CAA के बाद NRC को लेकर भी खौफ! मुंबई में मुसलमान परेशान, डॉक्यूमेंट्स में सही करा रहे गड़बड़ियां
Citizenship Amendment Act 2019: सीएए देश में लागू किया जा चुका है. सीएए के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर-हिंदुओं को भारत की नागरिकता दी जाएगी.
Citizenship (Amendment) Act, 2019: नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 (सीएए) के आने के बाद महाराष्ट्र के मुंबई में मुस्लिम समाज के कुछ लोग असमंजस में हैं. वे इन दिनों अपने डॉक्यूमेंट्स को जुटाने और उनमें छोटी-मोटी गलतियों को सही कराने में लगे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें आशंका है कि सीएए के बाद आने वाले समय में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) भी जल्द लागू किया जा सकता है.
मुंबई सेंट्रल में काम करने वाले 52 साल के मोहम्मद आसिफ से जब इस बारे में अंग्रेजी अखबार 'दि हिंदू' ने बात की तो पता चला कि फिलहाल वह भी अपने डॉक्यूमेंट्स को लेकर थोड़ा परेशान हैं. चूंकि, उन्हें डर सता रहा है कि कहीं एनआरसी न लागू कर दिया जाए इसलिए वह नदीम सिद्दीकी नाम के एडवोकेट के पास सलाह लेने पहुंच गए कि कैसे दस्तावेजों में गड़बड़ियां सही कराई जाएं.
डॉक्यूमेंट्स में नजर आईं ऐसी गलतियां
मोहम्मद आसिफ के मुताबिक, "मेरे आधार कार्ड में मेरा नाम शेख आसिफ इकबाल हुसैन लिखा है. उसमें मोहम्मद का जिक्र नहीं है, जबकि मेरे जन्म प्रमाण-पत्र में आपको सिर्फ मोहम्मद आसिफ लिखा मिलेगा. ऐसे में मुझे इसे सही कराना पड़ेगा, ताकि सभी दस्तावेजों में मेरा नाम मेल खाए और एक जैसा रहे."
"CAA-NRC को लेकर डरे हैं मुसलमान!"
नदीम सिद्दीकी ने बताया, "रमजान में तो भीड़ पहले के मुकाबले कम है. पहले हमारे पास अधिक लोग आ रहे थे." उनके यहां हर रोज 55 से 70 लोग आते थे. वकील नदीम सिद्दीकी की तरह सलमान कुरेशी भी लोगों की मदद करते हैं. 29 मार्च, 2024 को फोरएम लीगल एसोसिएट्स की ओर से डॉक्यूमेंटेशन कैंप का आयोजन किया गया था. उन्होंने दावा किया- सीएए और एनआरसी के आने का डर बढ़ा है और खासकर यह मुसलमानों में देखने को मिला है.
क्या है CAA?
सीएए देश में लागू किया जा चुका है. सीएए के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर-हिंदुओं को भारत की नागरिकता दी जाएगी. सीएए के जरिए इन देशों से आए हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी समुदाय के लोगों को भारत की नागरिकता दिए जाने का प्रावधान है. हालांकि, संसद के दोनों सदनों से सीएए 11 दिसंबर, 2019 में पारित किया गया था. यह कानून उन लोगों पर लागू होगा, जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए थे.
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