CAA: नियम बनाने के लिए गृह मंत्रालय ने और मांगा समय, दो साल में 5 बार बढ़ी समयसीमा
CAA का उद्देश्य पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के हिंदुओं, सिखों, जैनियों, बौद्धों, पारसियों और ईसाइयों जैसे प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है.
Citizenship Amendment Act: केंद्रीय गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) ने संसदीय समितियों से संपर्क करके संशोधित नागरिकता कानून (CAA) के तहत नियम बनाने के लिए और समय का अनुरोध किया है. CAA के माध्यम से मोदी सरकार बांग्लादेश (Bangladesh), पाकिस्तान (Pakistan) और अफगानिस्तान (Afghanistan) से आए गैर-मुस्लिमों को भारतीय नागरिकता देना चाहती है. संशोधित नागरिकता अधिनियम 11 दिसंबर 2019 को संसद द्वारा पारित किया गया था और अगले दिन राष्ट्रपति की मंजूरी प्राप्त हुई थी. इसके बाद गृह मंत्रालय ने इसे अधिसूचित किया था. हालांकि, कानून अभी लागू होना बाकी है क्योंकि CAA के तहत नियम अभी बनाए जाने बाकी हैं.
क्या कहता है नियम
संसदीय कार्य संबंधी नियमावली के अनुसार, किसी भी कानून के लिए नियम राष्ट्रपति की सहमति के छह महीने के भीतर तैयार किए जाने चाहिए या फिर लोकसभा और राज्यसभा की अधीनस्थ विधान संबंधी समितियों से विस्तार का अनुरोध किया जाना चाहिए. क्योंकि गृह मंत्रालय CAA कानून बनने के छह महीने के भीतर नियम नहीं बना सका, इसलिए उसने समितियों से और समय मांगा. पहली बार जून 2020 में समय मांगा था और फिर और चार बार समय मांगा गया. पांचवां विस्तार सोमवार को समाप्त हो गया.
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘हमने और समय के अनुरोध के लिए संसदीय समितियों से संपर्क किया है. उम्मीद है कि हमें सेवा विस्तार मिल जाएगा.’’ केंद्र सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि CAA के पात्र लाभार्थियों को भारतीय नागरिकता कानून के तहत नियम अधिसूचित होने के बाद ही दी जाएगी.
CAA का उद्देश्य पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के हिंदुओं, सिखों, जैनियों, बौद्धों, पारसियों और ईसाइयों जैसे प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है. इन समुदायों के जो लोग 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आए थे, जो वहां धार्मिक उत्पीड़न का सामना कर रहे थे, उन्हें अवैध प्रवासी नहीं माना जाएगा और उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी. संसद द्वारा CAA पारित होने के बाद, देश के विभिन्न हिस्सों में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए थे जिसमें पुलिस गोलीबारी और संबंधित हिंसा में लगभग 100 व्यक्तियों की मौत हो गई थी.
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