नई दिल्ली: अपने चाचा पशुपति पारस की बग़ावत से अपनी पार्टी में टूट का सामना कर रहे चिराग पासवान ने समर्थकों और पार्टी नेताओं के नाम एक खुला पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने इस पूरे मसले पर अपना पक्ष रखा है. 


पार्टी में टूट के लिए चिराग पासवान और उनके समर्थक लगातार जेडीयू और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं. उनका आरोप है कि जेडीयू ने साज़िश करके पार्टी को तोड़ने का काम किया है.


चिराग ने बोला नीतीश पर हमला
पार्टी समर्थकों को लिखे अपने खुले पत्र में चिराग पासवान ने एक बार फिर नीतीश कुमार पर हमला बोला है. चिराग ने लिखा है कि 2014 में जब लोजपा ने भाजपा के साथ गठबंधन किया था तब नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाए जाने को लेकर एनडीए से नाता तोड़ लिया था. चिराग ने दावा किया है कि 2017 में जब नीतीश कुमार वापस एनडीए में लौटे तो रामविलास पासवान उनके साथ काम करने के इच्छुक नहीं थे. 


पार्टी में टूट के बाद चिराग पासवान बीजेपी के समर्थन मिलने की उम्मीद जताते रहे हैं लेकिन पार्टी सूत्रों के मुताबिक अब तक उन्हें वांछित समर्थन नहीं मिला है. इसका दर्द तब छलका था जब कुछ दिनों पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा था कि अगर हनुमान को राम से मदद मांगनी पड़े तो फिर काहे का हनुमान और काहे का राम. बिहार चुनाव में चिराग पासवान ने ख़ुद को मोदी का हनुमान कहा था. यही वजह है कि 2014 की याद दिलाकर नीतीश कुमार पर हमला करने के साथ-साथ प्रधानमंत्री के प्रति अपनी निष्ठा की भी याद दिला रहे हैं. 


चाचा पशुपति पारस को बिहार प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए जाने को लेकर उठ रहे सवालों का भी चिराग ने जवाब दिया है. उन्होंने दावा किया कि पशुपति पारस को इस पद से हटाने का फैसला खुद रामविलास पासवान का था. उनके मुताबिक रामविलास पासवान चाहते थे कि प्रिंस राज को भी पार्टी के लिए काम करने और सीखने का मौका मिलना चाहिए और इसलिए उन्हीं को बिहार प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. प्रिंस राज चिराग पासवान के चचेरे भाई हैं और वो भी पार्टी तोड़कर पशुपति पारस के साथ जा चुके हैं . 


‘रामविलास पासवान की विचारधार बचाने की लड़ाई है’
कार्यकर्ताओं को संदेश देते हुए चिराग पासवान ने कहा कि अपने चाचा से शुरू हुई उनकी लड़ाई लंबी और सैद्धांतिक है . उन्होंने कहा कि ये लड़ाई किसी व्यक्ति विशेष की नहीं बल्कि रामविलास पासवान की विचारधारा को बचाने की है. चिराग पासवान ने फिर कहा कि वही असली एलजेपी हैं और पत्र में लिखा - " मैं वादा करता हूं कि लोक जनशक्ति पार्टी हमारी थी और हमारी रहेगी .... उसे कोई हमसे छीन नहीं सकता" .