(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
चीन ने जैसे ही उतारा 80,000 टन का फुजियान, पूर्व नौसेना प्रमुख ने दी सलाह- ये भारत के लिए सही समय है फ्रांस भी...
विवादित दक्षिण चीन सागर और ताइवान जलडमरूमध्य में अमेरिका के साथ बढ़ते तनाव के बीच बीजिंग ने अपनी नौसैनिक शक्ति को बढ़ाते हुए इस युद्धपोत का परीक्षण शुरू किया है.
साउथ चाइना सी में विवाद के बीच चीन ने अपने 80 हजार टन के तीसरे विमानवाहक पोत फुजियान का बुधवार (1 मई) को पहला समुद्री परीक्षण शुरू कर दिया. फुजियान को सबसे उन्नत घरेलू युद्धपोत बताया जा रहा है. इसे देखते हुए पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल अरुण प्रकाश ने सुझाव दिया है कि फ्रांस की मदद से भारत को भी नेक्स्ट जेनरेशन परमाणु संचालित एयरक्राफ्ट कैरियर तैयार कर लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि फ्रांस की कंपनियों ने काम करना शुरू कर दिया है और यही समय है जब भारत को फ्रांस के साथ मिलकर नेक्स्ट जेनरेशन एयरक्राफ्ट पर काम शुरू कर देना चाहिए.
उन्होंने कहा कि दो देश पहले से ही फाइटर जेट इंजनों के निर्माण पर भारत का सहयोग कर रहे हैं. ये देश भारतीय नौसेना और नौसेना के लिए राफेल फाइटर जेट की आपूर्ति कर रहे हैं. ऐसे में नेक्स्ट जेनरेशन सुपरकैरियर युद्धपोत के निर्माण के लिए हाथ मिलाना तर्कपूर्ण कदम होगा.
INS विक्रांत का दोबारा ऑर्डर देना सही कदम नहीं, बोले पूर्व नौसेना प्रमुख
यूरेशियन टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व नौसेना प्रमुख ने कहा कि यह एकदम सही समय है और भारत को इसमें दिलचस्पी दिखानी चाहिए क्योंकि फ्रांस भी इस समय अपनी टेक्नोलॉजी साझा करने को तैयार है. एडमिरल प्रकाश का मानना है कि नेक्स्ट स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर पहले से मौजूद एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत के मुकाबले टेक्नीकली ज्यादा उन्नत होना चाहिए.
एडमिरल अरुण प्रकाश ने कहा कि फ्रांस की कंपनियां काम करना शुरू कर चुकी हैं और इस स्टेज पर भारत के लिए उसके साथ काम करना संभव है. आईएनएस विक्रांत का दोबारा ऑर्डर देना अच्छा कदम नहीं होगा. उन्होंने कहा कि पहले सरकार को अगले एयरक्राफ्ट कैरियर के निर्माण फैसला लेना होगा.
विवाद के बीच चीन ने उतारा फुजियान
विवादित दक्षिण चीन सागर और ताइवान जलडमरूमध्य में अमेरिका के साथ बढ़ते तनाव के बीच बीजिंग ने अपनी नौसैनिक शक्ति को बढ़ाते हुए इस युद्धपोत का परीक्षण शुरू किया है. सरकार के स्वामित्व वाली शिन्हुआ समाचार एजेंसी की खबर के अनुसार, यह युद्धपोत समुद्री परीक्षण के लिए बुधवार सुबह शंघाई जियांगनान शिपयार्ड से रवाना हुआ. परीक्षण के दौरान विमान वाहक की प्रणोदन शक्ति और विद्युत प्रणालियों की विश्वसनीयता व स्थिरता की जांच की जाएगी.
पहले 2022 में उतारा गया था फुजियान
फुजियान को जून 2022 में पानी में उतारा गया था, जिसने नौबंध परीक्षण, उपकरण समायोजन और अन्य दूसरी जरूरी परीक्षण पूरे कर लिए हैं. युद्धपोत ने समुद्री परीक्षण के लिए जरूरी तकनीकी आवश्यकताएं भी पूरी कीं. परीक्षण से पहले चीन ने यांगत्जे नदी के मुहाने के आसपास समुद्री यातायात नियंत्रण लगा दिया है, जहां जियांगनान शिपयार्ड 'सैन्य गतिविधियों' के लिए तैनात है. खबर के मुताबिक, यातायात नियंत्रण नौ मई तक रहेगा.
2035 तक साउथ चाइना सी में 6 विमान वाहक पोत उतार सकता है चीन
पिछली आधिकारिक खबरों के अनुसार, चीन ने विवादित दक्षिण चीन सागर और ताइवान जलडमरूमध्य में वर्ष 2035 तक पांच से छह विमान वाहक पोत तैनात करने की योजना बनाई है. बीजिंग, दक्षिण चीन सागर के अधिकांश हिस्से पर अपने कब्जे का दावा करता है तो वहीं ताइवान जलडमरूमध्य चीन की मुख्य भूमि को ताइवान से अलग करता है. इतना ही नहीं चीन, हिंद महासागर में भी अपनी शक्ति को बढ़ा रहा है. वर्तमान में दक्षिण चीन सागर में चीनी नौसेना का अमेरिका समर्थित फिलीपीन के नौसैनिक जहाजों के साथ गतिरोध जारी है.
फिलीपीन, दक्षिण चीन सागर में सैकंड थॉमस टापू पर अपना दावा जताने की कोशिश कर रहा है जबकि चीन इसका कड़ा विरोध कर रहा है. चीन, दक्षिण चीन सागर के अधिकांश हिस्से पर अपना दावा करता है. वहीं फिलीपीन, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान चीन के इस दावे का सख्ती से विरोध करते हैं.
(पीटीआई-भाषा से इनपुट के साथ)
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