नई दिल्ली: सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत के मुताबिक चीन भले ही ताकतवर देश है लेकिन हम भी कमजोर नहीं हैं, भारत को चीन को संभालना आता है. थलसेना दिवस से पहले आज सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत राजधानी दिल्ली में सालाना प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित कर रहे थे.
जनरल रावत ने कहा कि ये बात भी सही है कि चीन एक उभरती हुई महाशक्ति है और उससे भारत की सेना अकेले नहीं निपट सकती है. इसके लिए सरकार और कूटनीति का सहारा भी लेना होगा. उन्होंने कहा कि चीन से हालांकि भारत को अकेले ही निपटना होगा लेकिन दूसरी देशों की सहायता ली जा सकती है. उन्होनें कहा कि हमारी कोशिश होनी चाहिए कि हमारे पड़ोसी देश चीन की झोली में ना चला जाएं.
एबीपी न्यूज के सवाल पर जनरल बिपिन रावत ने कहा कि हमें '62 के युद्ध के बारे में ज्यादा नहीं सोचना चाहिए क्योंकि चीन सीमा से सटे इलाके इस तरह के हैं जहां हम चीन से ज्यादा मजबूत स्थिति में हैं. उन्होनें कहा यही वजह है कि डोकलम विवाद के दौरान हमारे स्थानीय कमांडर्स को बेहद विश्वास था कि चीन के खिलाफ हमारा पलड़ा भारी है. जनरल रावत के मुताबिक, डोकलम विवाद के दौरान अगर युद्ध होता हो हमारी कोशिश होती कि वो वहीं तक सीमित रहे दूसरे इलाकों में ना फैले.
जनरल रावत ने चीन की चुनौती से निपटने के लिए सेना को और अधिक आधुनिक हथियारों से लैस होने की वकालत की. उन्होनें कहा कि जरूरी नहीं है कि भविष्य का युद्ध सीमाएं और सैनिकों के बीच लड़ा जाए. उन्होनें कहा कि हमें साइबर और इंफो-वॉरफेयर से भी जूझना पड़ सकता है.
पाकिस्तान की परमाणु हथियार की धमकी को सेना प्रमुख ने बकवास करते हुए कहा कि पाकिस्तान कभी भी हमारे साथ विवाद को नहीं बढ़ाएगा क्योंकि वो तो खुद 2003 की युद्धविराम संधि को पूरी तरह से लागू करने के लिए हमे संदेश भेजता है.
कश्मीर पर उन्होंने कहा कि अभी आतंकवाद खत्म नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि वहां के मदरसों पर नियंत्रण करना बेहद जरूरी है. साथ ही स्कूलों में भारत और जम्मू-कश्मीर के मैप्स को अलग-अलग दिखाना ठीक नहीं है.