वोकल फॉर लोकल ने इस दिवाली निकाल दिया चीन का दिवाला, डेटा देख उड़ जाएंगे होश
कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के हिसाब से इस बार चीन को दिवाली पर लगभग 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के व्यापार का बड़ा नुकसान हुआ. पहले चीनी वस्तुओं की 70 फीसदी खरीदारी भारत में होती थी.
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इस बार दीपावली पर देश भर के बाजारों में रिकॉर्ड तोड़ व्यापार हुआ है. दिवाली की सुबह कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) की तरफ से जारी एक आंकड़े के मुताबिक, इस वर्ष के दिवाली सीजन में देश भर के बाजारों में 3.75 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का रिकॉर्ड तोड़ व्यापार हुआ और सभी त्योहारों पर ग्राहकों द्वारा जमकर भारतीय वस्तुओं की खरीदारी की गई. अभी गोवर्धन पूजा, भैया दूज, छठ पूजा एवं तुलसी विवाह त्योहार बचे हैं जिनमें लगभग 50 हजार करोड़ रुपये का और व्यापार होने की संभावना है.
व्यापारी संगठन के हिसाब से इस बार चीन को दिवाली पर्व पर लगभग 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के व्यापार का बड़ा नुकसान हुआ. पिछले सालों में दिवाली त्योहारों पर चीन से बनी वस्तुओं को लगभग 70% बाजार भारत का मिल जाता था जो इस बार बिलकुल भी नहीं मिला. देश में किसी भी व्यापारी ने इस साल चीन से दिवाली से संबंधित किसी भी वस्तु का कोई इंपोर्ट नहीं किया.
सबसे ज्यादा खाने के सामान की हुई बिक्री
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वोकल फॉर लोकल और आत्मनिर्भर भारत अभियान का असर इस बार दिवाली में खूब दिखा. कैट के राष्ट्रीय महामंत्री खंडेलवाल ने बताया कि एक मोटे अनुमान के अनुसार, 3.5 लाख करोड़ के त्योहारों के व्यापार में लगभग 13% खाद्य एवं किराना में, 9% ज्वेलरी में, 12% वस्त्र एवं गारमेंट, 4% ड्राई फ्रूट, मिठाई एवं नमकीन, 3% घर की साज सज्जा, 6% कास्मेटिक्स, 8% इलेक्ट्रॉनिक्स एवं मोबाइल, 3% पूजन सामग्री एवं पूजा वस्तुओं, 3% बर्तन और रसोई उपकरण, 2% कन्फेक्शनरी एवं बेकरी, 8% गिफ्ट आइटम्स, 4% फ़र्निशिंग एवं फर्नीचर एवं शेष 20% ऑटोमोबाइल, हार्डवेयर, इलेक्ट्रिकल, खिलौने सहित अन्य अनेक वस्तुओं एवं सेवाओं पर ग्राहकों द्वारा खर्च किए गए. देशभर में पैकिंग कारोबार को भी एक बड़ा बाजार इस दिवाली पर मिला.
वोकल फॉर लोकल की रही धूम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा त्योहारों पर लोकल बनी वस्तुएं खरीदने का आह्वान किया गया था जिसका बड़ा प्रभाव पूरे देश में दिखाई दिया. देश के सभी शहरों के स्थानीय निर्माताओं, कारीगरों एवं कलाकारों द्वारा बनाए गए उत्पादों की भारी मात्रा में बिक्री हुई, जिससे आत्मनिर्भर भारत की एक विशिष्ट झांकी दिवाली पर्व के जरिए देश एवं दुनिया को दिखाई गई.
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