भारत ने कहा LAC पर चीन के नए दावे अनुचित और अस्थिर, तनाव बढ़ने की वजह चीनी सेना का आक्रामक रवैया
विदेश मंत्रालय प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अब तक चीन की तरफ से की गई कार्रवाई के कारण ही तनाव बढ़ा है.
नई दिल्ली: भारत ने साफ कर दिया है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर न तो चीन की कार्रवाई जायज है और न ही उसके दावे. इतना ही नहीं विदेश मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि किसी एक तरफा कार्रवाई के जरिए वास्तविक नियंत्रण रेखा को बदलने की चीन की कोशिश भारत के लिए कतई अस्वीकार्य है. गलवान घाटी समेत एलएसी पर बढ़ाए जा रहे चीनी दावों को भी भारत ने खारिज किया है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अब तक चीन की तरफ से की गई कार्रवाई के कारण ही तनाव बढ़ा है. इसके चलते ही 15 जून की घटना भी हुई जिसमें सैनिक हताहत हुए. साथ ही चीन के बदले और आक्रामक तेवरों के कारण ही स्थिति तनावपूर्ण हो रही है.
विदेश मंत्रालय के अनुसार मई माह के मध्य में ही चीन ने पश्चिमी सेक्टर के अनेक क्षेत्रों में यथास्थिति बदलने का प्रयास शुरु किया. इस बाबत भारत ने राजनयिक और सैन्य चैनलों के जरिए अपना विरोध दर्ज कराया. स्पष्ट तौर पर भारत इस तरह के किसी भी बदलाव को स्वीकार नहीं कर सकता.
भारत ने इस बात को भी उभारा है कि चीन का रवैया कुछ बदला-बदला नजर आ रहा है. यानि सीमा पर उसकी आक्रामकता किसी सोची-समझी रणनीतिक का हिस्सा है जिसके सहारे वो यथास्थिति बदलने का प्रयास कर रहा है. इस तरफ इशारा करते हुए श्रीवास्तव ने कहा कि आम तौर पर दोनों देशों के सैनिक एक नियमति तरीके से एलएसी पर गश्त करते हैं. मगर इस साल एलएसी पर चीनी सेना का संचालन आपसी सहमति से तय मानकों के खिलाफ है. एलएसी पर सैनिकों की बड़ी तैनाती और चीनी सैनिक के व्यवहार में बदलाव नजर आ रहा है. इतना ही नहीं चीन की तरफ से अनुचित और अस्थिर दावों में भी इजाफा हुआ है. गलवान घाटी में चीन के रवैये को लेकर हुआ हालिया बदलाव इसका एक उदाहरण भर है.
हालांकि विदेश मंत्रालय प्रवक्ता ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर मौजूदा स्थिति और चीनी सेना द्वारा गलवान घाटी में विवादास्पद जगह फिर से टैंट लगाए जाने की खबरों पर पूछे गए सवालों का कोई जवाब नहीं दिया. इस बीच सैन्य सूत्रों से मिली जानकारी को मुताबिक चीनी सेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर देपसांग प्लेन के करीब भी अपने जमावड़े को बढ़ा दिया है. साथ ही गलवान घाटी में 15 जून को संघर्ष का कारण बने पीपी14 के करीब भी एक बार फिर से अपने टैंट लगा लिए हैं.
चीनी सैनिक जमावड़े के जवाब में भारत ने भी बड़ी संख्या में 14 कोर के इलाके में अपनी डिफेंस लाइन को मजबूत कर लिया है. साथ ही वायुसेना के लड़ाकू विमानों की भी अग्रिम इलाकों में तैनाती को बढ़ाया गया है.
हालांकि भारत ने इस बात को दोहराया है कि वो चीन के साथ मामले को स्थापित आपसी समझ के जरिए सुलझाना चाहता है. विदेश मंत्रालय प्रवक्ता ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं चीनी पक्ष समझदारी से और पूरी ईमानदारी से आपसी रजामंदी का पालन करेगा. ताकि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और अमन-चैन की बहाली को सुनिश्चित किया जा सकते. मौजूदा तनाव को खत्म करना और माहौल में शांति और स्थिरता लाना दोनों देशों के रिश्ते के विकास के लिए जरूरी है.
महत्वपूर्ण है कि भारत और चीन के बीच 3488 किमी की वास्तविक नियंत्रण रेखा है जो अनिर्णित है. ऐसे में दोनों पक्षों के बीच इस बात को लेकर सहमति रही है कि एलएसी के करीब बहुत अधिक सैन्य जमावड़ा नहीं किया जाएगा. दोनों तरफ के सैनिक अपनी अपनी धारणा वाली एलएसी के मुताबिक गश्त करेंगे. यदि आमने-सामने की स्थिति आती है तो उसे सैन्य और कूटनीतिक संवाद से हल करेंगे. इसके लिए 1993 से 2013 के बीच कई समझौते भी किए गए हैं.
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