मुंबई: महाराष्ट्र सीआईडी ने पालघर में दो साधुओं और उनके ड्राइवर की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर की गई हत्या के मामले में आरोप पत्र दाखिल किया है. जिसमें कहा गया कि यह घटना इलाके में बच्चा चोरी के गिरोहों के सक्रिय होने की अफवाहें फैलने की वजह से हुई.


ऐसी अफवाहें थीं कि इन गिरोहों के सदस्य साधू की वेशभूषा या पुलिसकर्मियों की वर्दी पहनकर बच्चा चोरी करते हैं. एक अधिकारी ने बताया कि अपराध जांच विभाग (सीआईडी) ने बुधवार को पालघर जिले की धानू तालुका में प्रथम श्रेणी की न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में 4,955 पन्ने का आरोप पत्र दाखिल किया.


पालघर जिले के गढचिंचाले गांव में 16 अप्रैल को भीड़ ने दो साधुओं और उनके ड्राइवर की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. यह घटना उस वक्त हुई थी जब वे सभी एक कार से सूरत में अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने जा रहे थे. अधिकारी ने बताया, ‘‘आरोप पत्र के अनुसार भीड़ के पीट-पीटकर हत्या करने की घटना से कुछ दिनों पहले गढचिंचाले गांव और आसपास के इलाकों में बच्चा चोरी करने के गिरोहों की अफवाहें फैली.’’

सोशल मीडिया पर बच्चा चोरी गिरोह को लेकर के चल रहे थे संदेश


उन्होंने बताया, ‘‘जांच के दौरान यह सामने आया है और साधुओं की पीट-पीटकर हत्या करने की किसी और वजह को खारिज किया जाता है.’ अधिकारी ने बताया कि सीआईडी ने इलाके में सोशल मीडिया मंचों पर बच्चा चोरी करने के गिराहों के बारे में चल रहे संदेशों और पोस्टों समेत साइबर साक्ष्य भी एकत्रित किए.


उन्होंने कहा, ‘‘इन संदेशों और पोस्टों में कहा गया कि इन गिरोहों के सदस्य साधू, डॉक्टरों, पुलिस अधिकारियों, वन या अन्य विभागों के अधिकारियों की वेशभूषा में गांव में आ सकते हैं.’’ पालघर में कासा पुलिस थाने में मामले के संबंध में तीन अलग-अलग मामले दर्ज किए गए. इस मामले की जांच 21 अप्रैल को राज्य सीआईडी को सौंपी गई.


मामले में 154 लोगों को और 11 नाबालिकों को हिरासत में लिया गया


अधिकारी ने बताया कि घटना के संबंध में 154 लोगों को गिरफ्तार किया गया और 11 नाबालिगों को हिरासत में लिया गया. अभी तक किसी भी आरोपी को जमानत पर रिहा नहीं किया गया है.

कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लगाए लॉकडाउन के दौरान विशेष आईजीपी (पश्चिम), सीआईडी प्रवीण सालुंके के नेतृत्व में टीम ने जांच की. जांच से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘महामारी का सबसे चुनौतीपूर्ण वक्त था और मामले में जांच मुश्किल थी क्योंकि सैकड़ों लोगों को पूछताछ के लिए बुलाया जाना था.’’


घटना के बाद पु्लिस थाने के प्रभारी समेत अन्य पुलिसकर्मियों को किया गया निलंबित


उन्होंने बताया कि टीम को सबूत जुटाने, आरोपियों को पकड़ने और इलाके में तलाशी और बरामदगी के लिए वहां डेरा डालना पड़ा. इस घटना के पीड़ितों की पहचान चिकने महाराज कल्पवृक्षगिरि (70), सुशील गिरि महाराज (35) और उनके ड्राइवर निलेश तेलगडे (30) के रूप में की गई.


घटना को लेकर हुए हंगामे के बाद राज्य सरकार ने कासा पुलिस थाने के प्रभारी आनंदराव काले और कुछ अन्य पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया. इसके अलावा 35 से अधिक पुलिस कांस्टेबलों और अन्य पुलिसकर्मियों का तबादला कर दिया गया.

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