मॉस्को में रक्षा मंत्रियों की मुलाकात के बाद भी नहीं बदली चीन की भाषा, जानें अब क्या कहा?
चीन से तनातनी के बीच सेना प्रमुख नरवणे ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि एलओसी पर हालात बेहद नाजुक बने हुए हैं पर इसे बातचीत के जरिए सुलझाया जा सकता है.
नई दिल्ली: मॉस्को में रक्षा मंत्रियों की मुलाकात के बाद भी चीन की भाषा नहीं बदली. चीन के रक्षा मंत्रालय ने बयान जारी कर भारत को लद्दाख में तनाव के लिए जिम्मेदार ठहराया है. भारत की ओर से विदेशमंत्री एस जयशंकर ने कहा कि चीन चुनौतियों को हल्के में नहीं ले रहा, हम कूटनीति से समाधान निकाल रहे हैं ।
बता दें कि चीन के आग्रह पर मॉस्को में राजनाथ सिंह की चीनी रक्षा मंत्री के साथ बैठक हुई. इस बैठक में दोनों के बीच करीब 2 घंटे 20 मिनट बातचीत हुई. चार महीनों से तनाव के बाद देर रात पहली बार दोनों देशों के बीच यह सबसे बड़ी बैठक हुई. इस बैठक में LAC पर चल रही तनातनी को खत्म करने की दिशा में बातचीत हुई. भारत ने साफ किया कि एलएसी पर शांति तभी कायम की जा सकती है जब चीन अपनी विस्तारवादी नीति को छोड़ दे.
बैठक में भारत की तरफ से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के अलावा रक्षा सचिव अजय कुमार, चीफ ऑफ इंटीग्रेटेड स्टाफ कमेटी वाइस एडमिरल आर हरि कुमार और रूस में भारत के राजदूत शामिल थे. चीनी रक्षा मंत्री के साथ प्रतिनिधिमंडल में सभी सद्स्य चीनी सेना के सदस्य थे. खास बात ये है कि चीन के रक्षा मंत्री बनने से पहले वेई फेंगही भी पीपल्स लिबरेशन आर्मी की रॉकेट फोर्स के कमांडर थे.
सीमा विवाद के समाधान पर दिया गया जोर रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने चीनी सेना के पैंगोंग झील के दक्षिण तट में यथास्थिति बदलने के नए प्रयासों पर कड़ी आपत्ति जताई और वार्ता के माध्यम से गतिरोध के समाधान पर जोर दिया. दो रक्षा मंत्रियों के बीच बातचीत का केंद्र लंबे समय से चले आ रहे सीमा गतिरोध को हल करने के तरीकों पर था. इस बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के लिए विश्वास का माहौल, गैर-आक्रामकता, अंतरराष्ट्रीय नियमों के प्रति सम्मान तथा मतभेदों का शांतिपूर्ण समाधान जरूरी है.
दरअसल, पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में कई जगहों पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच चार महीने से गतिरोध की स्थिति है. पांच दिन पहले चीन ने पैंगोंग झील के दक्षिणी तटीय क्षेत्र में भारतीय क्षेत्र पर कब्जा करने की असफल कोशिश की थी जिसके बाद तनाव और बढ़ गया.
पूर्वी लद्दाख में मई में सीमा पर हुए तनाव के बाद से दोनों ओर से यह पहली उच्च स्तरीय आमने सामने की बैठक थी. इससे पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल गतिरोध दूर करने के लिए चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ टेलीफोन पर बातचीत कर चुके हैं. अब विदेश मंत्री एस जयशंकर भी अगले सप्ताह एससीओ के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने रूस जा सकते हैं.