नई दिल्ली: महज़ दो साल पहले डोकलाम विवाद के वक्त कैलाश मानसरोवर यात्रा रोकने वाला चीन अब इस यात्रा के सहारे भारत के साथ संबंधों को साधने की कोशिश कर रहा है. लोकसंपर्क बढ़ाने और मित्रता प्रयासों की कड़ी में चीन सरकार ने जहां अधिक कैलाश मानसरोवर तीर्थयात्रियों को यात्रा की इजाजत देने फैसला किया है. वहीं यात्रा मार्ग में नए विश्राम गृह और ऑक्सीजन बूथ जैसी सुविधाएं मुहैय्या कराने की भी तैयारी कर ली है.


बीजिंग में भारत और चीन के विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि कैलाश मनसरोवर के लिए अधिक यात्रियों को इजाजत देने के चीनी सरकार के फैसले का हम स्वागत करते हैं. दरअसल भारत ही नहीं दुनिया के अनेक मुल्कों से हजारों हिंदू हर साल कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए चीन के तिब्बत स्वायत्त शासी क्षेत्र में आते हैं. लोगों की इसी आमद ने चीन को जहां भारत के साथ रिश्तों में अपनी साख बढ़ाने का सूत्र भी दे दिया है. वहीं तिब्बत के अपने पिछड़े इलाकों में विकास का रास्ता भी दिखा दिया है. चीन यह भी अच्छे से जानता है कि हिंदू धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखकर किए गए फैसले खासतौर पर भारत की मौजूदा सरकार के साथ व्यवहार में उसके लिए राह आसान कर सकते हैं.


इलाके को पर्यटन केंद्र के तौर पर विकसित करने में जुटी है चीन सरकार


कैलाश-मानसरोवर यात्रा क्षेत्र तिब्बत के अली प्रिफेक्चर का हिस्सा है और चीन सरकार तिब्बत और खासतौर पर इस इलाके को पर्यटन केंद्र के तौर पर विकसित करने में जुटी है. पर्यटन विकास की इन्हीं संभावनाओं को देखते हुए अली कुंजा इलाके में चीन ने नया एअरपोर्ट भी विकसित किया है. कैलाश मानसरोवर के लिए अधिक सहूलियतों की कार्ययोजना पर एबीपी न्यूज से बातचीत में अली प्रीफेक्चर के डिप्टी कमीश्नर गी चिंगमिन ने कहा कि केंद्र से लेकर प्रांतीय व क्षेत्रीय प्रशासन इस बात को लेकर संजीदा है कि कैलाश मानसरोवर यात्रा पर आने वाले तीर्थयात्री सुविधा और प्रसन्नता के साथ अपनी यात्रा पूरी करें. यात्रियों की सुविधा के लिए ही परिक्रमा मार्ग में चार नए विश्रामगृह बनाए गए हैं जिनमें से दो शुरु हो गए हैं.


इसके अलावा यात्रियों की सुविधा के लिए जल्द ही ऑक्सीजन बूथ भी स्थापित किए जाएंगे ताकि उन्हें ऊंचाई वाले क्षेत्र में सांस लेने संबंधी स्वास्थ्य परेशानी न हो. हालांकि सूत्रों के मुताबिक चीन सरकार की योजना फिलहाल प्रयोग के तौर पर कुछ जगहों पर ही ऐसा ऑक्सीजन बूथ लगाने की है जहां यात्री अपनी जरूरत के अनुसार इस्तेमाल कर सकें और मोबाइल से ही फीस भुगतान कर सकें. ऑक्सीजन बूथ इसलिए भी यात्रियों की बड़ी सहूलियत होंगे क्योंकी भारत से जाने वाले अधिकतर यात्री 14 से 20 हज़ार फुट की ऊंचाई वाले इस रास्ते पर साँस लेने में दिक्कतों से ही जूझते हैं. भारतीय क्षेत्र में तो आईटीबीपी और स्थानीय प्रशासन की मदद से चिकित्सा सुविधाएँ उन्हें उपलब्ध हो जाती हैं मगर चीन के इलाके में दाखिल होने के बाद उन्हें कई बार चिकित्सा ज़रूरतों के वक्त कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.


