नई दिल्लीः अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए 'सेंट्रल इंटेलीजेंस एजेंसी' ने अपनी वर्ल्ड फैक्टबुक के हालिया एडिशन में भारत के विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) और बजरंग दल को धार्मिक आतंकी संगठन बताया है. अमेरिकी सरकार के इंटेलीजेंस विंग ने इन संगठनों को राजनीतिक दबाव बनाने वाले संगठन के तौर पर बताते हुए कहा है कि ये ऐसे संगठन हैं जो राजनीति में कार्यरत हैं और राजनीतिक दबाव भी बनाते हैं लेकिन इनके नेता किसी विधायी चुनाव में नहीं लड़ते हैं.


इसके अलावा सीआईए ने आरएसएस, हुर्रियत कॉन्फ्रेंस और जमात उलेमा-ए-हिंद को भी राजनीतिक दबाव बनाने वाले संगठन की श्रेणी में रखा है और इसमें से आरएसएस को राष्ट्रवादी संगठन, हुर्रियत कॉन्फ्रेंस को अलगाववादी समूह और जमात उलेमा-ए-हिंद को धार्मिक संगठन के तौर पर बताया है.


सीआईए की इस रिपोर्ट को लेकर अब वीएचपी ने जवाब दिया है कि सीआईए द्वारा विश्व हिन्दू परिषद् और बजरंग दल को धार्मिक उग्रवादी संगठन घोषित करना घोर आपत्तिजनक, अपमानजनक तथा तथ्यों से परे है. ये संगठन पूर्ण रूप से देश भक्त हैं तथा इनकी गतिविधियां राष्ट्र को समर्पित हैं. 60 हजार से अधिक एकल विद्यालय तथा एक हजार से अधिक अन्य सेवा कार्य करते हुए विहिप देश के समग्र विकास के लिए समर्पित है. देश हित और हिंदू हितों के साथ ये संगठन कभी समझौता नहीं करते. इन सब तथ्यों की जानकारी सीआईए को न हो, ये संभव नहीं है. इसके बावजूद ये अनर्गल आरोप लगाना किसी निहित स्वार्थ के कारण ही संभव है. संभवतः भारत के चर्चों द्वारा लिखे गए पत्र भी इस षडयंत्र के भाग हैं.

अमेरिकी सरकार को अपनी एजेंसी को आदेश देना चाहिए कि त्रुटियों में सुधार कर भारत की जनता से क्षमा याचना करे. अगर जल्द ही ये सुधार नहीं हुआ तो विश्व हिन्दू परिषद वैश्विक स्तर पर सीआईए के खिलाफ आंदोलन छेड़ेगा.




बीजेपी संवाद सेल के पूर्व संयोजक खेमचंद शर्मा ने आज सीआईए के दावे को खारिज कर दिया और कहा कि ये एक फर्जी खबर है. उन्होंने ये भी कहा कि एजेंसी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि हम वीएचपी और बजरंग दल को धार्मिक उग्रवादी संगठन बताने के दावे को पूरी तरह नकारते हैं और ये संगठन राष्ट्रवादी संगठन हैं ये सभी जानते हैं. शर्मा ने ट्वीट कर कहा कि इस रेफरेंस के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के तहत प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगाी.


अमेरिकी एजेंसी सीआईए सालाना एक वर्ल्ड फैक्टबुक प्रकाशित करती है जिसमें वो इंटेलीजेंस से जुड़े और तथ्यात्मक रेफरेंस सामग्री या मुद्दे अमेरिकी सरकार को मुहैया कराती है. इसमें इतिहास, लोगों की, सरकार की, एनर्जी, भूगोल, संचार, परिवहन, मिलिट्री और राष्ट्रीय जानकारी दी गई होती है. ये डेटा 267 देशों को मुहैया कराया जाता है. एजेंसी इस सामग्री को साल 1962 से प्रकाशित करती आ रही है लेकिन इसने इसे सार्वजनिक 1975 में करना शुरू किया.