लखनऊ: उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में नागरिकता कानून के विरोध में हुए हिंसक प्रदर्शनों में मरने वालों की संख्या बढ़कर 15 हो गई है. इनमें आठ साल का बच्चा भी शामिल है. पुलिस महानिरीक्षक (कानून-व्यवस्था) प्रवीण कुमार ने शनिवार को बताया कि प्रदेश के विभिन्न जिलों में हुई हिंसा में अब तक 15 लोग मारे जा चुके हैं. इनमें से मेरठ में चार, फिरोजाबाद में तीन, कानपुर और बिजनौर में दो-दो, वाराणसी, संभल और लखनऊ में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई है. वाराणसी में भगदड़ में आठ साल के एक बच्चे की मौत हो गई.


उन्होंने बताया कि हिंसा की वारदात में 263 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं, जिनमें से 57 को गोली लगी है. पुलिस महानिदेशक ओमप्रकाश सिंह का कहना है कि पुलिस ने किसी पर भी गोली नहीं चलाई और जो लोग गोली लगने से मरे हैं वे प्रदर्शनकारियों के बीच हुई क्रॉस फायरिंग की जद में आने के कारण मारे गए हैं. उन्होंने जोर देते हुए कहा अगर किसी व्यक्ति की पुलिस की गोली लगने से मौत हुई है तो हम उसकी न्यायिक जांच कराकर कार्रवाई करेंगे. मगर सच्चाई यह है कि पुलिस ने गोली नहीं चलाई.


इस बीच कानपुर में शनिवार को पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच फिर संघर्ष हुआ. अपर पुलिस महानिदेशक प्रेम प्रकाश ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने यतीमखाना पुलिस चौकी को आग के हवाले कर दिया. इस दौरान जबरदस्त पथराव भी हुआ जिसमें कई लोग घायल हो गए. उन्होंने बताया कि बाबूपुरवा, नयी सडक, मूलगंज, दलेलपुरवा, हलीम कालेज और अन्य मुस्लिम बहुल इलाकों में लोगों ने सडकों और गलियों में एकत्र होकर प्रदर्शन किया. प्रकाश ने बताया कि सपा विधायक अमिताभ बाजपेयी और पूर्व विधायक एवं सपा नेता कमलेश दिवाकर को एहतियातन गिरफ्तार कर लिया गया है . दोनों नेताओं की गाडियों को भी सीज कर दिया गया है.


आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक संशोधित नागरिकता कानून जिला रामपुर में भी शनिवार को हिंसा भड़क उठी. इस दौरान हुए पथराव में कई पुलिसकर्मियों समेत अनेक लोग जख्मी हो गए. करीब चार-पांच सौ लोगों की भीड़ ने हिंसा की. इस दौरान पांच लोगों को हिरासत में लिया गया. जिलाधिकारी आंजनेय सिंह ने बताया कि 12 से 18 साल के बीच के लड़कों ने भी पथराव किया. उन्होंने बताया कि उन्हें इस वारदात में कुछ बाहरी तत्वों के शामिल होने की आशंका है.


उधर 4 दिन तक शांतिपूर्ण माहौल के बाद अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में शनिवार को फिर से विरोध प्रदर्शन हुआ. विश्वविद्यालय के शिक्षकों और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों ने साथ मिलकर नए नागरिकता कानून का विरोध जताया. प्रदर्शनकारियों ने शुक्रवार को शहर के शाह जमाल इलाके में प्रदर्शनकारियों की भीड़ पर पुलिस द्वारा किए गए हल्के बल प्रयोग का भी विरोध किया. गौरतलब है कि शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद राज्य के मेरठ, फिरोजाबाद, गोरखपुर, गाजियाबाद समेत करीब 20 जिलों में जिलों में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच संघर्ष हुआ था.


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मुलाकात की. योगी ने शुक्रवार देर रात जारी बयान में पूरे प्रदेश में शांति बहाली की अपील करते हुए कहा कि लोग अफवाहों में न पड़ें और उपद्रवी तत्वों के उकसावे में भी न आएं. लखनऊ, कानपुर, इलाहाबाद, आगरा, अलीगढ, गाजियाबाद, वाराणसी, मथुरा, मेरठ, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, बरेली, फिरोजाबाद, पीलीभीत, रामपुर, सहारनपुर, शामली, संभल, अमरोहा, मउ, आजमगढ़ और सुल्तानपुर सहित कई बडे शहरों में इंटरनेट सेवाएं बंद हैं.


पुलिस महानिदेशक ओमप्रकाश सिंह का कहना है कि प्रदर्शनकारियों ने महिलाओं व बच्चों को ढाल बनाया था. बच्चों को नहीं पता है कि नागरिकता क्या है और वे पत्थरों के साथ वहां मौजूद थे. राज्य के 75 जिलों में से एक चौथाई हिंसा के कारण प्रभावित हुए. उन्होंने कहा कि भीड को तितर बितर करने के लिए पुलिस के पास लाठीचार्ज के अलावा और कोई रास्ता नहीं था. आंसू गैस के गोले भी दागे गये.


सिंह ने कहा कि हिंसा में बाहरी लोगों का हाथ है. सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि हिंसा में एनजीओ और राजनीतिक लोग भी शामिल हो सकते हैं. लखनऊ में गुरुवार को हुई हिंसा के मामले में 218 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इस सवाल पर कि क्या हिंसा में बांग्लादेश के लोग शामिल हो सकते हैं, सिंह ने कहा कि जांच करा रहे हैं. विवेचना में हमारी टीम सभी एंगल देख रही है .


इस बीच लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कलानिधि नैथानी ने दावा किया कि अराजक तत्व शहर छोड़कर भाग गये हैं. जिन लोगों ने भीड़ को भड़काकर एकत्र किया है, उन पर भी कार्रवाई की जाएगी. हम तथ्यों के आधार पर कार्रवाई सुनिश्चित कर रहे हैं.


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