नई दिल्ली: नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा भारत के दौरे पर हैं. आज वो प्रधानमंत्री मोदी से मिले, दोनों देशों के बीच कई समझौते भी हुए. मोदी और देउबा ने दोनों देशों के रिश्तों को और आगे ले जाने का संकल्प लिया.
भारत और नेपाल के प्रधानमंत्रियों की इस मुलाकात पर चीन कुछ ज्यादा ही परेशान हो गया है. भारत और नेपाल की येदोस्ती उसे चुभ रही है. चीन के सरकारी अखबार ने कहा है कि भारत खुद कमजोर और दूसरों की मदद करने चला है.
अखबार ने लिखा, ''चीन चाहता तो नेपाल को और अधिक मदद देकर भारत को दरकिनार कर सकता था लेकिन वो भारत से नेपाल को मिल रही आर्थिक मदद पर कोई लड़ाई नहीं छेड़ना चाहता. अगर भारत नेपाल में बढ़ रहे चीन के प्रभाव का सामना करने के लिए ये मदद कर रहा है तो करे, क्योंकि इससे नेपाल 2015 में आए विनाशकारी भूकंप से उबर सकेगा. ये सबको पता है कि नेपाल और चीन के बीच अच्छे संबंध बन चुके हैं लेकिन लगता है कि नेपाल भारत के साथ भी रणनीतिक महत्व बनाए रखना चाहता है. ऐसे में भारत और चीन के बीच सैंडविच बने नेपाल के लिए ये मदद आर्थिक विकास के अनुकूल ही होगी.'' ग्लोबल टाइम्स में भारत-नेपाल रिश्तों का मजाक बनाते हुए कहा गया है कि भारत खुद आर्थिक रूप से कमजोर है और दूसरे की मदद करने को चला है.
चीन बरसों से इसी कोशिश में है कि भारत के पड़ोसियों को उसके खिलाफ इस्तेमाल किया जाए. पाकिस्तान में चीन ने अरबों रुपयों का निवेश किया हुआ और अब वो नेपाल को अपना हथियार बना रहा है. नेपाल में चीन लगातार निवेश बढ़ा रहा है. साल 2000 से 2006 तक नेपाल में चीन का निवेश बेहद मामूली था. 2008 के बाद चीन ने नेपाल में निवेश बढ़ाना शुरू किया. साल 2015-16 में नेपाल में सबसे ज्यादा 42 फीसदी विदेशी निवेश चीन का था. इस साल मार्च तक चीन नेपाल में 51 हजार करोड़ रुपये निवेश कर चुका था. जबकि भारत का इस साल नेपाल में कुल निवेश करीब 2 हजार करोड़ रुपये का है. चीन का निवेश नेपाल में खास तौर पर नदी और बांध परियोजनाओं, हवाईअड्डों और हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट में है.
दरअसल चीन चाहता है कि नेपाल सिर्फ उसकी सुने जो चीन चाहे वो करे लेकिन नेपाल ने ऐसा नहीं किया. आज नेपाल के प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मोदी ने भी कहा कि दोनों देशों के रिश्ते हिमालय की तरह पुराने और ऊंचे हैं.
नेपाल को अपनी तरफ करने के लिए चीन वहां काफी पैसा खर्च कर रहा है लेकिन भारत ने भी आज साफ कहा कि वो नेपाल के हर सुख दुख में साथ है. दोनों प्रधानमंत्रियों में से किसी ने चीन का नाम नहीं लिया लेकिन संदेश उसी के लिए है कि इस दोस्ती के बीच कोई नहीं आ सकता.
वैसे आज भारत और नेपाल के बीच कई बड़े समझौते हुए. भारत नेपाल में भूकंप से तबाह हुए 50 हजार घर बनाने में मदद करेगा. वहां के शिक्षा क्षेत्र में आर्थिक मदद देगा. साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने में भी नेपाल को पैसे देगा. इसके अलावा ब्रिज बनाने और ड्रग्स तस्करी को रोकने के लिए भी एमओयू पर साइन हुए.