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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
नेपाल पर चीन की नई चाल, कहा- ‘हमसे संपर्क बढ़ाने पर मिलेगी कूटनीतिक आज़ादी’
चीनी अखबार ने भारत पर नेपाल की आर्थिक नाकेबंदी करने का झूठा आरोप भी लगाया गया है. चीन ये भी चाहता है कि नेपाल-चीन व्यापारिक रूट धीरे-धीरे भारत-नेपाल रूट की जगह ले ले. ग्लोबल टाइम्स के लेख में उसकी ये ख्वाहिश खुलकर सामने आ गई है.
नई दिल्ली: डोकलाम विवाद को लेकर अब चीन ने भारत के पड़ोसी देश नेपाल को अपने पाले में करने के लिए एक नई चाल चली है. चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि हमसे संपर्क बढ़ाने पर जापान को कूटनीतिक आज़ादी मिलेगी और चीन और नेपाल की दोस्ती से भारत किनारे हो जाएगा.
नेपाल को अपने पाले में लाने की कोशिश
डोकलाम में भारत के साथ जारी तनाव के बीच चीन लगातार नेपाल को अपने साथ लाने की कोशिश कर रहा है. हाल ही में उसके उप-प्रधानमंत्री वांग यांग की नेपाल यात्रा को चीन की इस कोशिश से जोड़कर देखा गया और अब चीन के सरकारी रुझान वाले अखबार ग्लोबल टाइम्स के एक लेख ने उसके इरादों को और साफ कर दिया है.
ग्लोबल टाइम्स में छपे इस लेख का शीर्षक है- क्या नेपाल चीन के करीब आकर भारत से दूर छिटक जाएगा? इस लेख की पहली ही लाइन चीन के उप-प्रधानमंत्री वांग यांग की नेपाल यात्रा से जुड़ी है. इसमें लिखा है-
‘’चीन के उप-प्रधानमत्री वांग यांग की नेपाल यात्रा हाल के वर्षों में चीन-नेपाल के बीच हुई उच्च-स्तरीय बातचीत में सबसे अहम है. ये यात्रा भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की नेपाल यात्रा के कुछ ही दिनों बाद हुई, इसलिए बहुत से भारतीय लोगों ने इसे नेपाल को अपनी तरफ खींचने की चीन की कोशिश के तौर पर देखा. उन्हें लगता है कि नेपाल चीन के करीब आ रहा है.’’
'ग्लोबल टाइम्स' के लेख में भारत पर झूठे आरोप
चीनी अखबार के इस लेख में भारत पर नेपाल की आर्थिक नाकेबंदी करने का झूठा आरोप भी लगाया गया है. इसमें लिखा है-
‘’पारंपरिक रूप से नेपाल के भारत और चीन दोनों के साथ एक जैसे कूटनीतिक संबंध रहे हैं. लेकिन 2015 में जब नेपाल ने नया संविधान लागू किया तो भारत ने उस पर अघोषित आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए, जिससे नेपाल में ईंधन का गंभीर संकट खड़ा हो गया और उसे चीन से मदद लेने के लिए मजबूर होना पड़ा.’’
चीन ये भी चाहता है कि नेपाल-चीन व्यापारिक रूट धीरे-धीरे भारत-नेपाल रूट की जगह ले ले. ग्लोबल टाइम्स के लेख में उसकी ये ख्वाहिश खुलकर सामने आ गई है. इसमें कहा गया है-
‘’नेपाल में ये मानने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है कि अगर बेल्ट एंड रोड पहल के तहत चीन-नेपाल व्यापारिक रूट, भारत-नेपाल रूट का विकल्प बन जाए तो इससे नेपाल को कूटनीतिक आज़ादी मिल जाएगी. चीन ने नेपाल के कहने पर उसे दी जाने वाली मदद भी बढ़ाई है. 2016 में नेपाल की सबसे ज्यादा आर्थिक मदद करने वाला देश के तौर पर चीन ने भारत को पीछे छोड़ दिया है. ये बात अब साफ दिख रही है कि नेपाल चीन के ज़्यादा करीब आ रहा है.’’
चीन का ये दावा बिलकुल बेतुका और हास्यास्पद है कि नेपाल-चीन व्यापारिक रूट विकसित होने से नेपाल को कूटनीतिक आज़ादी मिल जाएगी, क्योंकि नेपाल को कूटनीतिक आज़ादी तो पहले से ही हासिल है. दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के साथ नेपाल का सदियों पुराना करीबी रिश्ता आपसी सम्मान और बराबरी पर आधारित है. ये रिश्ता नेपाल की कूटनीतिक आज़ादी में कभी अड़चन नहीं रहा है. भारत पर ऐसी तोहमत लगाने से पहले चीन को लोकतंत्र और आज़ादी के मामले में अपने गिरेबान में झांककर देखना चाहिए.
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