


दोरजी के अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में कुछ स्थानीय और प्रभावशाली लोगों से अच्छे संबंध बताए जाते हैं, सूत्रों के मुताबिक दोरजी के संबंधों का फायदा उठाकर चीनी सेना का स्पेशल एजेंट अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में अपना नेटवर्क खेलना चाहता है और इसके अलावा जहां-जहां भी मठ हैं, वहां भी चीनी जासूसों के नेटवर्क को फैलाना चाहता है यानी सीधे तौर पर अब चीन सीमा के साथ-साथ भारत के अंदरूनी इलाकों में भी अशांति फैलाने की कोशिश कर रह है.


खुफिया सूत्रों के मुताबिक अपनी इस साजिश के तहत एक तीर से दो निशाने करना चाहता है यानी एक तरफ जहां वह अपने नेटवर्क के जरिए भारत को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेगा वहीं दूसरी तरफ अगर तिब्बती नागरिक पकड़े भी जाते हैं, तो चीन सीधे तौर पर इन से अपना पल्ला यह कहकर झाड़ लेगा कि ये तिब्बती हैं और इनका चीन से कोई लेना देना नहीं है, जैसा कि पाकिस्तान अब तक आतंक के मामलों में करता आया है और आतंकवादी घटना होने पर वह पीओके के नागरिकों का कश्मीर संबंध कहकर अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश करता है.


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