मुंबई: एक ओर गलवान घाटी में चीनी सेना से हुई भिड़ंत के बाद जहां भारत में चीन विरोधी भावनाएं उफान पर हैं, चीनी सामान के बहिष्कार की मांग हो रही है तो वहीं देश के तमाम बंदरगाहों और हवाई अड्डों पर चीन से आए सामान को नहीं छोड़ा जा रहा है. हालांकि, भारत सरकार की ओर से चीनी सामान पर प्रतिबंध का कोई फैसला नहीं लिया गया है लेकिन कस्टम विभाग की ओर से उठाये गये इस कदम से आयातकों में हड़कंप मच गया है.


दक्षिण मुंबई का सारा सहारा मार्केट चीनी खिलौनों और इलेक्ट्रॉनिक सामान का एक बड़ा बाजार है. यहां पर चीन से माल आयात कर सप्लाई करने वाले जुझेर अहमद का कहना है कि उन्होंने 2 महीने पहले चीनी उत्पादकों को जो ऑर्डर दिया था वो उन्होंने भेज दिया है, लेकिन हवाई अड्डे पर कस्टम अधिकारी कंसाइनमेंट को क्लीयरेंस नहीं दे रहे. ये भी नहीं बताया जा रहा कि माल क्यों रोका गया है और कब तक उसे छोड़ा जाएगा?


जुझेर की तरह चीनी माल के आयातक असलम मलकानी की भी नींद उड़ी हुई है. चीन से आया उनका लाखों का माल कस्टम के पास फंसा हुआ है. मलकानी का कहना है कि एक तो पहले से ही कोरोना के कारण कारोबार ठप पड़ा हुआ था और अब जब दुकानें खुल रहीं हैं तो इस तरह से माल रोक दिया गया है.


चेन्नई के कस्टम ब्रोकर असोसिएशन ने अपने सदस्यों को खत लिखकर इत्तला किया है कि वे अपने माल को देरी से छोड़े जानें की उम्मीद करें क्योंकि कस्टम विभाग में ऐसे निर्देश जारी हुए हैं कि चीन से आने वाले माल को होल्ड किया जाए और उनकी ज्यादा जांच की जाए.


इस संबंध में जब हमने कस्टम विभाग से संपर्क किया तो उनकी ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया, लेकिन अनाधिकारिक तौर पर बताया गया कि सरकार की तरफ से चीनी कंसानमेंट रोकने के कोई निर्देश नहीं दिए गए हैं. कोरोना की वजह से कर्मचारी और अधिकारी कम हैं और न केवल चीन बल्कि दूसरे देशों से आये कंसाइनमेंट को क्लीयर करने में देरी हो रही है.


तमाम चीनी सामान के आयातकों और विक्रेताओं से जब एबीपी न्यूज़ ने ये सवाल पूछा कि देश में चीन विरोधी भावना प्रबल हो रही है और ऐसे में वे अपने इस व्यवसाय का क्या भविष्य देखते हैं तो लगभग सभी का कहना था कि वे चीनी के बजाय भारतीय उत्पाद बेचने के लिये तैयार हैं. लेकिन पहले इतनी ज्यादा तादाद में वैसे उपकरणों का उत्पादन तो हो जो कि चीन में बनते हैं और वे उतनी ही सस्ती कीमत पर उपलब्ध हों जितनी सस्ती कीमत पर चीन बेचता है. कई उत्पाद ऐसे हैं जो कि सिर्फ चीन में ही बनते हैं. भारतीय बाजारों को एक झटके में चीनी सामान से नहीं मुक्त किया जा सकता. इसके लिये दूरगामी रणनीति बनाई जानी चाहिए.


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