भारत ने मुश्किल घड़ी में कोरोना वैक्सीन का बड़े पैमाने पर उत्पादन कर ना सिर्फ देशभर में टीकाकरण की शुरुआत की है बल्कि पड़ोसी नेपाल, बांग्लादेश समेत कई देशों को वैक्सीन देकर बखूबी उनकी मदद भी कर रहा है. भारत के इस कदम की विश्व स्वास्थ्य संगठन से लेकर अमेरिका तक तारीफ कर रहा है. जबकि पड़ोसी देश चीन को भारत की तरफ से पड़ोसी देशों को भेजी जा रही वैक्सीन के चलते मिर्ची लग गई है.


एक तरफ जहां दुनिया को चीन की घटिया वैक्सीन पर भरोसा नहीं तो दूसरी तरफ चीन भारत के खिलाफ गलत प्रचार अभियान में लगा हुआ है, ताकि उसे बदनाम किया जा सके. यही वजह है कि दक्षिण एशिया में भारत की वैक्सीन डिप्लोमेसी ने चीन ने बैकफुट में धकेल कर रख दिया है. चीन के सरकारी मुखपत्र और भोंपू अखबार ग्लोबल टाइम्स ने भारत की इस पहल के खिलाफ बदनाम करने के लिए घटिया कैंपेन छेड़ रखा है.


भारत ने पहले ही पुणे स्थित देश की सबसे बड़ी दवा निर्माता कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट की तरफ से तैयार कोरोना की वैक्सीन को सिर्फ श्रीलंका, पाकिस्तान और अफगानिस्तान को छोड़कर सभी सार्क देशों को गिफ्ट के तौर पर भेज दिया है.


एक तरफ जहां भारत की तरफ से वैक्सीन के 5 लाख डोज की खेप 27 जनवरी को श्रीलंका को भेजी जाएगी तो वहीं दूसरी तरफ सरकार ने काबुल को आश्वस्त किया है कि जैसे ही स्थानीय रेगुलेटर की तरफ से इसके आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी जाती है तो अफगानिस्तान उसकी प्राथमिकताओं की सूची में सबसे ऊपर होगा.


ग्लोबल टाइम्स ने भारत की तरफ से पड़ोसी देशों को वैक्सीन देने के लिए शुरू किए गए 'मैत्री' को प्रोपगेंडा करार देते हुए सीरम इंस्टीट्यूट में लगी आग के बाद भारत के वैक्सीन निर्माण क्षमता पर सवाल खड़े किए हैं. इसके साथ ही, उसने यह दावा किया है कि चीन में भारतीयों ने चीनी की वैक्सीन को लेकर निराश किया है.


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