हिमालयी सीमा से लगे विवादास्पद क्षेत्र में चीन ने अपने कई निर्माणों को ध्वस्त कर दिया है. साथ ही अपने वाहनों को भी इस क्षेत्र से हटा लिया है. बुधवार को जारी किए गए उपग्रह तस्वीरों में चीन की यह कार्रवाई सामने आई है. यह वही क्षेत्र है, जहां पिछली गर्मियों में चीनी और भारतीय सेना आमने-सामने आ गई थी. दरअसल, चीन ने पिछले सप्ताह ही घोषणा थी कि वह पैंगोंग क्षेत्र से अपने सैनिकों, टैंकों और अन्य उपकरणों को हटा लेगा. लद्दाख क्षेत्र में स्थित पैंगोंग झील का यह क्षेत्र लंबे समय से दोनों देशों के बीच सीमा विवाद का कारण रहा है.


मैक्सार टेक्नोलॉजीज द्वारा जारी उपग्रह चित्रों में देखा जा सकता है कि पैंगोंग के उत्तरी क्षेत्र में, जहां जनवरी के अंत तक चीन के सैनिक कैंप नजर आ रहे थे, उसे ध्वस्त कर दिया गया है. नाम नहीं छापने के शर्त पर एक भारतीय अधिकारी ने समाचार एजेंसी रायटर से कहा कि भारतीय सेना की ओर से भी ऐसे ही कदम उठाए गए हैं. भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में कहा था कि दोनों देशों ने आपसी सहमति से पैंगोंग क्षेत्र से अपने-अपने सैनिकों को पीछे हटाने के काम में जुटी हुई है.


पिछले साल अप्रैल में बढ़ा था तनाव


बता दें कि पिछले साल अप्रैल में इस क्षेत्र में दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने लगा था. भारत ने चीनी सैनिकों पर एलएसी को पार कर भारतीय क्षेत्र में घुसने का आरोप लगाया था. हालांकि चीन ने इन आरोपों को यह कहकर नकार दिया था कि वह अपने क्षेत्र में सैनिक गितिविधियां कर रहा है. लेकिन जून में यह टकराव तब बढ़ गया, जब लद्दाख के गलवान क्षेत्र में हुई एक हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक और अज्ञात संख्या में चीनी सैनिक मारे गए. 3500 किलोमीटर लंबी इस सीमा पर दशकों बाद दोनों देशों के सैनिकों के बीच इस तरह का झड़प हुआ था.


महत्वपूर्ण माना जा रहा चीन का यह कदम


राजनयिक और सैन्य वार्ता के बाद के कई दौरों के बावजूद भारत और चीन फरवरी तक इस मुद्दे पर समझौता करने में असमर्थ रहे. ऐसे में सैनिकों की वापसी का पहला चरण काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. एक भारतीय अधिकारी ने कहा कि अब जो कुछ हो रहा है, वह तनाव घटाने वाला है. खासतौर पर पैंगोंग के उत्तर और दक्षिण में, जहां दोनों की सेना आंख से आंख मिलाकर खड़ी थी, उन्होंने तनाव को कम करने के लिए कदम पीछे खींचकर यथास्थिति बनाने की ओर आगे बढ़ने के लिए मार्ग प्रशस्त किया है. हालांकि कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि वर्तमान में उठाया गया कदम लंबे समय से तैयार की जा रही प्रक्रिया का पहला स्टेप है.


पहले की स्थिति में वापसी की आवश्यकता


भारत के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन ने एक समाचार आउटलेट को बताया कि यह अभी भी पूरी तरह से समझौते के पास नहीं है. हमें बहुत अधिक की आवश्यकता है. हमें पिछले साल अप्रैल से पहले की स्थिति में वापसी की आवश्यकता है.