नई दिल्ली: चीन ने पूर्वी लद्दाख में भारत के खिलाफ नया मोर्चा खोल दिया है. अब भारत के फॉरवर्ड एयरबेस दौलत बेग ओल्डी के पास डेपसांग प्लेन के पेट्रोलिंग पॉइंट (पीपी) 10 से 13 तक चीन के सैनिक भारतीय सेना को गश्त लगाने से रोक रहे हैं. साथ ही डेपसांग प्लेन के पीछे भी चीन अपने इलाके में बड़ी तादात में 'मिलिट्री बिल्ट अप' करने की तैयारी कर रहा है.


आपको बता दें कि डेपसांग प्लेन में ही वर्ष 2013 में चीन 25 दिनों तक टेंट गाड़कर बैठ गया था. उस वक्त उच्च स्तर पर राजनैतिक और राजनियक दखल के बाद ही दोनों देशों के बीच में फेसऑफ खत्म हुआ था.


चीन ने फिर से अपने तंबू गाड़ लिए हैं
बता दें कि 15 जून की देर रात लद्दाख के गल्वन घाटी में जिस पेट्रोलिंग प्वाइंट चौदह के सामने, सोलह बिहार रेजिमेंट के जवानों ने चीन के कैंप को जलाकर खाक कर दिया था.अपने कमांडिंग अफसर संतोष बाबू की धोखे से की गई हत्या के बदले चासील चीनियों को मार गिराया था.वहां ने चीन ने फिर से अपने तंबू गाड़ लिए हैं.


सैटेलाइट इमेज में से हुआ खुलासा


सैटेलाइट इमेज में गलवान घाटी में चीन की वेस्टर्न थिएटर कमांड के पूरी इंफेंट्री बटालियन, उनके हथियार, साजो सामान, सड़क बनाने वाली हैवी मशीनरी और बख्तरबंद गाड़ियां दिखाई दे रही हैं. भारत की तरफ से डायरेक्ट फायरिंग से बचने के लिए पहाड़ की ओट में कई सैनिक अड्डे भी बनाए गए हैं.


गलवान नदी के बहाव को रोकने की कोशिश कर रहा है चीन, पुल की तस्वीरें भी मिलीं
रॉयटर्स और सरकारी सूत्रों से हमें मिली तस्वीरों से ये भी साबित होता है कि चीन यहां गलवान नदी के बहाव को रोकने की कोशिश कर रहा है और वहां कोई पुल भी बना रहा है. 9 जून तक वहां कोई एक्टिविटी नहीं थी लेकिन 16 जून को ली गई तस्वीरों में सिर्फ चीन के ट्रक और टेंट ही दिख रहे हैं. कुछ निर्माण कार्य भी दिख रहा है.यहां तक कि नदी को पार करने के लिए एक अस्थाई पुल का भी निर्माण हो गया लगता है.और ऐसा लगता है कि इसी अस्थाई पुल के जरिए चीन के ये ट्रक और मशीनें आगे पहुंची हैं. इसके बाद नीचे को यहां चीनी कैंप्स हैं.


ये हरकत तब की गई है जब 15 जून की रात हुई हिंसक झड़प के बाद कोर कमांडरों की बैठक में चीन गलवान घाटी में दो किलोमीटर पीछे अपने बेस कैंप में लौटने का वादा कर चुका है. भारतीय सेना की तरफ से चीन की इस हरकत पर अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है लेकिन चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने एक बार फिर पूरी गल्वन घाटी पर अपना दावा ठोंक दिया है. चीन यहीं नहीं रुका, इसने 15 जून को गल्वन घाटी में हुई हिंसक झड़प के लिए भी भारत को ही दोषी ठहराया है


गलवान घाटी में एलएसी पर मौजूद पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 का सामरिक महत्व क्या है


पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 घाटी में वो जगह है जहां पूर्व से आ रही गल्वन नदी तीखी मोड़ लेकर दक्षिण की तरफ मुड़ती है. यहां से करीब आठ किलोमीटर बाद ये श्योक नदी में मिलती है जिसके दूसरी तरफ दौलत बेग ओल्डी के फॉरवर्ड एरिया में जाने वाली हिंदुस्तान की सड़क है और यहां सेना का एक बड़ा बेस कैंप भी है. इसी जगह के पास भारत ने एक पुल भी बनाया है ताकि श्योक की उफनती जलधारा को पार कर हमारे सैनिक एलएसी की रक्षा कर सकें. लेकिन चीन को ये पसंद नहीं है.


चीन पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 पर कब्जा करने के फिराक में इसलिए है क्योंकि यहां से पूरी घाटी उसकी लाइन ऑफ साइट में हो यानि यहां से ये पूरी घाटी और भारत की गतिविधियों पर नजर रख सके. लेकिन भारत की सेना पर पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 पर अंगद की तरह पैर जमाए खड़ी है जिसे शी जिनपिंग की सिपाही लाख कोशिशों के बाद भी हिला नहीं सक रहे.


लेकिन हिंदुस्तान इस बार चीन के धोखे में नहीं आने वाला इसलिए अब पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 से लेकर श्योक नदी तक किलेबंदी कर दी गई है.अगर इस बार चीन ने कोई गलत हरकत की तो गल्वन की घाटी चीनी सैनिक की कब्रगाह बन जाएगी.


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