नई दिल्ली: एलएसी पर चल रही तनातनी के बीच खबर है कि चीन की पीएलए सेना ने सीमा पर बारूदी सुरंग बिछाने के लिए एक खास रॉकेट लॉन्चर का परीक्षण किया है. इन लैंड माइन्स यानि बारूदी सुरंग को सीमा पर इसलिए बिछाया जाता है ताकि दुश्मन की सेना और टैंक उसकी सीमा में दाखिल ना हो सके. जानकारों की मानें तो चीन ऐसा भारत के हमले से बचने के लिए कर रहा है.
चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा
भारत और चीन के कोर कमांडर स्तर की आंठवे दौर की बैठक इसी हफ्ते किसी भी दिन हो सकती है. हालांकि दोनों ही देशों की सेना ये मीटिंग लाइन ऑफ एक्चुयल कंट्रोल (एलएसी) पर तनाव खत्म करने के लिए करना चाहती हैं लेकिन चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. एक तरफ तो चीन बातचीत के जरिए टकराव खत्म करना चाहता है तो दूसरी तरफ युद्ध की तैयारियां भी कर रहा है.
करीब 12 हजार फीट की ऊंचाई पर किया टेस्ट
खबर है कि चीन की पीएलए सेना ने हाल ही में लैंड माइन्स बिछाने के लिए एक खास रॉकेट लॉन्चर का इस्तेमाल किया है. चीन के सरकारी न्यूज चैनल, सीसीटीवी-मिलिट्री के मुताबिक, पीएलए सेना की तिब्बत कमांड ने हाल ही में इन रॉकेट लॉन्चर्स का सफल परीक्षण किया. इन रॉकेट लॉन्चर्स को ट्रक पर तैनात किया जाता है और फिर लैंड माइन को रॉकेट से दागकर किसी भी सीमा या फिर इलाके के आस-पास बिछा दिया जाता है. एक ट्रक पर 40 लॉन्चर्स को तैनात किया जा सकता है. हालांकि, इन लॉन्चर्स की रेंज नहीं बताई गई है लेकिन जानकारी के मुताबिक, इन्हें उंचाई वाले इलाकों पर दागकर ‘कॉम्बेट-लॉकडॉउन’ किया जा सकता है. खुद चीनी सेना ने इन खास रॉकेट लॉन्चर्स का टेस्ट करीब 12 हजार फीट की ऊंचाई पर किया.
लैंड माइन्स बिछाना जोखिम भरा काम
बता दें कि अमूमन लैंड माइन्स को बिछाने की जिम्मेदारी किसी भी सेना की इंजीनियरिंग-कोर के सैनिकों की होती है. लेकिन ये एक बेहद ही जोखिम भरा काम होता है, क्योंकि कई बार लैंड माइन्स हाथ में ही फट जाती है. 29-30 अगस्त की रात को ब्लैक-टॉप और हैलमेचट टॉप पर चढ़ाई के वक्त भारतीय सेना की स्पेशल फ्रंटियर फोर्स के दो कमांडो लैंड माइन की चपेट में आ गए थे. इससे एक कमांडो, नियेमा तेनजिन वीरगति को प्राप्त हो गए थे और दूसरे कमांडो तेनजिन लोंगडिंग गंभीर रूप से घायल हो गए थे. ये लैंडमाइन ’62 के युद्ध की बताई गई थी. लेकिन चीन ने जो नई लैंड माइन लॉन्चर ईजाद किया है उससे बारूदी सुंरग जमीन के नीचे बिछाने की बजाए सतह पर ही रह जाती है. इसका फायदा ये होता है कि वो आसानी से दिखाई दे जाती है. इसीलिए ऐसा लगता है कि चीनी सेना ने लैंड माइन्स बिछाने के लिए रॉकेट-लॉन्चर का इस्तेमाल किया है.
क्या कहते हैं जानकार?
लेकिन जानकारों की मानें तो चीनी सेना ने इन रॉकेट लॉन्चर्स का परीक्षण दो बड़े कारणों से किया है. पहला को ये कि चीनी सैनिकों को ज्यादा उंचाई वाले इलाकों में पहुंचने में बेहद मुश्किल होती है, खास तौर से सर्दियों के मौसम में. दूसरा और बड़ा कारण ये भी है कि चीन को इस बात का डर सता रहा है कि अगर भारत से बातचीत फेल हो गई को कहीं भारतीय सेना उसकी सीमा पर हमला ना कर दे. इसीलिए चीन अपने सीमा-क्षेत्र में इस तरह की खतरनाक बारूदी सुंरग बिछा रहा है. या फिर भारतीय सेना उसकी इन लैंड माइन्स को देखकर चीनी सीमा में दाखिल ना हो, ये भी चीन की पीएलए सेना संदेश देना चाहती है.
एंटी-पर्सनैल लैंड माइन्स पर यूएन का प्रतिबंध
यहां पर ये बताना बेहद जरूरी है कि एंटी-पर्सनैल लैंड माइन्स पर यूएन यानि संयुक्त-राष्ट्र ने प्रतिबंध लगा रखा है. दुनियाभर के करीब 150 देशों ने माइन-बैन कंवेनशन संधि का हिस्सा हैं. लेकिन चीन इस संधि का हिस्सा नहीं है और इसीलिए शायद इस तरह के लैंड माइन्स का परीक्षण कर रहा है. चीन ने हालांकि ये साफ नहीं किया है कि उसने एंटी-पर्सनैन माइन्स का परीक्षण किया है या फिर एंटी-व्हीकल लैंड माइन्स का.
एलएसी पर चीन की लैंड माइन्स के खतरे को देखते हुए ही भारत ने हाल ही में 557 करोड़ रूपये में 1512 माइन-प्लो लेने का करार किया था. सरकारी उपक्रम, बीईएमएल (भारत अर्थ-मूवर्स लिमिटेड) इन माइन-प्लो को तैयार कर थलसेना को सौंपेगा. इन लैंड माइंस को टी-90 टैंक के आगे लगाया जाएगा ताकि दुश्मन की सीमा में दाखिल होने के वक्त लैंड माइंस को साफ किया जा सके.
इस बीच खबर ये भी है कि आठवें दौर की मीटिंग से पहले मंगलवार देर रात भारत ने पीएलए सेना के उस सैनिक को चीन को वापस लौटा दिया जो सोमवार को भटककर भारतीय सीमा में आ गया था. चीनी सैनिक को पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर चुशूल-मोल्डो बीपीएम-हट में चीनी सेना को सौंप दिया गया. चीनी सेना को दावा था कि पीएलए सैनिक एक स्थानीय चरवाहे के याक को ढूंढते हुए भारतीय सीमा में दाखिल हो गया था. पीएलए सेना के आग्रह पर भारत चीनी सैनिक को वापस भेजने के लिए तैयार हो गया था. भारत ने ‘गुडविल’ के तहत सैनिक को वापस लौटा दिया है.
पिछले छह महीने से भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर टकराव चल रहा है. दोनों देशों के बीच गलवान घाटी में बड़ा हिंसक संघर्ष भी हो चुका है और कई बार हवाई फायरिंग भी हो चुकी है. तनाव खत्म करने के लिए सात बार दोनों देशों के कोर कमांडर स्तर की बैठक हो चुकी है. लेकिन टकराव खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. माना जा रहा है कि आठवे दौर की मीटिंग भी इसी हफ्ते होने जा रही है.
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