खेमा अली कुंजा में बने एअरपोर्ट के लिए पर्यटन लिंक बनाने की भी कोशिश में चीन


इसके अलावा चीन खेमा अली कुंजा में बने एअरपोर्ट के लिए पर्यटन लिंक बनाने की भी कोशिश में है. एक सवाल के जवाब में चिंगमिन ने कहा कि दिल्ली और अली कुंजा के बीच की दूरी बहुत कम है. लिहाजा यदि दोनों के बीच सीधी उड़ान सेवा शुरु हो जाती है तो इससे तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों को काफी सुविधा मिलेगी. हालांकि इस बारे में कोई भी फैसला दोनों देशों की केंद्र सरकारों को ही आपस में बातचीत कर लेना होगा.


कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग पर सुविधाओं की जमीनी स्थिति की पड़ताल करते हुए एबीपी न्यूज की टीम ने भी इस क्षेत्र का जायजा लिया. अधिकतर जगहों पर बेहतर सड़क मार्ग से जुड़े इस इलाके में अब चीन सरकार ने न केवल नए विश्रामगृह बनाए हैं बल्कि पोर्टर और भोजन व्यवस्था के लिए भी माकूल सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं. हालांकि यात्रा मार्ग में चिकित्सा सुविधाओं और शौचालय की कमी एक ऐसी समस्या है जिससे जुड़ी मुश्किलों का सामना अक्सर यात्रियों का करना पड़ता है. इस बारे में पूछे जाने पर बुरांग काउंटी क्षेत्र में विदेश मंत्रालय कार्यालय के महानिदेशक अवांग चेरिंग ने बताया कि पहाड़ी इलाके में निर्माण व पर्यावरण संरक्षण की कई पेचीदगियों के कारण टॉयलेट सुविधाओं का अभाव एक चुनौती है. फिर भी इस बाबत प्रयास हो रहे हैं कि यात्रा मार्ग में सार्वजनिक टॉयलेट सुविधा उपलब्ध कराई जा सके. मेडिकल सुविधाओं का मामला भी सरकार के संज्ञान में है.


हर साल जून से सितंबर माह में होती है कैलाश मानसरोवर यात्रा


चेरिंग हमें इसी साल शुरु किए गए जोंगजेरबू के नए यात्री विश्राम गृह भी दिखाने ले गए. कैलाश पर्वत परिक्रमा मार्ग में डेरापुख और जोंगजेरबू में दो नए विश्राम गृह हाल ही में बनाए गए हैं. तीन दिन पहले लिपुलेख मार्ग से चीन में दाखिल हुआ कैलाश मानसरोवर यात्रियों का 13वें जत्थे ने पहली बार जोंगजेरबू में बने विश्राम गृह का इस्तेमाल भी किया. करीब 160 बिस्तर वाले इस विश्रामगृह में विदेश मंत्रालय के माध्यम से होने वाली कैलाश मानसरोवर यात्रा के तीर्थयात्री निशुल्क ठहर सकते हैं. भारत का विदेश मंत्रालय हर साल जून से सितंबर माह में कैलाश मानसरोवर यात्रा का संचालन करता है. यह यात्रा दो अलग-अलग मार्गों- लिपुलेख दर्रे( उत्तराखंड) और नाथू ला दर्रे( सिक्किम) दर्रे के माध्यम से कराई जाती हैं.


एबीपी न्यूज से बातचीत में चिनमिंग ने इस बात का भी उल्लेख किया कि यदि भारत की तरफ, खासतौर पर लिपुलेख-चामला दर्रे तक बेहतर सड़क ढांचे का निर्माण हो जाए तो यात्रियों को और अधिक सुविधा हो जाएगी. उन्होंने कहा कि यदि भारतीय पक्ष अपनी तरफ सड़कें बेहतर कर ले तो यात्री अधिक सुगमता से पहुंच सकेंगे. चिनमिंग के मुताबिक उनके प्रशासन की यही कोशिश है कि कैलाश मानसरोवर यात्री खुशी-खुशी आएं और स्वस्थ और प्रसन्न होकर वापस लौटें.


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