चीनी खतरा भारत के लिए नया नहीं है. ये खतरा दशकों पुराना है. कई भारतीय राजनेता चीनी खतरे के बारे में भारत को आगाह भी कर चुके हैं. करीब दो दशक पहले मई 1998 में तत्कालीन एनडीए सरकार के रक्षामंत्री की हैसियत से समाजवादी पार्टी के नेता जॉर्ज फर्नांडीस ने चीन को भारत का दुश्मन नंबर एक करार दिया था.
करन थापर को दिए एक इंटरव्यू में जॉर्ज फर्नांडीस ने कहा था, "हमारे देशवासी सच्चाई का सामना करने से कतराते हैं और चीन के इरादों पर कोई सवाल नहीं उठाते. जिस तरह चीन पाकिस्तान को मिसाइलें दे रहा है, म्यांमार के सैनिक शासन को सैनिक मदद दे रहा है और भारत को जमीन व समुद्र के जरिए घेरने की कोशिश कर रहा है, उससे तो यही लगता है कि वो हमारा सबसे बड़ा दुश्मन नंबर 1 है."
जॉर्ज का यह बयान कई लोगों को रास नहीं आया था. उनके ही कई साथी मंत्रियों ने उनके इस बयान का विरोध किया था. उस समय भी कांग्रेस विपक्ष में थी उसे भी जॉर्ज का यह बयान नागवार गुजरा था.
चीन मुद्दे पर मुलायम सिंह ने थी सरकार की आलोचना
जॉर्ज फर्नांडिस की तरह पूर्व रक्षामंत्री मुलायम सिंह यादव भी चीन को भारत के लिए पाकिस्तान से बड़ा दुश्मन बता चुके हैं. साल 2017 में डोकलाम विवाद के बाद लोकसभा में मुलायम सिंह ने दो टूक कहा था कि भारत का सबसे बड़ा मुद्दा पाकिस्तान नहीं चीन है. उन्होंने पूर्व सरकार की आलोचना करते हुए ये भी कहा था कि तिब्बत को सौंपना भारत की बड़ी भूल थी.
मुलायम इससे पहले भी चीन को लेकर कई बार भारत को आगाह कर चुके हैं. 2013 में यूपीए सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे मुलायम सिंह ने आरोप लगाया था चीन के घुसपैठ करने पर भी सरकार कुछ नहीं कर रही है.
बीजेपी सांसद ने बताया चीन को भारत दुश्मन नंबर-1
बीजेपी सांसद राकेश सिन्हा ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को खत्म करने के बाद चीन की ओर से आई प्रतिक्रिया को खारिज कर दिया था और चीन को 'भारत का दुश्मन नंबर वन' बताया था. राकेश सिन्हा ने कहा था कि चीन विस्तारवादी देश है, वो भारत का अच्छा दोस्त कभी नहीं हो सकता.
2019 अगस्त में सिन्हा ने बीबीसी को दिए इंटरव्यू में कहा था, "चीन अरुणाचल पर भी दावा कर रहा है, सिक्किम पर भी दावा कर रहा है. अगर चीन के विस्तारवाद को हम मानेंगे तो भारत के कई हिस्सों को सुपुर्द कर देना पड़ेगा."
राम मनोहर लोहिया ने उठाया था सबसे पहले चीनी मुद्दा
ऐसा माना जाता है कि चीन ने 1962 में जब तिब्बत पर कब्जा किया था, तभी से ही भारत के लिए खतरा बना हुआ है. ये मुद्दा डॉ. राम मनोहर लोहिया ने सबसे पहले उठाया था. तिब्बत जब तक आजाद देश था, तब तक चीन और भारत के बीच कोई सीमा विवाद नहीं था, क्योंकि तब भारतीय सीमाएं सिर्फ तिब्बत से मिलती थीं. देश को सबसे पहले इस खतरे की चेतावनी डॉ. राममनोहर लोहिया ने दी थी.
डॉ. लोहिया के जमाने से ही समाजवादी ये मानते हैं कि चीन भारत का बड़ा दुश्मन है. क्योंकि 1962 में पहले चीन ने भारत की जमीन पर कब्जा किया, फिर तिब्बत पर कब्जा किया. इसलिए चीन भारतीय सीमाओं के लिए खतरा है.
1967 के बाद भारत-चीन के बीच बड़ी झड़प
भारत और चीन के बीच साल 1967 में नाथू ला में झड़प के बाद 15/16 जून की रात सबसे बड़ा टकराव हुआ है. पूर्वी लद्दाख में सोमवार रात गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में भारतीय सेना के एक कर्नल सहित 20 सैनिक शहीद हो गए. पिछले पांच दशक से भी ज्यादा समय में सबसे बड़े सैन्य टकराव के कारण क्षेत्र में सीमा पर पहले से जारी गतिरोध और भड़क गया है.
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