Chunavi Kissa: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए सभी दलों की तैयारियां अंतिम पड़ाव पर हैं. चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है और 19 अप्रैल को मतदान का पहला चरण होगा. देश की 543 लोकसभा सीटों पर 7 चरण में चुनाव होना है. यहां हम 1992 लोकसभा उपचुनाव की कहानी बता रहे हैं. इस उपचुनाव में शत्रुघ्न सिन्हा और राजेश खन्ना आमने-सामने थे. इस चुनाव के कारण दोनों की दोस्ती में दरार आ गई थी.


1990 में फिल्मों से दूरी बनाने के बाद सुपरस्टार राजेश खन्ना ने राजनीति में एंट्री ली. राजीव गांधी ने उन्हें 1992 में नई दिल्ली लोकसभा सीट से टिकट दिया. उनके सामने बीजेपी के लालकृष्ण आडवाणी की चुनौती थी. राजेश खन्ना को हार का सामना करना पड़ा, लेकिन आडवाणी ने गांधीनगर से भी चुनाव लड़ा था. ऐसे में उन्होंने नई दिल्ली की सीट छोड़ दी और उपचुनाव में राजेश खन्ना को दूसरा मौका मिला. हार के बावजूद राजेश को काफी समर्थन मिला था. इस वजह से वह दोबारा इसी सीट पर चुनाव लड़े.


चुनाव में टूट गई दोस्ती

उपचुनाव में बीजेपी ने शुत्रुघ्न सिन्हा को राजेश खन्ना के खिलाफ टिकट दिया. इससे राजेश नाराज हो गए और शत्रुघ्न के साथ उनकी दोस्ती में दरार आ गई. राजेश खन्ना उपचुनाव जीते और 1996 तक नई दिल्ली के सांसद रहे. 1996 में जगमोहन के खिलाफ उन्हें 50 हजार से ज्यादा वोट के अंतर से हार झेलनी पड़ी. जगमोहन पहले नौकरशाह थे और जनता ने उन्हें दिल खोलकर वोट दिया. इसके बाद राजेश का राजनीति से मोहभंग हो गया और उन्होंने इससे दूरी बना ली.


नहीं माने राजेश खन्ना

भारतीय सिनेमा जगत के पहले सुपरस्टार कहे जाने वाले राजेश खन्ना 1992 में शुत्रुघ्न सिन्हा से इतना गुस्सा हो गए थे कि वह जीवन भर नहीं माने. शत्रुघ्न सिन्हा ने खुद एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्होंने कई बार राजेश खन्ना को समझाने का प्रयास किया, लेकिन वह नहीं माने. शत्रुघ्न के खिलाफ वह 25 हजार वोट के अंतर से चुनाव जीते थे, लेकिन कभी अपने दोस्त को माफ नहीं किया.

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