नई दिल्ली: क्वाड बैठक से पहले चीन ने अपनी एक और चाल चल दी है। चीन की संसद ने ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध बनाने की योजना को मंजूरी दी है, जिसको लेकर भारत ने चिंता जताई है. चीन ने अरुणाचल प्रदेश से सटे तिब्बत के इलाके में ब्रह्मपुत्र नदी पर हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट बनाने की तैयारी कर ली है. ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध बनाने का चीन का फैसला भारत-चीन के रिश्तों में तनाव की नई वजह बन सकता है.


नदी पर पूरी तरह होगा चीन का नियंत्रण 


ब्रह्मपुत्र नदी को चीन में यारलंग जैंगबो नदी के नाम से जाना जाता है. ये नदी एलएसी के करीब तिब्बत के इलाकों में बहती है. अरुणाचल प्रदेश में इस नदी को सियांग और असम में ब्रह्मपुत्र नदी के नाम से जाना जाता है. हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट के नाम पर चीन इस नदी पर जो बांध बनाएगा उससे नदी पर पूरी तरह चीन का नियंत्रण हो जाएगा. चीन की योजना के मुताबिक ये दुनिया के सबसे बड़े बांधों में से एक होगा.


बांध से भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा असर


ब्रह्मपुत्र नदी के पानी पर चीन के नियंत्रण से बांग्लादेश भी प्रभावित होगा, क्योंकि ये नदी बांग्लादेश में भी बहती है. चीन कभी भी भारत या पड़ोसी देशों में बाढ़ या पानी की किल्लत जैसी समस्या खड़ी कर सकता है. ब्रह्मपुत्र नदी के पानी पर चीन का नियंत्रण होने से भारत की अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ेगा.


क्वाड समूह का पहला शिखर सम्मेलन आज


हिन्द-प्रशांत क्षेत्र के सबसे ताकतवर समूह क्वाड की पहली शिखर बैठक आज यानी शुक्रवार को आयोजित होगी. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की अगुवाई में होने वाली इस वर्चुअल बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ऑस्ट्रेलिया के पीएम स्कॉट मोररिसन, जापान के प्रधानमंत्री योशिदो सूगा शरीक होंगे. क्वाड चौकड़ी के देशों की यह पहली शिखर बैठक जहां नई साझेदारी की संभावनाएं तय करेगी, वहीं, चीन की बढ़ती दादागिरी को भी एक संदेश देने की भी कोशिश होगी.


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