चीन के लोन एप के माध्यम से लोगों के साथ ठगी और जबरन वसूली करने के मामले में दिल्ली पुलिस की आईएफएसओ यूनिट और स्पेशल सेल ने दो और गिरफ्तारी की हैं. ये दोनों ही खुद को मैनेजर के तौर पर दर्शाया करते थे और रिकवरी के लिए किस तरीके से, किस को, कैसे परेशान करना है ये सारी प्लानिंग इन दोनों की ही रहती थी. इतना ही नहीं पुलिस का ये भी दावा है कि इन दोनों आरोपियों का सीधा संपर्क चीन में बैठे एप के मुख्य संचालन कर्ताओं से था और उन्हीं के इशारे पर पूरा गिरोह काम करता था. आरोपियों के नाम हरप्रीत सिंह और पंकज है.


डीसीपी केपीएस मल्होत्रा ने बताया कि हरप्रीत और पंकज ने अपने ठिकाने हरिद्वार में बनाये हुए थे. इन दोनों ने खुलासा किया कि ये लोग चीन में बैठे अपने आका अकीरा और एमी के लिए काम करते हैं. पुलिस को हरप्रीत और पंकज का सुराग दीपक कुमार और सुमित से मिला था, जिन्हें इसी मामले में पहले गिरफ्तार किया जा चुका है.


रविवार को ही आईएफएसओ यूनिट ने ये जानकारी दी थी कि चीनी एप से ठगी और जबरन वसूली के आरोप में 8 भारतीयों को गिरफ्तार किया गया है. ये गैंग लोन लेने वालों को बदनाम करने के नाम पर डराते धमकाते थे. पुलिस को इस गैंग के चीनी मास्टरमाइंड का भी पता चल चुका है, जो चीन में बैठे हैं. पुलिस का दावा है कि भारत में चीनी गैंग के लिए काम करने वाले ये आरोपी क्रिप्टो करेंसी के माध्यम से अपने चीनी आका को रकम पहुंचाया करते थे. 


इस गैंग की मोड्स ओपरेंडी ये है कि एप के माध्यम से लोन दिया जाता है, जो छोटी रकम का होता है, लेकिन उसके बदले में कई गुना रुपया वसूला जाता है. जो लोग रकम नहीं चुका पाते हैं या फिर लोन की रकम से ज्यादा पैसा देने से मना करते हैं तो उनके फोटो को मॉर्फ़ कर के अश्लील बनाया जाता था. फिर उनके रिश्तेदारों को भी फोन करके परेशान किया जाता था. पुलिस ने यह भी दावा किया है कि हमारे कई भारतीय नागरिकों के पर्सनल डाटा चीन तक पहुंच चुका है. ये सब चीनी लोन एप की वजह से हुआ है.


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