चिराग पासवान ने अपने दिवंगत पिता को आवंटित सरकारी बंगला खाली कर दिया है. उन्होने इस दौरान कहा कि आज नहीं तो कल यह होना ही था. हमने कभी भी यह मांग नहीं की थी कि ये बंगला हमेशा के लिए हमें दिया जाए. यह बात जरूर है कि मेरे पिताजी की बहुत सारी यादें इस घर से जुड़ी हुई हैं.


चिराग पासवान ने कहा कि मैं जिस चीज का अधिकारी नहीं हूं, वह मुझे मिल भी नहीं सकता है और मैं जबरन रख भी नहीं सकता हूं. उन्होंने कहा कि हां वैसे जिस तरीके से मुझे घर छोड़ना पड़ रहा है, उस तरीके पर मुझे थोड़ी आपत्ति जरूर है. मेरे पिताजी के समय से ही उनके साथ काम करने वाले करीब 100 लोग यहां रहते हैं.




सरकार ने लोकसभा सांसद चिराग पासवान को उनके दिवंगत पिता रामविलास पासवान को आवंटित बंगले से बेदखल करने के लिए एक टीम भेजी थी. सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के तहत आने वाले संपदा निदेशालय ने पिछले साल चिराग पासवान को जारी बेदखली के आदेश को अमल में लाने के लिए अधिकारियों की टीम को जनपथ रोड स्थित बंगले पर भेजा है. इसके कुछ देर बाद सामान से भरे ट्रक को बंगले से निकलता देखा गया. 


अधिकारियों ने कहा कि 12-जनपथ बंगला केंद्रीय मंत्रियों के लिए निर्धारित है और सरकारी आवास में रहने वालों को इसे खाली करने के लिए कहा गया था. यह घर लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) का आधिकारिक पता रहा है, जो अब पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की मृत्यु के बाद चिराग पासवान और उनके चाचा पशुपति कुमार पारस के बीच दो गुटों में विभाजित हो गयी है. इसका इस्तेमाल पार्टी की संगठनात्मक बैठकों और अन्य संबंधित कार्यक्रमों के आयोजन के लिए नियमित रूप से किया जाता था.


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