नई दिल्ली: आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद के चीफ और भारत के दुश्मन नंबर वन मसूद अजहर को आतंकी घोषित करने की भारत की कोशिश पर चीन एक बार फिर अड़ंगा लगा सकता है. चीन ने इस बात के संकेत भी दिए हैं, चीन को मसूद अजहर के केस में निष्पक्षता और इंसाफ के सिद्धांत का उल्लंघन दिखता है.
चौथी बार चीन लगाएगा अड़ंगा
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद मसूद अजहर के संगठन जैश ए मोहम्मद बैन पर बैन लगा चुका है लेकिन चीन को मसूद के केस में निष्पक्षता और इंसाफ के सिद्धांत का उल्लंघन दिखता है. करीब एक साल में ये चौथी बार होगा जब चीन भारत की मांग पर अड़ंगा लगा सकता है.
चीन कह रहा है और सबूत दे भारत
जुलाई में मसूद अजहर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकी घोषित करने की समीक्षा होनी है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 कमेटी प्रस्ताव की समीक्षा करेगी. इसी कमेटी ने ओसामा बिन लादेन को भी आतंकी घोषित किया था. चीन ने कहा है कि निष्पक्षता और इंसाफ के सिद्धांत कायम रहने चाहिए, आतंकी घोषित करने के लिए भारत से और सबूत चाहिए.
आखिर चीन क्यों दिखा रहा है 'दादागीरी'
दरअसल सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य होने के कारण चीन के पास वीटो अधिकार है. इसी अधिकार की आड़ लेकर चीन न तो मसूद अजहर को आतंकी मानता है, न ही आतंकी घोषित होने देता है.
मसूद अजहर पर बैन लगने से आखिर होगा क्या?
मसूद अजहर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने के लिए भारत दुनिया की सबसे बड़ी संस्था संयुक्त राष्ट्र में मुहिम चला रहा है. आतंकी घोषित होने से मसूद अजहर की संपत्ति जब्त होगी. विदेश यात्रा पर रोक लगेगी. पाकिस्तान में खुलेआम घूमना और भारत के खिलाफ जहर उगलना भी बंद हो जाएगा.
प्रधानमंत्री मोदी ट्रंप के सामने उठा सकते हैं मुद्दा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 26 जून को अमेरिका जाएंगे, आतंक के खिलाफ बोलने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात के दौरान वो मसूद अजहर को आतंकी घोषित करने का मुद्दा उठा सकते हैं.
क्यों मिल सकती है भारत को अमेरिका से मदद
इस मुलाकात से से पहले ट्रंप ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर ड्रोन हमले तेज करने का इशारा दिया है. ट्रंप ये साबित करने में जुटे हैं कि आतंकवाद पर वो केवल भाषण नहीं देते. सचमुच आतंक मुक्त विश्व में भारत के सच्चे साझीदार बन सकते हैं.
इसी का फायदा उठाते हुए भारत अमेरिका के सामने मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अंतर्राष्ट्रीय आतंकी घोषित करने की बात दोहरा सकता है. भारत का केस मसूद अजहर पर काफी मजबूत है. इसलिए बाकी देशों को भी इस पर कोई एतराज नहीं होगा.