नई दिल्ली: चीन भारत को घेरने की हर संभव कोशिशें कर रहा है. दरअसल चीन को डर है कि भारत का बढ़ता कद उसकी राह का रोड़ा बन सकता है इसलिए चीन भारत के पड़ोसियों पर डोरे डाल रहा है और हिंद महासागर में भी अपनी सैन्य मौजूदगी को बढ़ा रहा है. नेपाल, बांग्लादेश और पाकिस्तान में चीन लगातार अपनी पैठ बढ़ा रहा है. साफ है कि चीन आने वाले वक्त की तैयारियां कर रहा है और भारत पर दबाव बनाने की कोशिशें कर रहा है.

चीन की आक्रामक नीति में तेजी आई है. हिंदुस्तान को घेरने के लिए चीन ने स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स के तहत जो व्यू रचना की थी अब उसे एक कदम आगे बढ़ाते हुए चीन ने भारत के उन पड़ोसियों पर डोरे डालने शुरू कर दिए हैं जिनकी सीमा भारत से लगती है. आर्थिक मदद और विकास का लालच देकर चीन आर्थिक रुप से कमजोर नेपाल से लेकर बांग्लादेश तक अपनी पैठ मजबूत कर रहा है और ये एक सोची समझी रणनीति के तहत किया जा रहा है.



- म्यांमार के क्याकप्यू में भी चीन बंदरगाह बना रहा है और उसके थिलावा बंदरगाह पर भी चीनी नौसेना का आना जाना है.
- अंडमान निकोबार द्वीप समूह से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कोको द्वीप पर चीन अपनी ताकत बढ़ाकर आधुनिक नौ सैनिक सुविधाएं पहले ही स्थापित कर चुका है.
- दिसंबर 2017 में श्रीलंका ने चीन को अपना हंबनटोटा पोर्ट 99 सालों के लिए चीन को दे दिया था. मतलब ड्रैगन की मौजूदगी हिंद महासागर में सीधे-सीधे बढ़ेगी
- मालदीव में चीनी नौसेनिकों की मौजदूगी दर्ज होना लगभग तय माना जा रहा है. इसके साथ ही अफ्रीकी देश जिबूती में चीन अपना पहला विदेशी सैन्य अड्डा बनाने में कामयाब हुआ है.
- पाकिस्तान के ग्वादर में चीन की मौजूदगी पहले से है जो हिंदुस्तान से सबसे करीब है

पिछले दो महीनों में हिंद महासागर क्षेत्र में जिस रफ्तार से चीनी वॉरशिप्स और पनडुब्बियों की मौजूदगी दर्ज की गई है. उससे साफ हो गया है कि चीन अपनी चाल में कुछ हद तक कामयाब भी हुआ है. चीन ने इस साल अपने रक्षा बजट को साढे नौ लाख करोड़ रुपयों से बढ़ाकर सीधे साढ़े ग्यारह लाख करोड़ रुपये कर दिया है जो हिंदुस्तान के रक्षा बजट से तीन गुना से भी ज्यादा है. मतलब एशिया में हिंदुस्तान को घेरने के लिए चीन आने वाले वक्त में भी अपनी सेना पर पानी की तरह पैसा बहाने को तैयार है.