नई दिल्ली: भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई भिड़त के बीच जानकारी मिल रही है कि चीन के हेलीकॉप्टर वास्तविक निंयत्रण रेखा के बेहद करीब देखे गए हैं. इसके बाद से भारतीय वायुसेना ने भी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुयल कंट्रोल (एलएसी) के करीब अपने फाइटर जेट्स की पेट्रोलिंग की है. वायुसेना ने अभी तक आधिकारिक तौर से एयर-पेट्रोलिंग पर कोई टिप्पणी नहीं की है.


सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, 5 मई की रात को लद्दाख की पेंगोंग-शो लेक के करीब विवादित फिंगर-एरिया में भारतीय सैनिकों से झड़प के बाद एलएसी के करीब चीनी हेलीकॉप्टर्स को देखा गया था. जानकारी के मुताबिक, चीनी हेलीकॉप्टर्स को वास्तविक नियंत्रण रेखा के करीब उड़ता देखकर वायुसेना ने भी अपने सुखोई फाइटर जेट्स की एयर-पेट्रोलिंग एलएसी के करीब की. हालांकि ये साफ नहीं है कि चीनी हेलीकॉप्टर और भारतीय फाइटर जेट्स एलएसी के कितने करीब उड़ान भरी.


सूत्रों के मुताबिक, वायुसेना के फाइटर जेट्स लद्दाख में एयर-पेट्रोलिंग पहले से करते आए हैं. लेकिन माना जा रहा है कि ये पहली बार है कि वायुसेना ने चीनी हेली़कॉप्टर्स के खिलाफ फाइटर जेट्स का इस्तेमाल किया है. क्योंकि 1962 की जंग में भी भारत ने चीन के खिलाफ एयर फोर्स का इस्तेमाल नहीं किया था.


प्रोटोकॉल के मुताबिक, किसी भी देश के हेलीकॉप्टर बॉर्डर के चार किलोमीटर के दायरे में उड़ान नहीं भर सकते हैं. अगर किसी कारणवश उड़ान भरनी होती है तो दूसरे देश को इस बारे में पहले से सूचना देनी होती है. लड़ाकू विमानों के लिए ये नियम 10 किलोमीटर का है.


भारतीय वायुसेना की तरफ से इस बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं आई है. लेकिन सूत्रों ने कहा कि भारतीय वायुसेना के फाइटर जेट्स लद्दाख में पहले भी एयर-पेट्रोलिंग करते आए हैं. यहां तक की सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में भी इस तरह की एयर-पेट्रोलिंग की जाती है.  लेकिन हाल ही में फिंगर-एरिया में दोनों देशों के सैनिकों के बीच एक बड़ी झड़प हुई थी. सीमा विवाद को लेकर हुए झगड़े में दोनों देशों के कई सैनिक घायल हो गए थे. हालांकि, स्थानीय कमांर्ड्स के दखल के बाद मामला सुलझ गया था लेकिन दोनों देश की सेनाएं इस क्षेत्र में अपने डेप्लोयमेंट (सैनिकों की तादाद) बढ़ा रही हैं. ऐसे में हेलीकॉप्टर और लड़ाकू विमानों की पेट्रोलिंग काफी अहम हो जाती है.


लद्दाख में भारतीय वायुसेना के दो एयर-बेस हैं—लेह और थेयोस में. लेकिन दोनों जगहों पर फाइटर जेट की स्कॉवड्रन नहीं है. यहां पर भारतीय वायुसेना के दूसरे (श्रीनगर, पंजाब और हरियाणा) एयर-बेस से लड़ाकू विमानों को डिटेचमेंट के तौर पर तैनात किया जाता है.


बता दें कि फिंगर एरिया दरअसल आठ पहाड़ियों का एक समूह है जो दूर से हाथ की उंगलियों की तरह दिखाई पड़ती हैं. इसमें फिंगर नंबर वन से फॉर (एक से चार तक) पहाड़ियां भारत के अधिकार क्षेत्र में हैं, जबकि पांच से आंठ तक चीन के कब्जे में हैं. लेकिन चीन के सैनिक पांचवें नंबर की पहाड़ी को पार कर चार नंबर पहाडी में घुसने की फिराक में रहते हैं. इसी को लेकर दोनो देशों के सैनिकों के बीच भिड़ंत हो जाती है. 5 मई की रात से पहले भी वर्ष 2017 में दोनों देशों के सैनिक इस इलाके में भिड़ गए थे. उस दौरान दोनों सैनिकों के मारपीट और पत्थरबाजी का वीडियो वायरल भी हुआ था.


लेकिन चिंता की बात ये है कि पिछले एक हफ्ते में 3488 किलोमीटर लंबी एलएसी पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच ये दूसरी बड़ी भिंड़त थी. बीते शनिवार को उत्तरी सिक्किम के नाकूला सेक्टर में भी दोनो देशों के सैनिकों के बीच हुए सीमा विवाद में करीब एक दर्जन सैनिक (मामूली रूप से) घायल हो गए थे.


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