बीजिंग: चीन ने अपने सभी जहाजों को किसी भी देश की समुद्री-सीमाओं में घुसने से पहले उस देश से इजाजत लेने का आदेश दिया है. ये आदेश हाल ही में भारतीय नौसेना द्वारा चीन के एक रिसर्च-वैसेल को अंडमान निकोबार से बाहर निकालने के बाद दिया गया है. ये नोटिस चीन के विदेश मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर चस्पा किया है. मंगलवार को जारी किए गए इस नोटिस में साफ तौर से कहा गया है कि चीन का कोई भी संस्थान अगर कोई जहाज रिसर्च या किसी दूसरे कारणों से किसी देश में भेजता है तो उसके लिए चीन के विदेश मंत्रालय से मंजूरी लेनी होगी. चीन का विदेश मंत्रालय उस संबंधित देश से जरूरी इजाजत लेगा.


नोटिस के मुताबिक, चीन की सभी जहाजों को संयुक्त राष्ट्र के 'कंवेनशन ऑन द लॉ ऑफ सी' यानि समंदर में परिगमन से जुड़े नियमों को मानना होगा. ये मंजूरी खासतौर से दूसरे देश के ईईजेड यानि एक्सक्लुजिव इकोनोमिक जोन में दाखिल होने के लिए लिया जायेगा. किसी भी देश का ईईजे़ड उस देश के समुद्री-तट से समंदर में करीब 200 नॉटिकल-मील होता है (करीब करीब 370 किलोमीटर तक).


भारत के विरोध के बाद माना चीन 


सूत्रों की मानें तो चीन ने ये नोटिस भारत के नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह के उस बयान के बाद दिया है जिसमें उन्होनें चीन का जिक्र करते हुए कहा था कि किसी भी देश के जहाज को भारत की समुद्री-सीमाओं में दाखिल होने के लिए भारतीय नौसेना से जरूरी इजाजत लेन के लिए कहा था.


दरअसल, सितबंर के महीने में चीन का एक रिसर्च वैसेल, शियान-1 (वन) भारत की समुद्री सीमाओं में अनुसंधान करने के इरादे से अंडमान निकोबार तक पहुंच गया था. लेकिन जब ये चीनी जहाज पोर्ट ब्लेयर के करीब पहुंचा तो भारतीय नौसेना के टोही विमान, पी8आई ने उसे देख लिया और उसके बाद भारतीय नौसेना ने चीनी जहाज को भारत की सीमाओं से बाहर भेज दिया था.



भारतीय नौसेना ने दिया था सख्त बयान 


एडमिरल करमबीर सिंह के मुताबिक, चीन के ये जहाज समुद्री में डीप-सी माईनिंग (गहरी खुदाई), ओसियेनोग्राफी और साईंटेफिक रिसर्च के लिए हिंद महासागर में आते रहते हैं. लेकिन नौसेना प्रमुख ने साफ कर दिया है कि भारत के ईईजेड में दाखिल होने के लिए पहले भारतीय नौसेना से जरूरी इजाजत लेनी होगी, उसके बाद ही किसी दूसरे देश का जहाज या युद्धपोत भारत की समुद्री-सीमाओं में दाखिल हो सकेगा.


जानकारों की मानें तो, चीन के ये जहाज हिंद महासागर में इस तरह की रिसर्च के जरिए भारत के समुद्री सीमाओं की गहराई और दूसरी जानकारी इकठ्ठा कर सकते हैं जो युद्ध के समय में किसी भी देश की नौसेना के लिए अहम जानकारी हो सकती है.


चीन की इन्हीं हरकतों को देखते हुए ही भारत ने अगले साल मार्च में होने वाली मल्टीनेशनल एक्सरसाइज, मिलन में चीन की नौसेना को आमंत्रित नहीं किया है. अमेरिका, रूस, इजरायल, फ्रांस, आस्ट्रेलिया, सऊदी अरब, यूएई, जिबूती, मोजम्बिक जैसे कुल 41 देश इस युद्धभ्यास में हिस्सा ले रहे हैं. एडमिरल करमबीर सिंह के मुताबिक, इस एक्सरसाइज के लिए 'लाइक-माईडेंड' नौसेनाओं को ही आमंत्रित किया गया है. सूत्रों के मुताबिक, मिलन एक्सरसाइज में चीनी नौसेना को बुलाकर भारत किसी भी तरह से चीन की मौजूदगी को वैधता नहीं देना चाहता है.


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