कोलकाता: पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में भारत-बांग्लादेश सीमा के पास से सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने भारत की सीमा में अवैध रूप से घुसने के दौरान संदिग्ध चीनी नागरिक हान जूनवे को गिरफ्तार किया है. ऐसा संदेह किया जा रहा है कि हान जूनवे ने बड़े साइबर हमले की योजना बनाई थी.


बीएसएफ ने एक बयान जारी कर कहा कि पूछताछ के दौरान उसने बताया कि पिछले दो सालों में फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल कर अब तक कम से कम 1300 भारतीय सिम कार्ड चीन भेजे. इस बीच, उत्तर प्रदेश पुलिस के आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) की चार सदस्यीय टीम भी शुक्रवार सुबह मालदा में आरोपी से पूछताछ करने और केस का चार्ज लेने के लिए पहुंची.


जांच कर रहे पुलिस अधिकारी हान को अपने साथ ले गए. पुलिस सूत्रों के अनुसार, हान के शरीर के अंदर कोई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है या नहीं, इसका पता लगाने के लिए सीटी स्कैन किया जा सकता है. पुलिस अधिकारी सोचते हैं कि हान कोई साधारण व्यक्ति नहीं है. जांचकर्ताओं ने गिरफ्तार चीनी नागरिक के ठिकाने में महत्वपूर्ण विसंगतियां पाई हैं. पुलिस अधिकारी इस रहस्य से पर्दा उठाने की कोशिश कर रहे हैं. जिला पुलिस अधीक्षक आलोक राजोरिया और पुलिस उपाधीक्षक प्रशांत देबनाथ हान आज फिर पूछताछ करेंगे.


जांच अधिकारी ने बताया कि जांच प्राथमिक चरण में है. हम एकत्र किए गए दस्तावेजों और गैजेट्स का अध्ययन कर रहे हैं. उसके साथ साथ हमने दृश्य का पुनर्निर्माण भी किया है.  दृश्य के पुनर्निर्माण में जो कुछ पता चला वो बीएसएफ ने बताया हैं और भी कुछ चीज़े हैं जिसकी हमने जांच की है.


अधिकारियों ने बताया कि विभिन्न एजेंसियों ने चीन के निवासी हान जूनवे (36) से गहन पूछताछ की और इस दौरान यूपी एटीएस की टीम भी मौजूद रहीं. प्रारंभिक पूछताछ के बाद बीएसएफ ने जूनवे को जब्त सामानों के साथ अग्रिम कानूनी कार्रवाई के लिए शुक्रवार को पुलिस स्टेशन गुलाबगंज, कालियाचक को सौंप दिया.


गिरफ्तारी के बाद गुरुवार को ही पूछताछ में हान जूनवे ने खुलासा किया कि उसके एक कथित बिजनेस पार्टनर सन जियांग को यूपी एटीएस ने कुछ दिनों पहले कई आरोपों में गिरफ्तार किया था. जियांग ने ही एटीएस के समक्ष जूनवे और उसकी पत्नी की अवैध गतिविधियों व उन्हें भारतीय सिम भेजे जाने के संबंध में खुलासा किया था.


एटीएस ने जूनवे और उनकी पत्नी के खिलाफ लखनऊ में मामला दर्ज किया‌ था, जिस वजह से उन्हें भारतीय वीजा नहीं मिला. उसके खिलाफ ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी करने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी थी. जूनवे ने फिर नेपाल और बांग्लादेश से वीजा लिया और भारत में अवैध रूप से प्रवेश करते पकड़ा गया. इस संबंध में यूपी एटीएस की टीम उससे पूछताछ के लिए रिमांड पर लेगी.


अंडरगारमेंट्स में छुपाकर चीन भेजता था भारतीय सिम


पूछताछ के दौरान हान ने कहा कि वह पहले भी कई बार भारत का दौरा कर चुका है. वह पहली बार 2010 में आए था. इसके बाद 2019 में वे वापस आया. लेकिन चूंकि उसे भारत आने के लिए वीजा नहीं मिला था. इसलिए, वह 2 जून को बांग्लादेश गया. वह वहां रुका और 8 जून को चपाईबांगुंज-सोना मस्जिद (बांग्लादेश) गया. वहां दो दिन बिताए और 10 जून को मालदा के मिलिक सुल्तानपुर में सीमा के रास्ते भारत में प्रवेश करने की कोशिश की, जहां कोई कांटेदार तार नहीं है. वहां बीएसएफ ने उसे पकड़ लिया.


बीएसएफ डीआइजी ने बताया कि हम ये पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या वह किसी खुफिया एजेंसी या किसी संगठन के लिए भी काम कर रहा था, जो भारत के खिलाफ काम करता है. अधिकारियों ने उसके पास से कई संदिग्ध इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जिसमें एक लैपटॉप, दो आईफोन, एक बांग्लादेशी सिम कार्ड, दो पेन ड्राइव समेत एटीएम कार्ड, अमेरिकी डॉलर के साथ कुछ बांग्लादेशी और इंडियन करेंसी भी जब्त की है.


पूछताछ के दौरान उसने कहा कि वह गुरुग्राम में स्टार स्प्रिंग नाम से एक होटल का भी मालिक है. बीएसएफ अधिकारी ने बताया- हम उसके बयानों की जांच कर रहे हैं. जांच जारी है और दूसरी खुफिया एजेंसियों को भी सतर्क कर दिया गया है. हम मामले पर एक साथ काम कर रहे हैं. उनके लैपटॉप को स्कैन किया जा रहा है.


