China Infringing Indian Ocean: चीन की विस्तारवादी नीति हर दिन आक्रामक होती जा रही है. वह दुनिया के दूसरे देशों की भूमि पर कब्जा करने की मानसिकता के साथ काम कर रहा है, हाल ही में वह भारत की समुद्री सीमा पैठ बनाने के लिए भारत को उकसाने का काम कर रहा है.
इसी क्रम में उसने हिंद महासागर क्षेत्र में सामरिक महत्व के 19 ठिकानों का नाम बदलने की घोषणा की है. बीते हफ्ते 13 अप्रैल को हिंद महासागर में 19 सी-बेड सुविधाओं के मैंडरिन नाम जारी करने के बाद, चीनी के रिसर्च करने वाले जहाज भारत की समुद्री से कुछ दूरी पर हिंद महासागर क्षेत्र में काम कर रहे हैं, इसके पीछे की वजह है, ताकि आने वाले दिनों में वह अपनी पनडुब्बी या सैन्य जहाजों को तैनात कर सकें.
4 महीने तक हिंद महासागर में रहा चीनी पोत
13 अप्रैल को, चीनी अनुसंधान/सर्वेक्षण पोत हाई यांग शि यू 760 ने लगभग चार महीने तक हिंद महासागर में समुद्र तल का मानचित्रण करने के बाद मलक्का जलडमरूमध्य पार किया. समुद्री यातायात वेबसाइट के अनुसार, यह पोत सिंगापुर के तट से दूर है और बालिकप्पन के इंडोनेशियाई बंदरगाह पर आपूर्ति बहाल करने के बाद झांगजियांग के चीनी बंदरगाह की ओर जा रहा है.
पिछले एक दशक में, चीनी अनुसंधान पोत और रणनीतिक उपग्रह ट्रैकिंग जहाज हिंद महासागर क्षेत्र में लोम्बोक, इंडोनेशिया के ओम्बाई-वेटर जलडमरूमध्य के माध्यम से अफ्रीका के पूर्वी तटों तक पहुंचने के लिए एक वैकल्पिक समुद्री मार्ग बनाने की योजना पर काम कर रहा है लेकिन उसकी इस योजना में हिंद महासागर ही बाधा बन रहा है क्योंकि यह इलाका भारतीय सीमा में आता है. और अगर चीन इस सीमा में घुसने की कोशिश करता है तो उसको दक्षिण हिंद महासागर की तरफ से घुसना पड़ेगा.
जबकि चीनी पनडुब्बियां इस वैकल्पिक रास्ते के तैयार होने पर आसानी से आवाजाही कर सकेंगी और सिर्फ इतना ही नहीं वह भारत की समुद्री सीमा पर लगातार गश्त सीधी निगाह रख सकेंगी. भारत की चिंताओं का ही यह प्रमुख कारण है.
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