चीन की सेना ने बुधवार को घोषणा की है कि भारत और चीन की सेना के जवान पैंगोंग त्सों झील के दक्षिण और उत्तरी किनारे से लौटना शुरू कर दिया है. यहां पर दोनों तरफ सेना के जवान पिछले कई महीनों एक दूसरे के सामने डटे हुए थे. चीन के रक्षा मंत्रालय की तरफ से बताया गया कि 24 जनवरी को कॉर्प्स कमांडर स्तर की वार्ता के दौरान बनी सहमति के बाद सैनिकों की वापसी शुरू हुई है.


चाइनीज मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस नेशनल डिफेंस के प्रवक्ता कर्नल वु क्यान ने बुधवार को लिखित बयान जारी करते हुए कहा- चीन और भारत के फ्रंट लाइन सैनिक उत्तरी और दक्षिण पैंगोंग त्सो झील से वापसी शुरू कर दिया है. यह कदम भारत और चीन के बीच नौवें कॉप्स कमांडर स्तर की वार्ता में बनी सहमति के अनुरूप हुई है.


उधर, भारतीय सेना के सूत्रों ने बताया है कि पैंगोंग त्सो समेत वास्तविक नियंत्रण रेखा के कुछ अन्य इलाकों से सैनिकों को हटाने पर सहमति बनी और जवानों को पीछे हटाने का काम शुरू कर दिया गया है.





गौरतलब है कि पिछले साल 5 मई लद्दाख के पैंगोंग त्सो घाटी में भारत और चीन के सेना के जवानों के बीच हुई झड़प के बाद से लगातार वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है. इसके बाद 15 जून को गलवान घाटी में जो खूनी हिंसा हुई, ऐसी घटना भारत और चीन सीमा पर पिछले कई दशकों के बाद पहली बार देखने को मिली थी. इस घटना में दोनों तरफ से काफी नुकसान पहुंचा था. गवान हिंसा में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे जबकि 40 से ज्यादा चीनी जवान मारे गए थे. हालांकि, चीन ने अपने जवानों की मौत का आधिकारिक आंकड़ा दुनिया के सामने कभी नहीं बताया था.


इसके बाद से तनाव को कम करने के लिए भारत और चीन के बीच सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर लगातार बात होती रही. उधर, चीन ने करीब 60 हजार जवानें के साथ भारी संख्या में युद्धक विमान और हथियारों की तैनाती की. इसके जवाब में भारत की तरफ से भी इतनी ही संख्या में जवानी की तैनाती के साथ हथियार और लड़ाकू विमानों को तैनात किया गया था.


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