China Spy Ship: समंदर (Sea) के सीने पर तैरता यह चीनी निगरानी जहाज (Chinese Spy Ship) है...नाम है युआनवांग-5 (Yuan Wang 5). मगर इस जहाज (Ship) पर तोपें नहीं बल्कि रडार (Radar) और सैटेलाइट डिश (Satellite) लगी हैं...करीब 222 मीटर लंबे और 25 मीटर चौड़े जहाज में लगे हैं आधुनिक वो उपकरण...जिसके सहारे चीन अंतरिक्ष (Space) में दूसरे देशों के सैटेलाइट की सूचनाएं भी चुराने की कोशिश करता है. तभी तो चीन के इस थर्ड जनरेशन स्पेस क्राफ्ट ट्रैकिंग जहाज को एक ताकतवर जासूसी जहाज भी कहा जाता है.
मंदारिन में युआन वांग का मतलब होता है लंबी चाहत या दूर की नजर और यह किसी से छिपा नहीं है कि दुनिया में अपने दबदबे का दायरा बढ़ाने की चाहत के साथ ही ड्रैगन हिंद महासागर में अपनी ताकत को भारत से मिल रही चुनौती से परेशान है. ऐसे में युआन वांग का समुद्री मिशन अपने खिलाफ खड़ी हो रही चुनौती के बारे में सूचनाएं बटोरना भी है. यही वजह है कि दक्षिणी प्रशांत महासागर से हिंद महासागर की तरफ बढ़ रहे इस पोत का अगला ठिकाना है श्रीलंका का हम्बनटोटा बंदरगाह. जी हां... वही हंबनटोटा बंदरगाह जिसे चीन ने बनाया और जिसके साथ शुरू हुए कर्ज के बोझ तले दबकर श्रीलंका का खजाना खाली हो गया. वही हम्बनटोटा जिसका कर्ज चुकाने में चूकने पर श्रीलंका को अपने ही बंदरगाह को ही चीन को लीज पर देना पड़ा.
11 अगस्त को हम्बनटोटा बंदरगाह पहुंचेगा जहाज
समंदर में जहाजी आवाजाही पर नजर रखने वाली वेबसाइट मैरीनट्रैफिक.कॉम पर देखें तो यह पता चलता है कि युआन वांग-5 फिलहाल पूर्वी चीन सागर में ताइवान के करीब है. चीन के जियांगयिन से हम्बनटोटा की तरफ बढ़े चीनी सैटेलाइट ट्रैकिंग जहाज के मौजूदा रफ्तार से 11 अगस्त 2022 की दोपहर तक हम्बनटोटा बंदरगाह पहुंचने की उम्मीद है.
चीनी जहाज पर भारत की है पैनी नजर
जाहिर तौर युआन वांग-5 का यह मिशन भारत के लिए चिंता के सवाल पैदा करने वाला है. हम्बनटोटा बंदरगाह भारत से महज 450 किमी दूर है. लिहाजा भारत इस जहाज पर लगातार नजर भी रखे हुए है. चीनी नौसैनिक पोत के श्रीलंका मिशन के बारे में पूछे जाने पर भारतीय विदेश मंत्रालय प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को कहा था कि हमें चीनी जहाज के अगस्त में प्रस्तावित हम्बनटोटा दौरे संबंधी रिपोर्ट्स की जानकारी है. हम इतना ही कहेंगे कि सरकार उन सभी घटनाक्रमों पर लगातार नजर रखती है जिनका असर भारत की सुरक्षा और आर्थिक हितों पर हो सकता है. साथ ही इन हितों की हिफाजत के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाते हैं. इस बारे में सभी को यह बात स्पष्ट होनी चाहिए.
श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय ने किया खंडन
भारत की इस प्रतिक्रिया के बीच ही मीडिया में श्रीलंकाई रक्षा मंत्रालय के हवाले से आई खबरों में चीनी पोत के हम्बनटोटा पहुंचने की खबरों का खंडन किया गया. हालांकि कोलंबो में मौजूद बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव श्रीलंका नाम के थिंकटैंक के मुताबिक उत्तर-पश्चिम हिंद महासागर में अपने सैटेलाइट ट्रैकिंग और कंट्रोल मिशन पर निकला युआन वांग-5 जहाज हम्बनटोटा में 11-17 अगस्त तक रहेगा.
इस जहाज में ऐसा क्या खास है
दरअसल यह जहाज एक स्पेसक्राफ्ट ट्रैकिंग पोत है. इसमें कमांड, कंट्रोल, कम्यूनिकेशन, कंप्यूटर के साथ ही इंटेलिजेंस, सर्वेलेंस और रिकॉनेसेंस की सुविधाएं हैं. यानी यह जहाज जरूरत पड़ने पर एक चलते फिरते कमांड सेंटर की तरह काम कर सकता है. साथ ही इसके सहारे चीन न केवल अंतरमहाद्वीपीय बैलेस्टिक मिसाइल हमलों का संचालन कर सकता है बल्कि सैटेलाइट रोधी मिसाइल हमलों को भी नियंत्रित कर सकता है. चीनी रक्षा मंत्रालय के मुताबिक अंतरिक्ष यानों के नियंत्रण की क्षमताओं से लैस तीसरी पीढ़ी का युआन वांग-5 पोत चीन की समुद्री निगरानी क्षमताओं की रीढ़ है. इस जहाज ने अब तक 5 लाख 70 हजार नॉटिकल मील के मिशन पूरे किए हैं. बीते साल करीब 256 दिन समंदर में बिताने वाले इस जहाज के जरिए चीन ने अपने शेनझाओ स्पेसक्राफ्ट, चांगये चंद्रयान और बेइडोऊ सैटेलाइट और मंगल मिशन को नियंत्रित किया है.
जाहिर तौर पर हिंद महासागर में अगर युआन वांग की आमद होती है कि उसकी नजर भारत के अंतरिक्ष अभियानों और मिसाइल परीक्षणों पर भी होगी. उसकी कोशिश होगी कि इनके बारे में जानकारियां जुटाई जा सकें.
भारत के करीब आने की कोशिश में चीन
हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब चीन (China) के टोही जहाजों ने भारत (India) के करीब आने की कोशिश की हो. भारत ने पूर्वी लद्दाख (East Laddakh) तनाव के बीच ही चीन के दो कथित रिसर्च पोत को हिंद महासागर में ट्रैक कर उन्हें लौटाया था. इसके अलावा 2019 में चीन के एक जहाज शी यान-1 को अंडमान निकोबार के करीब भारतीय एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन के पास से हटाया गया था. वहीं 2014 में चीनी परमाणु पनडुब्बियों के श्रीलंका (Sri Lanka) आदम को लेकर भी भारत ने अपनी चिंता का इजहार कर ऐतराज दर्ज कराया था.
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