Christmas Day 2018 : जानिए क्यों मनाया जाता है क्रिसमस का त्योहार, क्या खास होता है इस दिन
आज से हजारों साल पहले गेब्रियल नामक एक स्वर्गदूत ने मरियम को दर्शन दिया और कहा कि वह पवित्र आत्मा की ओर से गर्भवती होंगी और एक पुत्र को जन्म देंगी. स्वर्गदूत ने उस बच्चे का नाम यीशु रखने को कहा.
नई दिल्ली: हर साल दिसंबर के 25 तारीख को पूरी दुनिया में क्रिसमस का त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. इस त्योहार का जस्न 24 दिसंबर की रात से ही शुरू हो जाता है. इस दिन को इसाई समुदाई के लोग यीशु मसीह के जन्मदिन के तौर पर मनाते हैं.
यीशु का जन्म बैतलहम में 336 AD में हुआ. शुरुआत में 25 दिसंबर को उनका जन्मदिवस नहीं मनाया जाता ता लेकिन क्रिश्चियन रोमन सम्राट कांस्टेंटाइन द ग्रेट ने घोषणा की कि 25 दिसंबर को ईसा मसीह के जन्मदिवस को क्रिसमस के रूप में मनाया जाएगा.
उसके बाद से ही यह त्यौहार मनाया जा रहा है. आज यह पूरी दुनिया में मनाए जाने वाला सबसे बड़ा त्योहार है. इसमें सिर्फ क्रिसचन समुदय के ही लोग नहीं बल्कि सबी धर्मों के लोग सरीक होते हैं.
कैसे हुआ यीशू मसीह जन्म
आज से हजारों साल पहले गेब्रियल नामक एक स्वर्गदूत ने मरियम को दर्शन दिया और कहा कि तू पवित्र आत्मा की ओर से गर्भवती होगी और एक पुत्र जन्म देगी. उसका नाम यीशु रखना. जब इस बात की जानकारी मरियम के मंगेतर यूसुफ को हुआ तो उसे बदनामी का डर हुआ. उसने बदनामी के डर से मरियम को छोड़ने का मन बनाया. लेकिन उसके विचारों को जानकर उसी स्वर्गदूत ने यूसुफ से कहा कि मरियम पवित्र आत्मा की ओर से गर्भवती है उसे अपने यहां लाने से मत डर. स्वर्गदूत की बात सुनने के बाद यूसुफ ने मरियम से सादी की और अपने घर ले आया.
बता दें कि उस समय नासरत रोमन सामराज्य का हिस्सा था. जब मरियम गर्भवती थी तब उस राज्य में जनगणना शुरू हुआ. तब नियमों के चलते यूसुफ भी अपनी पत्नी मरियम को लेकर नाम लिखवाने येरूशलम के बैतलहम नगर को चला गया. वहां उन्हंने एक गौशाले में शरण ली और यहीं एक बच्चे को जन्म दिया. बच्चे को जन्म देने के बाद उन्होंने उसे पकड़े में लपेटकर एक टोकरी में रख दिया. इसी बाच वहां के चरवाहों को जैसे ही पता चला कि यीशु का जन्म हुआ है. वह सभी दर्शन करने पहुंच गए.
मसीह का जन्म ईसाई धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण की घटना है. यह माना जाता है कि भगवान ने अपने पुत्र को पृथ्वी पर पापों से दुनिया के लोगों को छुड़ाने के लिए भेजा है.
बताया जाता है कि 30 साल की उम्र तक उन्होंने कई जगहों पर घूमकर लोगों की सेवा की. उनके अदृभुत चमत्कारों का हर कोई मुरीद था. यीशु को उनकी मृत्यु का भी पूर्वाभास हो गया था और उन्होंने अपने अनुयायियों को ये सब बात बताई थी. उन्होंने क्रूस पर झूलते हुए भी उनको मारने वाले लोगों के लिए ईश्वर से प्राथना मांगी थी कि प्रभु इन्हें क्षमा कर देना, ये नादान हैं.
कैसे मनया जाता है क्रिसमस का त्यौहार
बहुत सारे लोग 25 दिसंबर की रात को चर्च में सामूहिक रूप से उपस्थित होते हैं और उसके बाद 25 को दिन मों क्रिसमस की शानदार दावत दी जाती है. बच्चों के लिए क्रिसमस कैरोल और सांता क्लॉज उत्सव का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. इस दिन चर्च के गायक क्रिसमस कैरोल गाते हैं, जबकि कुछ लोग कैंडीज से भरे बैग के साथ सांता क्लॉज के रूप में तैयार होते हैं और बच्चों को वह कैंडीज देते हैं.
इस दौरान क्रिसमस ट्री को रंगीन घंटियों, मोमबत्तियों, कैंडी, सितारों और अलग-अलग गिफ्ट से सजाया जाता है. क्रिसमस की अधिकांश सजावट में चार रंग शामिल होते हैं - लाल, हरा, सुनहरा और सफेद, और इनका अपना महत्व भी होता है. हरा रंग अनन्त जीवन को दर्शाता है, लाल रंग को मसीह शेड का संकेत देता है, सुनहरा रंग शाही जीवन को दर्शाता है और सफेद शांति को दर्शाता है.
क्रिसमस के दिन स्वादिष्ट भोजन करने को मिलता है. इस दौरान पूरा परिवार एक साथ इसका आनंद लेता है. पारंपरिक क्रिसमस भोजन में भुना हुआ टर्की, जिंजरब्रेड, भुना हुआ चिकन, क्रिसमस केक, बैंगन, मसले हुए आलू और शराब जैसे व्यंजन शामिल होते हैं.