Chittaranjan Das Death Anniversary: 'देशबंधु' से जुड़े गुमनाम रोचक तथ्यों को जानें, ऐसे बने लोगों के लिए मिसाल
Chittaranjan Das Death Anniversary: आज आजादी के मतवाले चित्तरंजन दास की 96वीं पुण्यतिथि है. उनके बारे में कुछ रोचक बातों की जानकारी बहुत ज्यादा सार्वजनिक नहीं है.
चितरंजन दास के बिना भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का इतिहास पूरा नहीं होगा. देशबंधु या सीआर दास के नाम से लोकप्रिय चितरंजन दास स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिक कार्यकर्ता और मशहूर वकील थे. 5 नवंबर, 1870 को उनका जन्म हुआ. उन्होंने कोलकाता के प्रेसिडेंसी कॉलेज से 1890 में पढ़ाई पूरी की. 1890 में भारतीय सिविल सर्विस की परीक्षा देने के लिए इंग्लैंड गए लेकिन नाकामी हाथ लगी. उसके बजाए उन्होंने लंदन में कानून का पेशा अपनाया. इंग्लैंड में अपने प्रवास के दौरान दास ने दादाभाई नैरोजी को ब्रिटेन की संसद के निचले सदन हाउस ऑफ कॉमन्स में भेजने के लिए अभियान चलाया. इस तरह नैरोजी 1892 में पहले एशियाई मूल के व्यक्ति वेस्टमिंस्टर का हिस्सा बननेवाले हुए.
दो साल बाद भारत लौटने पर उन्होंने कलक्ता हाईकोर्ट में वकालत शुरू की. उनके पिता भुवन मोहन दास भी कलकत्ता हाईकोर्ट में सॉलिसिटर के पद पर थे. कानूनी पेशे में रहते हुए उनकी शोहरत बढ़ती चली गई. औरोबिन्दो घोष की अलीपुर बम प्रकरण में सफलतापूर्वक पैरवी ने शोहरत को और बढ़ाया. उस प्रकरण में घोष मुख्य अभियुक्त थे और दास ने उनकी रिहाई में अहम भूमिका निभाई. बाद में दास ने छह वर्षों के लिए राजनीति में कदम रखा. ब्रिटिश शासन काल के दौरान दास बंगाल में स्वराज पार्टी के संस्थापक नेता थे. महात्मा गांधी की अगुवाई में असहयोग आंदोलन का दास हिस्सा बने. इस दौरान दास, उनकी पत्नी और उनके बेटे को 1921 में आंदोलन में भाग लेने पर छह महीने के लिए जेल की सजा हुई. बार-बार महात्मा गांधी ने दास के प्रति अपने प्रेम को जाहिर किया है और देश की आजादी के लिए किए गए उनके प्रयासों की सराहना की. उनकी मौत 16 जून, 1925 को हुई.
96वीं पुण्यतिथि के बारे में कुछ दिलचस्प जानकारी
- 1. चितरंजन दास का जन्म कलकत्ता के एक प्रतिष्ठित ब्राह्मण परिवार में हुआ था.
- 2. सम्मान के तौर पर चितरंजन को देशबंधु के नाम से संबोधित किया जाता है.
- 3. उनका जुड़ाव कई साहित्यिक सोसायटी से था और निबंध, कविता, लेख लिखे.
- 4. चितरंजन ने शादी बसंती देवी से की थी और जोड़े से तीन बच्चों का जन्म हुआ.
- 5. असहयोग आंदोलन के दौरान बंगाल में उन्होंने ब्रिटिश कपड़ों पर बैन शुरू किया.
- 6. उन्होंने खुद के यूरोपीय कपड़ों को जलाकर और खादी के समर्थन में मिसाल पेश किया.
- 7. आजादी के आंदोलन में शामिल होने के साथ उन्होंने अपनी विलासिता को त्याग दिया.
- 8. उन्होंने फॉरवर्ड नाम से एक अखबार का प्रकाशन किया, बाद में उसका नाम बदल दिया.
- 9. कलकत्ता म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन के गठन पर चितरंजन दास पहले उसके मेयर बने.
- 10. काम के बोझ से उनकी सेहत खराब होने लगी और 16 जून, 1925 को मौत हो गई.
- 11. उनके दिल में हिंदू-मुसलमान के लिए अंतर नहीं था, उनका सिर्फ आजादी का सपना था.
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