नई दिल्ली: चीन ने एक बार फिर से भारत के खिलाफ साजिश रचने की कोशिश की है. इस बार चीन ने हिंद महासागर में जासूसी के लिए अंडरवॉटर ड्रोन तैनात कर दिए हैं. एक अमेरिकी रक्षा विश्लेषक के मुताबिक चीन हिंद महासागर में 'बड़े स्तर पर' अंडरवॉटर ड्रोन्स को तैनात कर रहा है. चीन इन अंडरवॉटर ड्रोन्स का इस्तेमाल  भारत के खिलाफ खुफिया निगरानी के लिए कर सकता है .


अंडरवॉटर ड्रोन्स से हो रही जासूसी ?
भारत पहले ही ऐलान कर चुका है कि लद्दाख में अतिक्रमण की साजिश की कोशिश करने वाले चीन को वो जल, थल और नभ तीनों मोर्चों पर मुंहतोड़ जवाब दे सकता है. लेकिन इसके बावजूद चीन साजिश से बाज नहीं आ रहा है. इस बार चीन ने भारत के खिलाफ हिंद महासागर में साजिश रची है. रक्षा मामलों के विश्लेषक एचआई सटन ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि चीन ने हिंद महासागर में सी विंग (हेयी) ग्लाइडर्स नाम से जाने जाने वाले अंडरवॉटर ड्रोन्स का एक बेड़ा तैनात किया है. ये ना सिर्फ महीनों तक काम कर सकते हैं बल्कि नौसेना की खुफिया मकसद के तहत निगरानी भी कर सकते हैं.


सटन की रिपोर्ट में क्या है ?
अपनी रिपोर्ट में विश्लेषक एचआई सटन के मुताबिक चीन इन ग्लाइडर्स को बड़े स्तर पर तैनात कर रहा है. ये ग्लाइडर्स भूमिगत जल वाहन बेड़े यानि अनक्रूड अंडरवॉटर व्हीकल का ही एक स्वरूप हैं. इन्हें 2019, दिसंबर के मध्य में लॉन्च किया गया था. फरवरी में चीन ने अंडरवॉटर ड्रोन वापस ले लिए थे लेकिन इस दौरान अंडरवॉटर ड्रोन ने 3,400 से ज्यादा जानकारी जुटाई हैं. खास बात ये कि इन व्हीकल में प्रॉपेलिंग के लिए कोई ईंधन प्रणाली नहीं है. ये बड़े विंग्स के सहारे समुद्र में नीचे ग्लाइड करते रहते हैं. ये तेज नहीं होते लेकिन लंबे मिशन पर काम करने में कारगर साबित होते हैं. संभावना है कि चीन ने खुफिया मकसद के लिए इन ड्रोन्स का इस्तेमाल किया है.


चीन के ये ग्लाइडर्स वैसे ही हैं, जैसे अमेरिकी नौसेना ने तैनात किए थे और चीन ने 2016 में इनमें से एक को रास्ते से गुजरने वाले जहाजों के लिए सुरक्षित नेविगेशन सुनिश्चित करने का हवाला देकर जब्त कर लिया था. सटन की रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंद महासागर में ये चीनी ग्लाइडर्स कथित रूप से समुद्र विज्ञान से जुड़ी जानकारी एकत्रित कर रहे हैं. समुद्र विज्ञान डाटा का इस्तेमाल नौसेना के खुफिया मकसद के लिए भी किया जाता है. यही चीन के खतरनाक मकसद को लेकर आशंका पैदा करता है.


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