बीजिंग: चीन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अरुणाचल प्रदेश दौरे का ‘कड़ा विरोध’ किया है. अरुणाचल को चीन दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा मानता है. चीन ने कहा कि वो भारत के साथ डिप्लोमैटिक प्रोटेस्ट दर्ज कराएगा. मोदी के आज अरुणाचल दौरे की खबरों के बारे में पूछने पर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुयांग ने कहा, ‘‘चीन-भारत सीमा के सवाल पर चीन का रुख साफ है.’’


सरकारी न्यूज़ एजेंसी शिन्हुआ ने गेंग के हवाले से खबर दी, ‘‘चीन की सरकार ने कभी भी अरुणाचल प्रदेश को (भारत के हिस्से के तौर पर) मान्यता नहीं दी और वो भारतीय नेताओं के इस इलाके के दौरों का पूरी तरह विरोध करता है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम भारतीय पक्ष के सामने कड़ा विरोध दर्ज कराएंगे.’’ गेंग ने कहा कि विवादों का सही तरीके से मैनेजमेंट करने के लिए भारत और चीन के बीच आम सहमति है, दोनों पक्षों के बीच बातचीत और विचार-विमर्श के जरिये जमीन विवाद सुलझाने पर काम कर रहे हैं.


गेंग ने कहा, ‘‘चीनी पक्ष भारतीय पक्ष से आग्रह करता है कि इसकी प्रतिबद्धताओं का सम्मान करें और आम सहमति का पालन करें. साथ ही ऐसा कोई काम करने से बचे जिससे सीमा विवाद और जटिल हो जाए.’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारत और चीन के बीच 'अवैध' मैकमोहन लाइन और परंपरागत सीमा के बीच स्थित ये तीन इलाके हमेशा से चीन का हिस्सा रहे हैं.’’ उन्होंने कहा कि ब्रिटेन ने 1914 में मैकमोहन लाइन खींच इन इलाकों को भारतीय क्षेत्र में शामिल करने की कोशिश की थी.


आपको बता दें कि चीन अरुणाचल प्रदेश में भारतीय नेताओं के दौरे का नियमित रूप से विरोध करता है और राज्य पर अपना दावा करता है. भारत और चीन के बीच 3488 किलोमीटर विवादित क्षेत्र है. दोनों पक्षों के बीच मुद्दे के समाधान के लिए 20 दौर की वार्ता हो चुकी है.