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India-China Border: क्या ड्रैगन ने की गलती? अरुणाचल की जिन नदियों का चीन ने बदला नाम, वो हैं ही नहीं
Arunachal Pradesh: चीन की ओर से अरुणाचल प्रदेश की कुछ जगहों को तिब्बत का हिस्सा बताने का दावा किया गया था. हालांकि, भारत सरकार की ओर से इसे खारिज करते हुए कहा गया कि गढ़े हुए नामों से तथ्य नहीं बदलते.
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India-China Border Issue: चीन के नागरिक मंत्रालय ने अरुणाचल प्रदेश की 11 जगहों के नाम बदल कर भारतीय क्षेत्र पर अपना दावा करने के मकसद से एक लिस्ट जारी की थी. इतना ही नहीं, सीमांत इलाकों की इस लिस्ट में चीन दो ऐसी नदियों के नाम भी बदले हैं, जो मौजूद ही नहीं हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने इन सभी इलाकों को तिब्बत के कोना, जायु और मेदाग का हिस्सा बताया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी मंत्रालय की ओर से जारी की गई लिस्ट में दो नदियों के नाम बदलकर 'किबुरी ही' और 'गेदुओ ही' किए गए हैं. हालांकि, चीन की ओर से इन नदियों के कॉर्डिनेट्स नहीं दिए गए हैं. वहीं, चीन के नागरिक मंत्रालय ने इन्हें 'विशिष्ट स्थानों' के तौर पर दर्शाया है.
तवांग जिले की जमीन को बताया तिब्बत का हिस्सा
इस लिस्ट में भारत और चीन के बीच सीमा बताने वाली मैकमोहन लाइन के पास स्थित तवांग जिले के आखिरी गांव को जमीन का एक हिस्सा बताया गया है. भारत सरकार की ओर से इस चीनी चालबाजी को केवल शरारत मानने से इनकार कर दिया गया है.
दरअसल, इसी महीने 10 अप्रैल से 21 अप्रैल के बीच भारतीय वायुसेना और अमेरिकी वायुसेना पश्चिम बंगाल के कलाईकुंडा एयरबेस पर युद्धाभ्यास करेंगे. संभावना जताई जा रही है कि इसी वजह से 2 अप्रैल को बीजिंग ने अरुणाचल प्रदेश की जगहों के लिए 'चीनी, तिब्बती और पिनयिन' अक्षरों में नामों की तीसरी लिस्ट जारी की है.
जवाहर नवोदय विद्यालय को बना दिया जियांगझोंग
चीन के नागरिक मंत्रालय की ओर से जारी इस लिस्ट में एक कॉर्डिनेट तवांग शहर के जवाहर नवोदय विद्यालय को जियांगझोंग बताया गया है. अरुणाचल प्रदेश के पश्चिमी सिआंग जिले के टाटो शहर के एक बड़ी जमीन को इस लिस्ट में ददोंग नाम दिया गया है. इसी तरह जमीन का हिस्सा बताते हुए लोहित नदी के पश्चिमी किनारे के जंगल की जमीन समेत पर्वत चोटियों को भी चीन ने तिब्बत के दक्षिणी भाग जंगनान का हिस्सा बताया है.
'गढ़े गए' नामों से तथ्य नहीं बदलते- भारत सरकार
इस मामले पर भारत सरकार की ओर से चीनी दावों को खारिज कर दिया गया. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि यह पहली बार नहीं है, जब चीन ने इस तरह की कोशिश की है. अरुणाचल प्रदेश 'सदैव' भारत का अभिन्न अंग रहा है और 'हमेशा' रहेगा. उन्होंने कहा कि 'गढ़े गए' नामों से यह तथ्य नहीं बदलता.
बता दें कि चीनी सरकार के मुखपत्र 'ग्लोबल टाइम्स' की एक रिपोर्ट में 11 स्थानों के आधिकारिक नाम जारी करने की रिपोर्ट सामने आई थी. इस रिपोर्ट में अरुणाचल प्रदेश के 2 भूमि क्षेत्रों, 2 आवासीय क्षेत्रों, 5 पर्वत चोटियों और 2 नदियों के नाम बदलने के साथ उनके कॉर्डिनेट्स जारी किए गए थे.
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