गलवान में हमारे वीर जवानों की शहादत के करीब आठ महीने बाद चीन ने पहली बार सबसे बड़ा कबूलनामा सामने आया है. चीन ने पहली बार कबूल किया है कि जून में गलवान में हुई झड़प में उसके चार सैनिक मारे गए थे. इन सभी सैनिकों को चीन ने अपने यहां हीरो का दर्जा दिया था. अब तक चीन ने अपने सैनिकों के मारे जाने को लेकर चुप्पी साध रखी थी.
अब पहली बार चीन ने अपने चार सैनिकों के मारे जाने की बात कबूल की है. हालांकि ऐसा माना जा रहा है कि चीन यहां भी धोखा कर रहा है और अपने मारे गए सैनिकों की असली संख्या छिपा रहा है. हालांकि, सीजीटीएन ने गलवान का नाम नहीं लिया है और कहा है कि जून के महीने में एक सीमा विवाद में ये क्षति हुई है. लेकिन ग्लोबल टाइम्स ने साफ लिखा है कि गलवान घाटी की हिंसा में ये हानि हुई है.
भारत और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया का मानना है कि चीन के कम से कम 45 सैनिक गलवाव घाटी की हिंसा में मारे गए थे. चीन की सेंट्रल मिलिट्री कमीशन (सीएमसी) ने ये सम्मान पीएलए सैनिकों को दिया है. चीन के राष्ट्रपति, शी जिनपिंग सीएमसी के चैयरमैन हैं.
गलवान घाटी की हिंसक झड़प
भारतीय सेना और चीन के बीच जून 2020 गलवान घाटी में हुई झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे. हालांकि इस झड़प में कोई गोली नहीं चली थी लेकिन संघर्ष इतना खूनी था कि भारत को अपने 20 अनमोल सैनिकों की शहादत सहनी पड़ी. चीन के भी 45 सैनिकों के हताहत होने की खबर आई थी. लेकिन चीन की तरफ से इस बारे में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया था.
6 जून को चीन और भारत के बीच मेजर जनरल रैंक लेवल की बातचीत हुई थी जिसमें सीमा पर शांति बनाए रखने और यथास्थिति बनाए रखने पर सहमति बनी थी. 15 जून की रात गलवान घाटी में कर्नल बाबू ने चीन के सैनिकों को उनकी सीमा में और पीछे जाने को कहा लेकिन उनके शांतिपूर्ण तरीके से बात करने के बावजूद चीन के सैनिकों ने बहस शुरू कर दी. इसके बाद भारतीय सेना और चीन के सैनिकों के बीच टकराव शुरू हो गया जिसमें चीन के सैनिकों ने भारतीय दल पर डंडों, पत्थरों और नुकीली चीजों से हमला कर दिया. इस टकराव में कर्नल संतोष बाबू, हवलदार पालानी और सिपाही कुंदन झा समेत 20 सैनिक घायल हो गए. यह टकराव करीब 3 घंटे तक चला था.
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