नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून पर चल रहे विवाद के बीच पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नसीहत दी है की सरकारों को सबको साथ लेकर चलना चाहिए. पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी अपनी विद्वता और बेबाक विचारों के लिए जाने जाते हैं. देश में इस वक्त नागरिकता संशोधन कानून को लेकर बवाल मचा है.


बवाल के बीच प्रणब मुखर्जी ने एक नसीहत देते हुए कहा कि बहुमत और बहुमतवाद या बहुसंख्यकवाद में अंतर होना चाहिए. सरकारों को उनकी भी सुननी चाहिए जिन्होंने उनको वोट नहीं दिया है.


प्रणब मुखर्जी, इंडिया फाउंडेशन नाम के संगठन के तरफ से आयोजित द्वितीय अटल बिहारी वाजपेयी लेक्चर को संबोधित कर रहे थे. प्रणब मुखर्जी ने 1952 से लेकर 2019 तक के सभी चुनावों का उदाहरण देते हुए कहा कि कभी भी किसी पार्टी को 50 फ़ीसदी से ज्यादा वोट नहीं मिला है. पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि लोकतंत्र की मजबूती के लिए संसद का मजबूत होना जरूरी है.


संसद का मजबूत होना ज़रूरी


चूंकि समारोह में चर्चा का मुख्य विषय भारत में लोकतंत्र और उसकी चुनौतियों से जुड़ा था लिहाज़ा प्रणब मुखर्जी से अच्छा वक्ता और कौन हो सकता था. प्रणब 42 सालों तक सीधे तौर पर सांसद के तौर पर संसद से जुड़े रहे थे. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की मजबूती के लिए संसद का मजबूत होना जरूरी है और संसद में व्यवधान की कोई जगह नहीं है.


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