नई दिल्ली: लद्दाख में पेंगोंग झील के करीब तापमान का पारा इन दिनों औसतन भले ही 10 डिग्री चल रहा हो, लेकिन भारत और चीन के बीच सैनिक तनाव की आंच लगातार बढ़ रही है. चीन की सैनिक ज़िद ने लद्दाख के शांत हिमालयी इलाके को वॉर ज़ोन में बदल दिया है. चीन के आक्रामक रवैये के कारण लद्दाखी पठार के इलाके में पहली बार इतना फौजी जमावड़ा और गोला-बारूद तैनात हुआ है. दोनों देशों के सैनिकों की संख्या को देखें तो जहां करीब एक लाख सैनिक तैनात हैं वहीं तोपें, टैंक, युद्धक विमान, मिसाइलें, कमांडो दस्ते लग चुके हैं.


बीते चार महीनों के दौरान पूर्वी लद्दाख के इलाके में तनाव घटाने के लिए हो रही वार्ताओं के बावजूद चीन ने अपने सैन्य जमावड़े को कम करने की बजाय बढ़ाया ही है. बीते दिनों 29/30 अगस्त की रात और 31 अगस्त को हुई भारतीय सेना की कार्रवाई ने चीन की रणनीति को तगड़ा झटका दिया. संख्य के बल पर सीमा के समीकरण बदलने की तैयारी कर रही पीएलए के लिए यह भौचक्का करने वाला था कि पेंगोंग झील इलाके की बिसात पर उसकी चालों को मात देते हुए पहले ही भारतीय सैनिक क़ई अहम पहाड़ियों की चोटी पर तैनात हो जाएंगे.


बीते कुछ दिनों के दौरान भारत और चीन के बीच चुशुल इलाके में दोनों देशों के बीच चल रही ब्रिगेडियर स्तर की वार्ताओं के बीच भी चीन ने सैनिकों की संख्या और हथियारों को बढ़ाने का सिलसिला जारी रखा. सैन्य सूत्रों के मुताबिक इलाके में लगातार चीन के सैनिक ट्रकों और इन्फेंट्री कॉम्बेट वाहनों के आने का सिलसिला जारी है. इसके अलावा निगरानी तंत्र से मिली जानकारी के मुताबिक वेस्टर्न थिएटर कमांड के कम्बाइंड कोर या CC76 और CC77 को भी आगे बढ़ाया है. इन्हें आक्रामक भूमिका के लिए जाना जाता है.


चीन के बढ़ते सैन्य जमावड़े की तस्दीक सेटेलाइट तस्वीरों और इलेक्ट्रॉनिक मॉनिटरिंग के साथ-साथ पहाड़ी चोटियों पर बैठे भारतीय सैनिकों की निशानदेही से भी हुई है. जाहिर तौर पर भारत ने भी चीन की सैन्य बढ़ोतरी से मुकाबले के लिए अपनी तैनाती में बराबरी का इजाफा किया है. चीन की किसी सम्भावित कार्रवाई को नाकाम करने के लिए भारत ने भी अपनी स्ट्राइक कोर के कुछ दस्तों को तैनात किया है.


एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी के मुताबिक चीन लद्दाख से सटे तिब्बत और शिनजियांग मिलिट्री रीजन से अपने अतिरिक्त सैनिकों को गतिरोध और तनाव वाले इलाकों में ला रहा है. उसने तोपें, टैंक, पीएलए रॉकेट फोर्स की कम्पनियां और बख्तरबंद दस्ते खासतौर पर पेंगोंग झील के करीब इलाकों में बीते कुछ दिनों में तैनात किए हैं. स्वाभाविक है, जवाबी कार्रवाई के लिहाज़ से भारत ने भी बराबरी के शस्त्रास्त्र और सैनिक उतार दिए हैं.


महत्वपूर्ण है कि बेहद मुश्किल हालात वाले लद्दाख के पहाड़ी इलाके में भारत के खिलाफ किसी भी आक्रामक कार्रवाई के लिए चीन को कम से कम चार गुना से अधिक सैनिकों की ज़रूरत होगी. ऐसे में भारत अपने दस्तों की रणनीतिक तैनाती में कोई कमी नहीं छोड़ रहा.


इतना ही नहीं चीन के साथ चल रहे तनाव में फौरन समाधान की उम्मीद धुंधली होने के कारण भारत ने लंबी तैनाती के लिए भी तैयारी कर ली है. बीते सप्ताह सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे का लद्दाख दौरा भारत की रणीतिक तैनातियों और तैयारियों की उच्च स्तरीय समीक्षा करने की ही एक क़वायद था. इस कड़ी में सेना प्रमुख ने न केवल कुछ अग्रिम इलाकों का दौरा किया, बल्कि आने वाली सर्दियों के लिहाज से वहां सैनिकों के लिए मौजूद सुविधाओं का भी खुद जायजा लिया.


भारत यह मानकर आपनी तैयारियों को मजबूत कर रहा है कि पेंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी सिरों पर मोर्चाबंद की गई पहाड़ी चोटियों को आने वाली सख्त सर्दियों में भी सैन्य तैनाती से लैस रखा जा सके. इसके लिए सप्लाई और कम्युनिकेशन लाइनें भी दुरुस्त कर ली गई हैं. क्योंकि इस बात की संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता कि लड़ाई का यह मोर्चा अभी लंबे वक्त तक गर्म रह सकता है.


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