नई दिल्ली: चीन अपने भारतीय जासूसी नेटवर्क के जरिए प्रधानमंत्री कार्यालय समेत भारत के टॉप कार्यालयों मे सेंध लगाने की तैयारी में था. यह खुलासा दिल्ली में पकड़ी गई चीनी युवती और उसके साथियों से पूछताछ के दौरान सामने आया है. इस चीनी युवती को अहम दस्तावेज चीनी भाषा मे ट्रांसलेट कर चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी के एक लीडर की पत्नी को भेजने थे. यह चीनी युवती चीन के टॉप खुफिया और सुरक्षा अधिकारियों के संपर्क में थी.


दिल्ली पुलिस ने पिछले महीने एक चीनी युवती को गिरफ्तार किया था जिसका नाम क्विवसी था और ये इसी साल फरवरी महीने मे भारत आई थी. ये युवती एमजेड फार्मा गुरूगांव में कथित कर्मचारी के तौर पर काम कर रही थी. पिछले महीने जब एक सूचना के आधार पर दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने इसे इसके नेपाली साथी शेरबहादुर और एक पत्रकार राजीव शर्मा के साथ गिरफ्तार किया तो सनसनीखेज खुलासे हुए.


खुफिया सूत्रों के मुताबिक, जब इस चीनी युवती से पूछताछ की गई तो पता चला कि चीनी खुफिया एजेंसियों की प्रधानमंत्री कार्यालय समेत भारत के टॉप नेताओं और अधिकारियों के कार्यालयों मे भी सेंध लगाने की योजना थी. इसके लिए क्विवसी को कोलकाता की एक प्रभावशाली महिला से खुद चीनी महाबोधि टेंपल के प्रमुख मौंक ने मिलवाया था.


सूत्रों के मुताबिक, पूछताछ के दौरान पता चला कि क्विवसी को कहा गया था कि यह महिला जो दस्तावेज उसे देगी उसे उसका ट्रांसलेशन चीनी भाषा मे कर के चीन के कुछ बडे अधिकारियों समेत कम्यूनिस्ट पार्टी के एक लीडर की पत्नी मिसेज डिंग और मिस्टर चाऊ को भेजने है. दिलचस्प यह है कि इन टॉप कार्यालयों में सूचना लेने का बाकायदा एक फॉर्मेट तैयार किया गया था जिसमें ग्रेडिंग के हिसाब से जानकारी देने को कहा गया था. कार्यालय का नाम, अधिकारी का नाम, अधिकारी का पद, कार्यालय में कितना प्रभावशाली है, काम कराने में कितना तेज इस तरह की जानकारी देने के कहा गया था.


सूत्रों के मुताबिक, जांच के दौरान यह भी पता चला कि चीनी जासूसी के बदले क्विवसी को भारत में एक लाख रुपये  दिए जाते थे और इस बात की जांच की जा रही है कि दक्षिण दिल्ली के जिस मकान में क्विवसी रहती थी उसका 50 हजार रुपये किराया चीन का हैड मौंक देता था.


क्विवसी का साथी शेरबहादुर नेपाली है और ड्राइवरी का काम करता है. लेकिन पिछले साल इस नेपाली ड्राइवर को चीनी नेटवर्क ने अपनी गुरूगांव की एक कंपनी मे डायरेक्टर बना दिया. जबकि इसकी तनख्वाह मात्र 15 हजार रुपये थी औऱ इसका काम चीन के लिए काम करने वाले लोगों को क्विवसी के कहने पर सूचनाएं देने के बदले पैसा पहुंचाना था. पत्रकार राजीव शर्मा को भी इस नेपाली ने पैसे पहुंचाये थे.


इस चीनी नेटवर्क के खुलासे के दौरान जो इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बरामद हुए है उनकी गहन जांच का काम जारी है और अब तक की जांच के दौरान पता चला है कि क्विवसी चीनी खुफिया एजेंसी के अनेक टॉप अधिकारियों के संपर्क में थी जिनमें नेशनल सिक्योरिटी कमीशन का डायरेक्टर जनरल भी शामिल है.


चीनी युवती और उसके साथियों की पूछताछ के दौरान हुए खुलासे से सुरक्षा एजेंसियों में हड़कंप मच गया है और खुफिया एजेंसियों ने बयान के आधार पर पूरे मामले की गहन जांच शुरू कर दी है. साथ ही इस मामले में  कोलकाता समेत अनेक जगहों पर कई लोगों से पूछताछ का काम जारी है.


ध्यान रहे कि इस मामले में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने पिछले महीने एक पत्रकार राजीव शर्मा समेत चीनी युवती और उसके नेपाली साथी शेर बहादुर को गिरफ्तार किया था तीनों अभी भी तिहाड़ जेल में है.


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