एक्सप्लोरर

लद्दाख के सर्द पहाड़ों में चीन ने सैनिक भी खोए और साख भी

बीजिंग की चाल कोविड19 संकट के दौरान भारत को तनाव का तारों में बांध अपने रणनीतिक हित साधने की थी. इसके लिए मई 2020 में पेंगोंग झील पर झड़प के बहाने की गई सैनिक मोर्चाबंदी को चीन ने गलवान, देपसांग, डीबीओ, गोगरा, हॉटस्प्रिंग तक फैला दिया. स्वाभाविक तौर पर चीन से अकारण इस तरह की कार्रवाई के अपेक्षा नहीं थी.

नई दिल्लीः लद्दाख के पठारों में भारत और चीन के बीच करीब 9 महीने तक चली ज़ोर आजमाइश में ड्रैगन को आखिर पैर पीछे खींचना पड़ा. हौसलों की इस कुश्ती में चीनी पीएलए को टकराव के मोर्चों से अपने सैनिक वापस लौटाने पर रजामंदी जतानी पड़ी. जाहिर है अपने को उभरता सुपर पावर बताने वाले चीन की फौज के इस फ़ैसले ने केवल एशिया का मोहल्ले में ही नहीं पूरी दुनिया को भारत की ताकत का संदेश दिया. कोविड19 के बाद की दुनिया में बदले रणनीतिक समीकरणों में भारत की बढ़ती हैसियत का भी हस्ताक्षर है.

महत्वपूर्ण है कि बीते साल गर्मियों की शुरुआत में जब दुनिया चीन के वुहान से निकले कोरोना वायरस के कहर से कराह रही थी. तभी चीन ने भारत के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर एक बार फिर धोखे की कहानी रची. चीनी पीएलए ने अपने सालाना सामान्य युद्धाभ्यास को सोची समझी रणनीति के तहत दबाव के मोर्चे में बदल दिया. एक-एक कर पूर्वी लद्दाख में गश्त के मोर्चों पर अपने सैनिकों का जमावड़ा खड़ा कर दिया.

हालांकि, भारत के खिलाफ चीन का यह दांव उल्टा पड़ा. इसका एहसास चीन को तभी हो गया था जब भारतीय सेना ने पीएलए दस्तों के सामने बराबरी की तैनाती की. वहीं गलवान घाटी में हुए संघर्ष के दौरान चीन की सेना को भारत से ज़्यादा सैनिकों की जान का नुकसान उठाना पड़ा. स्वाभाविक तौर पर लद्दाख में भारत के खिलाफ सैनिक नाकेबंदी के अपनी स्क्रिप्ट में पीएलए ने अपने सैनिकों की मौत का सीन नहीं लिखा होगा.

सीमा पर हुई थी हिंसक मारपीट

जून 15 को गलवान घाटी में 15 जून को हुई घटना में जहां भारत के कर्नल रैंक अधिकारी समेत 20 सैनिक शहीद हुए वहीं सूत्रों के मुताबिक चीन के एक कमांडिंग अफसर समेत 25 से अधिक सैनिक मारे गए. यह बात और है कि भारत के विपरीत चीन ने अभी तक गलवान घाटी में मारे गए अपने सैनिकों की पहचान तक उजागर नहीं की है.

भारत ने चीन के मंसूबों को बेपर्दा करने के लिए सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर बातचीत जारी रही. लेकिन साफ था कि सोची-समझी चाल के साथ आई चीनी सेना न तो पीछे जाने को तैयार थी और न ही मामला सुलझाने को. उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक चीन के मंसूबो का अंदेशा लगते ही इस मामले पर बहु-स्तरीय रणनीति बना ली गई थी. शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व भी इस बात से सहमत था कि चीन के साथ इस मामले को सुझाने का रास्ता पोज़िशन ऑफ स्ट्रेंथ यानि ताकत की हैसियत से ही सम्भव है. इसके चलते ही उन ऊँचाई के मोर्चों को हासिल करने का प्लान बनाया गया जहाँ से दबाव की गेंद चीन के पाले में जाती है.

