भारत-चीन के बीच कमांडर स्तर की पांचवीं बैठक आज, फिंगर एरिया-देपसांग से पीछे नहीं हटे चीनी सैनिक
दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव कम करने के लिए इससे पहले चार बार बातचीत हो चुकी है. इससे पहले अंतिम बैठक 14 जुलाई को हुई थी.लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की पहली बातचीत 6 जून को हुई थी. इस दौरान दोनों पक्ष गलवान घाटी से शुरूआत करते हुए टकराव के सभी स्थानों से धीरे-धीरे पीछे हटने पर राजी हुए थे.
नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच महीनों से चल रहा सीमा विवाद अभी भी जारी है. आज दोनों देशों के बीच कमांडर स्तर की पांचवीं बैठक होगी. इस बैठक में भारत पूर्वी लद्दाख के फिंगर एरिया और देपसांग में चीनी सैनिकों की मौजूदगी का विरोध करेगा. पिछली बैठक में दोनों पक्षों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चरणबद्ध तरीके से सेनाओं के पीछे हटाने को लेकर बातचीत की थी.
14 जुलाई को हुई थी आखिरी बातचीत
दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव कम करने के लिए इससे पहले चार बार बातचीत हो चुकी है. इससे पहले अंतिम बैठक 14 जुलाई को हुई थी. कोर कमांडर स्तर की इस चौथी बातचीत में एलएसी के पास गतिरोध को कम करने और सैनिकों को पीछे हटाने पर बातचीत हुई थी.
वहीं, 30 जून को हुई तीसरी बैठक में में दोनों पक्ष गतिरोध दूर करने के लिए प्राथमिकता के साथ जल्द, चरणबद्ध और क्रमिक तरीके से तनाव घटाने पर सहमत हुए थे. वहीं दूसरे दौरे की बातचीत 22 जून को हुई थी. लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की पहली बातचीत 6 जून को हुई थी. इस दौरान दोनों पक्ष गलवान घाटी से शुरूआत करते हुए टकराव के सभी स्थानों से धीरे-धीरे पीछे हटने पर राजी हुए थे.
अजीत डोवाल से भी हुई थी बातचीत
बता दें कि हाल ही में पूर्वी लद्दाख के तमाम इलाकों में सैन्य मौजूदगी कम करने को लेकर भारत के एनएसए अजीत डोवाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच लंबी बातचीत हुई थी. इस बातचीत में पूर्वी लद्दाख में तनाव कम करने पर पूरी सहमति बनी थी.
गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद से बढ़ा गतिरोध
बता दें कि गलवान घाटी में 15 जून की रात को भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. इसमें एक कर्नल समेत भारत के 20 जवान शहीद हुए थे. इसके साथ ही खबर आई थी कि इस झड़प में चीन के भी करीब 40 जवान हताहत हुए थे. हालांकि, चीन ने अपने सैनिकों के मारे जाने की खबर से इनकार कर रहा था. वहीं, भारत ने बिना किसी हिचकिचाहट के अपने सैनिकों की शहादत की खबर को स्वीकार किया था. इस खूनी झड़प के बाद से ही सीमा पर गतिरोध बढ़ गया था.
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