नई दिल्ली: भारत की शिपिंग इंडस्ट्री में चीन के वर्चस्व को कम करने के लिए भारत सरकार ने एक बड़ा फ़ैसला लिया है. शिपिंग मंत्रालय ने आदेश दे कर ये एलान किया है कि अब देश के प्रमुख बंदरगाहों पर सिर्फ़ मेक इन इंडिया के तहत बने भारतीय टग बोट का ही इस्तेमाल किया जाएगा. केंद्रीय शिपिंग मिनिस्टर मनसुख लाल मंडाविया ने एबीपी न्यूज़ से हुई एक ख़ास बात-चीत में कहा कि इस फ़ैसले से भारतीय शिपिंग इंडस्ट्री में दूरगामी परिणाम देखने को मिलेंगे.
क्या होगा टग बोट पर फ़ैसले का असर
भारतीय टग बोट के बाज़ार पर क़रीब 80% क़ब्ज़ा चीन का है. शिपिंग मंत्रालय के इस फ़ैसले से अब टग बोट का बाज़ार न सिर्फ़ पूरी तरह भारतीय उद्यमियों के हाथ में आ जाएगा बल्कि विश्व टग बोट बाज़ार में भी भारत की ताक़त बढ़ेगी.
क्या होती है टग बोट?
टग बोट देखने में शिप जैसी ही विशालकाय और अत्यधिक क्षमता वाली बोट होती है. टग बोट का इस्तेमाल शिप को ज़रूरत के अनुसार खींचने के लिए किया जाता है. टग बोट माल से लदे हुए किसी भी बड़े से बड़े समुद्री जहाज़ को मुसीबत की घड़ी में खींच कर ठिकाने पे लगा सकने की क्षमता रखती है. जब शिप किसी संकरे कैनाल में होती है, छिछले पानी में होती है, ख़राब हो जाती है ऐसे समय में टग बोट शिप को खींचती है. इसके अलावा अन्य अनेकों काम में टग बोट का इस्तेमाल किया जाता है. भारत के सरकारी बंदरगाहों पर टग बोट की विशेष माँग रहती है.
भारत में कितना बड़ा बाज़ार है टग बोट का
एक टग बोट की कीमत 50 करोड़ रूपए से 80 करोड़ रूपए के बीच होती है. भारत में इस वक़्त क़रीब 800 टग बोट हैं. और हर साल क़रीब 20 नई टग बोट की ज़रूरत पड़ती है. एक टग बोट की औसत उम्र 20 साल होती है. बहुत सी मौजूदा टग बोट की उम्र पूरी हो जाने के कारण आने वाले तीन सालों में क़रीब 100 टग बोट की डिमांड होने वाली है. इस तरह देखा जाय तो भारत ख़ुद में ही टग बोट का एक बड़ा बाज़ार है. मौजूदा समय में इस बाज़ार पर भी चीन का क़ब्ज़ा है. भारतीय टग बोट बाज़ार के क़रीब 80 फ़ीसदी हिस्से पर चीनी उद्योगपतियों जा क़ब्ज़ा है.
एक तीर से कई निशाने, विश्व बाज़ार में भारत की बढ़ेगी साख
भारत सरकार के इस दूरगामी फ़ैसले ने एक तीर से कई निशाने साध लिए हैं. इस फ़ैसले मुख्य रूप से ये चार तरह के लाभ होंगे-
- चीन भारतीय टग बोट बाज़ार से एक झटके में बाहर हो गया है
- देशी माँग को पूरा करने के लिए तेज़ी से नई टग बोट इंडस्ट्रियाँ लगेंगी
- देश में सैकड़ों की संख्या में टग नोट से सम्बंधित कम्पोनेंट और एसेसिरीज़ की फ़ैक्टरियाँ लगेंगी
- विश्व टग बोट बाज़ार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ेगी
नेशनल शिपिंग बोर्ड की राय
एबीपी न्यूज़ ने इस विषय में बात की ‘नेशनल शिपिंग बोर्ड’ के मेम्बर संजय पराशर से. मुंबई में रहने वाले संजय पराशार शिपिंग बिज़नेस के दिग्गज हैं. 1300 स्टाफ़ वाली इनकी कम्पनी का 78 शिप में क्रू मैनेजमेंट का काम है. इनकी कम्पनी 3 शिप में टेक्निकल सपोर्ट का काम भी करती है. संजय पराशर ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि सरकार के इस फ़ैसले से देश में टग बोट से जुड़े कम से कम 25 से 30 प्रकार के बड़े उद्योग उठ खड़े होंगे.
इंडियन नेशनल शिप ओनर्स एसोशिएशन की राय
‘इंडियन नेशनल शिप ओनर्स एसोशिएशन’ के चेयरमैन और सीईओ अनिल देवली से भी हमने सरकार के नए फ़ैसले पर उनकी राय पूछी. अनिल देवली ने कहा कि हमने सभी भारतीय समुद्री जहाज़ मालिकों की ओर से सरकार के इस कदम का स्वागत किया है. अनिल देवली के अनुसार टग बोट पर फ़ैसले के बाद अब देश के शिप यार्डस् को अधिक काम मिलेगा और विश्व बाज़ार में भी भारत की साख बढ़ेगी.