अगस्त 30 और सितम्बर के पहले सप्ताह में पेंगोंग झील के उत्तर और खासतौर पर दक्षिण के इलाकों में मुखपिरी और मगर हिल समेत ऊंचाई के उन मोर्चों को हासिल कर लिया जिसने दबाव की गेंद चीन के पाले में डाल दिया. इस रणनीतिक पैंतरे से बदली तस्वीर से तिलमिलाया चीन बातचीत की मेज पर उतावला होने लगा. हालांकि, फिर भी इस सीमा तनाव के दबाव में अपनी नाक चोटिल कराने वाले चीन ने कई दौर की वार्ताओं के दौर गंवाए.

आर्थिक मोर्चे पर भी मजबूत लामबन्दी

इस बीच चीन पर दबाव के दांव में भारत ने कूटनीतिक और आर्थिक मोर्चे पर भी मजबूत लामबन्दी की. जहां भारत ने चीन की कंपनियों से लेकर मोबाइल एप्लिकेशन्स के खिलाफ सख्ती की. वहीं, अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, ओस्ट्रेलिया जैसे देशों ने खुलकर भारत के समर्थन में बयान दिए. वहीं चीन पर विस्तारवाद से लेकर वैश्विक सप्लाई लाइन में दादागिरी को लेकर कई देशों से तीखे सुर उठे.

बहरहाल, हिमालय के अखाड़े में चीनी सेना के दुस्साहस का हश्र ने पाकिस्तान जैसे उसके पिछलग्गुओं के सामने भी भारतीय सेना की ताकत और भारत की कूटनीतिक हैसियत की बानगी साफ कर दी. इससे पहले पाकिस्तान सितम्बर 2016 और फरवरी 2019 में भारत की दो सर्जिकल स्ट्राइक के जरिए बदले तेवरों के निशान देख चुका था. यही वजह है कि भारत और चीन के बीच जनवरी 2021 के तीसरे सप्ताह में 9वें दौर की सैन्य कमांडर स्तर बातचीत में डिसएंगेजमेंट प्लान पर सहमति बनने के बाद ही पाक सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा की तरफ से जहां भारत के साथ शांतिपूर्ण रिश्तों की बात कही गई वहीं पाक पीएम के विशेष सलाहकार मोईद यूसुफ ने भी 9 फरवरी को दिए टीवी साक्षत्कार में सभी मुल्कों के साथ अमन को पीएम इमरान खान का लक्ष्य बताया. ज़ाहिर है पाकिस्तानी निज़ाम के सामने भी यह साफ हो चुका था कि भारत के साथ दुश्मनी में जहाँ उसका सबसे बड़ा हिमायती ही कदम पीछे खींचने को मजबूर है ऐसे में उसके लिए मजबूती का कोई बीमा मुमकिन नहीं है.

सैन्य मोर्चे पर ही नहीं चीन ने लद्दाख के मोर्चे पर 9 महीने की सैनिक घेराबंदी में जहां चीन कुछ ठोस हासिल करने में नाकाम नज़र आया है वहीं उसने लम्बे वक्त की कोशिशों से भारत के साथ बने भरोसे को भी खोया है. इसका स्वाभाविक तौर पर सीधा असर भारत जैसे बड़े बाजार में चीन की साख पर होगा. साथ ही भारत सीमा पर चीनी दुःसाहस ने कई दूसरे पड़ोसी मुल्कों को भी आगाह कर दिया है. ऐसे में चीन के लिए जहां साख का संकट होगा वहीं हिन्द-प्रशांत के इलाके में भी लामबंदी की फिक्र बढ़ेगी.

India-China Standoff: जानिए फिंगर एरिया का विवाद आखिर है क्या

उत्तराखंड की घटना के बाद कश्मीर के लोगों में डर का माहौल, मौसम विभाग ने जारी की चेतावनी 

