नई दिल्ली: संशोधित नागरिकता कानून (CAA) को लेकर विपक्ष मोदी सरकार पर हमलावर है और देशभर के अलग-अलग हिस्सों में भारी प्रदर्शन हो रहे हैं. विपक्षी दलों और प्रदर्शनकारियों का कहना है कि संशोधित नागरिकता कानून का संबंध सीधा एनआरसी से है. सीएए के लागू होने के बाद देशभर में एनआरसी लाया जाएगा, एनआरसी में सभी को नागरिकता साबित करनी होगी.


अब विपक्ष की आरोपों के बीच गृहमंत्री अमित शाह ने एक टीवी कार्यक्रम में कहा कि मैं स्पष्ट कर देता हूं कि NRC से किसी भी धर्म के भारतीय नागरिक को डरने की ज़रूरत नहीं है, आपको कोई बाहर नहीं कर सकता.


अमित शाह ने वीडियो के साथ ट्वीट किया, ''अल्पसंख्यक समुदाय के लिए सरकार विशेष व्यवस्था करेगी क्योंकि विपक्ष ने उनमें भय फैलाया है. मगर जो घुसपैठिए हैं वो कोई भी हों उनको देश से जाना ही होगा.''


गृहमंत्री ने कहा, ''NRC में धर्म के आधार पर कोई कार्यवाही नहीं होनी. जो भी NRC के तहत इस देश का नागरिक नहीं पाया जायेगा सबको निकाला जायेगा. आज अपने ही लाये क़ानून का विरोध करने वाले गुलाम नबी आजाद और सोनिया गांधी से पूछना चाहता हूं कि क्या आप कानून शोकेस में रखने के लिए लाये थे?''


अमित शाह ने कहा, ''देश का विभाजन कभी भी धर्म के आधार पर नहीं होना चाहिए था मगर हुआ. नेहरू-लियाकत समझौते में दोनों देशों ने अपने यहाँ के अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी ली. पर जब पाकिस्तान ने इस समझौते का पालन नहीं किया तो वहाँ के अल्पसंख्यकों का अधिकार था कि उन्हें भारत की नागरिकता दी जाये.


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नागरिकता संशोधन कानून के मुताबिक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न सहने वाले और 31 दिसम्बर 2014 तक आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को अवैध शरणार्थी नहीं बल्कि भारतीय नागरिक माना जाएगा. इस कानून में मुसलमानों का जिक्र नहीं है. अब इसी को एनआरसी से जोड़कर दावा किया जा रहा है कि अगर मुस्लिम कागजात दिखाने में नाकामयाब रहे तो उनकी नागरिकता छिन जाएगी.


गैर बीजेपी शासित ज्यादातर राज्यों की सरकार ने कहा है कि वह एनआरसी और सीएए को लागू नहीं होने देगी. मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में विपक्षी दलों के नेताओं ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की थी.


इस दौरान नेताओं ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले छात्रों पर पुलिसिया कार्रवाई को लेकर एतराज जताया था और राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग की थी. साथ ही कहा था कि राष्ट्रपति नागरिकता संशोधन कानून को वापस लें.


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