Subramanium Swamy RTI: ‘चीनी अतिक्रमण पर सुब्रमण्यम स्वामी की RTI का दें जवाब’, केंद्रीय चुनाव आयोग का केंद्र सरकार को निर्देश
CIC On Subramanium Swami RTI: चीन ने भारत के कितने भूभाग पर कब्जा किया है, इस बारे में जानने के लिए सुब्रमण्यम स्वामी ने RTI किया था, लेकिन केंद्र सरकार ने संतोषजनक जवाब नहीं दिया था.
CIC On Subramanium Swami RTI On China: वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन के कथित अतिक्रमण को लेकर बीजेपी के पूर्व राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी की आरटीआई पर जवाब देने का निर्देश केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने दिया है. सोमवार (11 मार्च) को सीआईसी ने केंद्र सरकार को 1996 के बाद से चीन द्वारा किसी भी अवैध घुसपैठ से संबंधित जानकारी स्वामी के को देने का निर्देश दिया है.
नवंबर 2022 में दायर आरटीआई आवेदन में स्वामी ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अवैध घुसपैठ और 1996 और 2014 के बाद से चीन की ओर से भारत के किसी भी भूभाग के अधिग्रहण के बारे में विवरण मांगा था.
केंद्र से मिले जवाब से असंतुष्ट स्वामी ने सीआईसी के समक्ष दूसरी अपील दायर की थी.
क्या कहना है मुख्य सूचना आयुक्त का?
स्वामी की अपील पर अपने फैसले में मुख्य सूचना आयुक्त हीरालाल सामरिया ने विदेश मंत्रालय के जन सूचना अधिकारी (पीआईओ) को स्वामी के आरटीआई आवेदन पर दोबारा गौर करने और उनके प्रश्नों का बिंदुवार जवाब देने का निर्देश दिया है.
क्या है मामला?
बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत केंद्र सरकार से “भारतीय क्षेत्र पर चीनी अतिक्रमण” का विवरण आरटीआई के जरिए मांगा था लेकिन उस पर केंद्र से जवाब नहीं मिला. स्वामी ने कहा कि उन्होंने नवंबर 2022 में एक आरटीआई आवेदन दायर कर गृह मंत्रालय से यह बताने के लिए कहा था कि “1996 में पारस्परिक रूप से सहमत वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना द्वारा किस हद तक भारतीय भूभाग का अधिग्रहण किया गया है.”
याचिका में कहा गया है कि आरटीआई आवेदन में यह भी जानना चाहा गया है कि 2014 के बाद से बफर जोन या ‘नो मैन्स लैंड’ के निर्माण के कारण कितनी भारतीय “संप्रभु भूमि खो गई है. 1996 के बाद से पारस्परिक रूप से सहमत वास्तविक नियंत्रण रेखा के पार भारतीय क्षेत्र में चीनी सैन्य घुसपैठ कितनी बार हुई है और किस समझौते के तहत भारत ने अक्साई चिन क्षेत्र चीन को सौंप दिया था. केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर इस पर उचित जवाब नहीं दिया था.