और देखें
Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

इंडिया और मालदीव के बीच हुए कौन-कौन से करार और किस पर क्या पड़ेगा प्रभाव?
इंडिया और मालदीव के बीच हुए कौन-कौन से करार और किस पर क्या पड़ेगा प्रभाव?
Pushpa 2 से लेकर Singham Again तक, बॉक्स ऑफिस हिलाने आ रही हैं जबरदस्त फिल्में, तारीख कर लें नोट
तीन महीने में बॉक्स ऑफिस हिलाने आ रहीं ये जबरदस्त फिल्में, तारीख अभी से कर लें नोट
Haryana Elections 2024: हरियाणा के एग्जिट पोल्स को लेकर क्या सोचती हैं विनेश फोगाट? नतीजों से पहले दिया यह जवाब
हरियाणा के एग्जिट पोल्स को लेकर क्या सोचती हैं विनेश फोगाट? नतीजों से पहले दिया यह जवाब
Festive Season: रियल एस्टेट सेक्टर से क्यों गायब हुए डिस्काउंट-ऑफर, फेस्टिव सीजन में कभी रहती थी बहार
रियल एस्टेट सेक्टर से क्यों गायब हुए डिस्काउंट और ऑफर, फेस्टिव सीजन में कभी रहती थी बहार 
Advertisement
ABP Premium

वीडियोज

PM Modi News: गुजरात से दिल्ली तक...मोदी के 23 फैसले ! | Ram Mandir | BJP | ABP NewsIsrael Iran War Update: Hezbollah के ठिकानों पर Israel की बमबारी | ABP News | BreakingPublic Interest: हरियाणा में BJP की हैट्रिक या कांग्रेस?  Haryana Exit Poll | ABP NewsBharat Ki Baat: आस्था का स्नान, सुरक्षा पर घमासान | Maha Kumbh Mela 2025 l CM Yogi | Sangam

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
इंडिया और मालदीव के बीच हुए कौन-कौन से करार और किस पर क्या पड़ेगा प्रभाव?
इंडिया और मालदीव के बीच हुए कौन-कौन से करार और किस पर क्या पड़ेगा प्रभाव?
Pushpa 2 से लेकर Singham Again तक, बॉक्स ऑफिस हिलाने आ रही हैं जबरदस्त फिल्में, तारीख कर लें नोट
तीन महीने में बॉक्स ऑफिस हिलाने आ रहीं ये जबरदस्त फिल्में, तारीख अभी से कर लें नोट
Haryana Elections 2024: हरियाणा के एग्जिट पोल्स को लेकर क्या सोचती हैं विनेश फोगाट? नतीजों से पहले दिया यह जवाब
हरियाणा के एग्जिट पोल्स को लेकर क्या सोचती हैं विनेश फोगाट? नतीजों से पहले दिया यह जवाब
Festive Season: रियल एस्टेट सेक्टर से क्यों गायब हुए डिस्काउंट-ऑफर, फेस्टिव सीजन में कभी रहती थी बहार
रियल एस्टेट सेक्टर से क्यों गायब हुए डिस्काउंट और ऑफर, फेस्टिव सीजन में कभी रहती थी बहार 
'सपा बहादुर अखिलेश को पीछे छोड़...', केशव प्रसाद मौर्य ने तेजस्वी पर लगाया 'टोंटी' कांड का आरोप
केशव प्रसाद मौर्य ने तेजस्वी पर लगाया 'टोंटी' कांड का आरोप, अखिलेश पर भी कसा तंज
PAK vs ENG: बाबर आजम के नाम जुड़ा शर्मनाक रिकॉर्ड, 651 दिनों से ऐसा करने में रहे हैं नाकाम; कप्तानी छोड़ने से भी फायदा नहीं
बाबर आजम के नाम जुड़ा शर्मनाक रिकॉर्ड, 651 दिनों से ऐसा करने में रहे हैं नाकाम
उत्तराखंड में UCC का ड्रॉफ्ट तैयार, फाइनल टच के बाद अब CM धामी को जल्द सौंपी जाएगी रिपोर्ट
उत्तराखंड में UCC का ड्रॉफ्ट तैयार, फाइनल टच के बाद अब CM धामी को जल्द सौंपी जाएगी रिपोर्ट
महाकुंभ के दौरान मांसाहारी भोजन का त्याग करेगा मुस्लिम समाज, मौलाना शमशेर ने लिया फैसला
महाकुंभ के दौरान मांसाहारी भोजन का त्याग करेगा मुस्लिम समाज, मौलाना शमशेर ने लिया फैसला
Embed widget