नई दिल्ली: सीमा पर तनाव खत्म करने की दिशा में आज चीनी सेना गोगरा एरिया के पेट्रोलिंग-पॉइंट नंबर 15 से करीब दो किलोमीटर पीछे हट गई. भारतीय सेना भी इस प्रक्रिया के तहत लगभग इतना ही पीछे हट गई है, जिसके चलते यहां दोनों देशों की सेनाओं के बीच 'बफर जोन' बन गया है.


बफर जोन में पेट्रोलिंग नहीं कर पाएंगे दोनों देश के सैनिक


इस बफर जोन में फिलहाल किसी भी देश के सैनिक पेट्रोलिंग नहीं कर पाएंगे. ये इसलिए किया गया है ताकि 'आई बॉल टू आई बॉल' स्थिति को खत्म किया जा सके. क्योंकि सैनिकों के बीच कम दूरी रहने से गलवान घाटी जैसी हिंसक संघर्ष की नौबत आ सकती थी. इसीलिए विवादित इलाकों से दोनों देशों के सैनिकों को पीछे हटाया जा रहा है.


30 जून को हुई बैठक में डिसइंगेजमेंट पर बनी थी सहमति


बता दें कि 30 जून को भारत और चीन के कोर कमांडर स्तर की बातचीत हुई थी. उस बैठक में दोनों देश गलवान घाटी, गोगरा, हॉट-स्प्रिंग और फिंगर एरिया में डिसइंगेजमेंट के लिए तैयार हो गए थे. इसके बाद रविवार को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, अजीत डोवाल और चीन सरकार के कांउसलर (विदेश मंत्री) वांग यी के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग हुई थी. इसके बाद दोनों देशों की सेना गलवान घाटी में डेढ़-डेढ़ किलोमीटर पीछे हट गई थीं. यहां भी दोनों देशों के सैनिकों के बीच बफर जोन बन गया है.


फिंगर एरिया नंबर 4 और 5 के बीच से भी चीनी सैनिकों की संख्या कम हुई


जानकारी के मुताबिक, फिंगर एरिया नंबर 4 और 5 के बीच से भी चीनी सैनिकों की संख्या कम हो गई है. हालांकि, कुछ चीनी सैनिक अभी भी वहां तैनात हैं. चीनी सेना फिंगर एरिया 8-4 के बीच आकर जम गई है. हालांकि, 1999 में सड़क बनाकर चीनी सेना ने इस इलाके (फिंगर 5-8) में गैर-कानूनी कब्जा कर लिया था, लेकिन अपने बंकर और कैंप कभी नहीं बनाए थे. यही वजह थी कि भारतीय सैनिक भी यहां पेट्रोलिंग करते आए थे. लेकिन मई महीने के शुरूआत से चीनी सेना ने यहां अपना जमावड़ा कर लिया है और बंकर और कैंप लगा लिए हैं. एक हेलीपैड भी यहां बना लिया है. भारतीय सेना चीन के इस कदम का विरोध कर रही है. भारत का मानना है जब तक कि सीमा विवाद पूरी तरह सुलझ नहीं जाता दोनों देशों के सैनिकों को पेट्रोलिंग करते रहना चाहिए.


हॉट-स्प्रिंग के पीपी नंबर 17 पर भी डिसइंगेजेमेंट प्रक्रिया गुरूवार शाम तक पूरी हो जाएगी- सूत्र


सूत्रों की मानें तो हॉट-स्प्रिंग के पीपी नंबर 17 पर भी डिसइंगेजेमेंट प्रक्रिया गुरूवार शाम तक पूरी हो जाएगी. लेकिन सूत्रों ने साफ किया कि ये डिसइंगेजमेंट की शुरूआत है. इस हफ्ते की आखिर में जहां-जहां चीनी सेना पीछे हटी है उसका वेरिफिकेशन सर्विलांस या फिर ड्रोन इत्यादि के जरिए किया जाएगा. ये एक तरह से डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया की समीक्षा होगी, तभी इसे सफल माना जाएगा और अगली डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया शुरू होगी.


सूत्रों ने हालांकि उन खबरों का खंडन किया जिसमें कहा गया था कि एलएसी के विवादित इलाकों और बफर जोन की सुरक्षा की जिम्मेदारी अब आईटीबीपी (इंडो तिब्बत बॉर्डर पुलिस) को दे दी जाएगी.


बता दें कि 3488 किलोमीटर लंबी चीन सीमा की सुरक्षा सेना और आईटीबीपी के पास है. सीमा विवादित होने के कारण भारतीय सेना यहां तैनात रहती है. चीन की सीमा की सुरक्षा वहां की पैरा-मिलिट्री फोर्स करती है जो चीन की पीएलए-सेना के अंतर्गत काम करती है. लेकिन भारत में आईटीबीपी गृह मंत्रालय के अंतर्गत काम करती है थलसेना के नहीं.


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