बताते चलें कि चीनी नागरिक जब बांग्लादेश से भारतीय सीमा में दाखिल हो रहा था तो बीएसएफ जवानों ने जब उसे रूकने की चुनौती दी तो उसने भागने की भी कोशिश की. लेकिन बीएसएफ ने उसे दबोच लिया. उधर चीन की सरकार ने इस बाबत एक स्टेटमेंट जारी किया है. उसने भारत की सरकार से अपील की है कि चीनी नागरिक के अधिकारों का हनन न किया जाए.


पुलिस ने जब हान जूनवे के बारे में और ज़्यादा जानकारी हासिल की तो पता लगा कि उसकी पढ़ाई चीनी सेना के स्कूल में हुई है जो हुबेई प्रदेश में मौजूद है. हुबेई की राजधानी वुहान है. वुहान वो शहर है जहां से पूरे विश्व में कोरोना संक्रमण फैला. ऐसे में इस व्यक्ति को किसी भी संदिग्ध नज़र से देखना कुछ ग़लत नहीं है. संदिग्ध आरोपी बनने के बाद इस चीनी नागरिक को अब मालदा के कालियाचक थाने में रखा गया है. आने वाले दिनों में पश्चिम बंगाल की स्पेशल टास्क फ़ोर्स इसकी जांच और पड़ताल करेगी. 


साइबर हमले को लेकर विशेषज्ञ क्या कहते हैं?


साइबर विशेषज्ञ अभिषेक मित्रा की मानें तो साइबर अटैक एक व्यापक अवधारणा है जिसके तहत बाहरी एजेंट दो तरह से कहर बरपा सकता है. एक व्यक्तिगत हमला है, जैसे कि जामताड़ा गिरोह. दूसरा कुछ दिनों पहले मुंबई पावर ग्रिड पर किया गया हमला है तो बड़े पैमाने पर होता है. साइबर हमलावरों का लक्ष्य बुनियादी ढांचे में रेंगना है जिसमें कुप्रबंधन के कारण छोटी खामियां हैं. सिम कार्ड का उपयोग कई कारणों से किया जा सकता है. हैकिंग सबसे महत्वपूर्ण है. ऐसा ही मामला 2016 में भी आया था जब पाकिस्तानी हैकर्स ने एनएसजी, त्रिवेंद्रम और कोच्चि एयरपोर्ट की सरकारी वेबसाइटों को अपने कब्जे में ले लिया था.


अभिषेक मित्रा ने कहा, “हैकिंग की प्रक्रिया में सिम कार्ड सबसे सरल इकाई हैं. ये नकली दस्तावेजों का उपयोग करके या क्लोनिंग द्वारा प्राप्त किए जाते हैं. किसी अन्य देश से भारतीय सिम कार्ड का उपयोग करना संभवतः किसी का विश्वास हासिल करने की रणनीति हो सकती है कि कॉल भारत से की जा रही है. कॉल को बैंक सेवा कॉल या स्थानीय नेटवर्क प्रदाता के ग्राहक कार्यकारी कॉल के रूप में प्रच्छन्न किया जा सकता है. यदि वे स्वयं को सेवा प्रदाता के रूप में प्रच्छन्न करते हैं, तो उनका उद्देश्य आपके सिम कार्ड का क्लोन बनाना है. इस तरह, आपके सभी संदेशों और बैंक संदेशों, ओटीपी और ईमेल को दूसरे व्यक्ति द्वारा एक्सेस किया जा सकता है. एक और इरादा वित्तीय धोखाधड़ी हो सकता है. वे ओटीपी मांगेंगे या आपको एक लिंक पर क्लिक करने के लिए मनाएंगे."


इसके साथ ही अभिषेक ने बताया की सिम कार्ड के मालिक का पता लगाना मुश्किल काम हैं क्योंकि ऑपरेटर उन्हें खरीदने के लिए अलग-अलग पहचान का उपयोग करना सुनिश्चित करते हैं. उन्होंने कहा, “एक से अधिक सिम कार्ड का उपयोग करने का एक अन्य संभावित कारण जांच एजेंसी को डायवर्ट करना है. भले ही साइबर विशेषज्ञ सिम कार्ड का पता लगा लेंगे लेकिन सिम के मालिक का पता लगाना मुश्किल होगा, क्योंकि ऑपरेटर उन्हें खरीदने के लिए अलग-अलग पहचान का उपयोग करना सुनिश्चित करते हैं. साइबर वार या जैव युद्ध किसी देश की अर्थव्यवस्था को पंगु बनाने के लिए लक्षित होते हैं. यह आधुनिक समय का युद्ध है. इस आधुनिक युद्ध से कितना नुकसान हो सकता है, वह किसी देश की सूचना प्रौद्योगिकी की ताकत पर निर्भर करता है. मूल संगठन के एजेंट देश की यात्रा करते हैं और ऐसे औद्योगिक एस्टेट में प्रवेश करते हैं और सिस्टम में ट्रोजन/मैलवेयर लगाते हैं ताकि वे चीन से काम कर सकें. ऑपरेटिंग सिस्टम में मैलवेयर डालने के कारण गैस स्टेशन में विस्फोट और पावर ग्रिड की विफलता हो सकती है. इससे पूरा देश एक साथ बंद हो जाएगा. एटीएम काम नहीं करेंगे, गैस लीक हो सकती है और बिजली गुल भी हो सकती है."


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