Commonwealth Game 2010: कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाले के आरोपी चीनी नागरिक के प्रत्यर्पण की मांग करेगी CBI
CBI on Commonwealth Games: सीबीआई अधिकारियों ने बताया कि भारत और चीन के बीच परस्पर विधि सहायता संधि (MLAT) न होने के कारण चीनी नागरिक जियाशु झाओ के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी नहीं कर सकी.
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Commonwealth Game 2010: सीबीआई ( CBI) साल 2010 में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स (Commonwealth Game) में शिवाजी स्टेडियम के आधुनिकीकरण में हुए कथित भ्रष्टाचार से जुड़े एक मामले में वांछित चीनी नागरिक जियाशु झाओ के प्रत्यर्पण की मांग करेगा. अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई अभी तक जियाशु के खिलाफ इंटरपोल का रेड नोटिस जारी कराने के प्रयासों में नाकाम रही है. जियाशु ‘चाइना रेलवे शिसिजु ग्रुप कॉरपोरेशन इन इंडिया’ का कथित प्रतिनिधि है.
क्यों गैर-जमानती वारंट जारी नहीं कर सकी CBI
केंद्रीय एजेंसी सीबीआई अधिकारियों ने बताया कि भारत और चीन के बीच परस्पर विधि सहायता संधि (MLAT) न होने के कारण उसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी नहीं कर सकी. सीबीआई ने पिछले तीन वर्षों में चीनी नागरिक के खिलाफ इंटरपोल से रेड नोटिस जारी कराने की असफल कोशिशों पर ज्यादा जानकारी देने से इनकार कर दिया. उन्होंने बताया कि जियाशु को इस मामले में सीबीआई द्वारा दाखिल आरोप पत्र में नई दिल्ली नगरपालिका (NDMC) के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बतौर आरोपी नामजद किया गया है.
सीबीआई ने जियाशु के खिलाफ समन तथा गैर-जमानती वारंटी जारी न करा पाने के कारण उसके मुकदमे को अन्य आरोपियों के मुकदमे से अलग कर दिया गया. अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी ने अब आरोपी चीनी नागरिक के प्रत्यर्पण के लिए एक अर्जी दायर करने का फैसला किया है. बता दें कि मामला 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों के लिए शिवाजी स्टेडियम के आधुनिकीकरण में कथित भ्रष्टाचार से जुड़ा है.
प्रत्यर्पण क्या है?
- जिसमें एक राज्य द्वारा दूसरे राज्य से एक ऐसे व्यक्ति को वापस करने का अनुरोध करता है, जिसे उसकी अदालतों में अभियुक्त या दोषी ठहराया गया हो.
- प्रत्यर्पण में कोई एक देश दूसरे देश से भी किसी को देने की मांग करता है. शर्त यह है कि दोनों देशों में संधि होनी चाहिए है. भारत की करीब 40 से ज्यादा देशों के साथ प्रत्यर्पण की संधि है
- भारतीय प्रत्यर्पण अधिनियम, 1962 के तहत किसी को प्रत्यर्पित किया जाता है
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