नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून (CAA) देश भर में सबसे अधिक चर्चा में है. एक तरफ जनता सड़कों पर है और पक्ष-विपक्ष में भारी तकरार देखने को मिल रहा है. इस बीच देश की शीर्ष अदालत में CAA को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई होगी. नागरिकता संशोधन कानून को चुनौती देने और समर्थन करने वाली कुल 144 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट कल सुबह 11 बजे सुनवाई करेगी. याचिकाओं पर CJI एस ए बोबड़े, जस्टिस अब्दुल नज़ीर और संजीव खन्ना की बेंच सुनवाई करेगी.
दिसंबर में जब मामला सुनवाई के लिए लगा था तब 60 याचिकाएं थीं और कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी किया था, लेकिन कानून पर रोक नहीं लगाई थी. ज्यादातर याचिका में CAA को असंवैधानिक बताते हुए इसपर रोक लगाने की मांग की गई है.
मुख्य याचिकाकर्ता-
CAA के खिलाफ केरल सरकार, कांग्रेस नेता जयराम रमेश, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा, AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी, आरजेडी नेता मनोज झा, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग और जमीयत उलेमा ए हिंद समेत लगभग 144 याचिकाएं दाखिल की गई हैं. याचिकाओं में धर्म के आधार पर शरणार्थियों को नागरिकता देने वाले कानून को संविधान के खिलाफ बताया गया है.
ज्यादातर याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह कानून भारत के पड़ोसी देशों से हिंदू, बौद्ध, ईसाई, पारसी, सिख और जैन समुदाय के सताए हुए लोगों को नागरिकता देने की बात करता है. लेकिन इसमें जानबूझकर मुसलमानों को शामिल नहीं किया गया है. इस तरह का भेदभाव करने की भारत का संविधान इजाजत नहीं देता. इन याचिकाओं में यह मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट तुरंत इस कानून के अमल पर रोक लगा दे. कुछ याचिकाएं CAA के पक्ष में भी दायर की गई हैं.
सीएए के खिलाफ विपक्षी पार्टियां और लोग देशभर के कई हिस्सों में लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. इन्हीं में से एक है दिल्ली का शाहीन बाग. जहां 15 दिसंबर से महिलाएं सड़क पर बैठीं हैं और कानून को वापस लेने की मांग कर रही हैं. इसी तर्ज पर देश भर के कई हिस्सों में प्रदर्शन हो रहे हैं.
सत्तारूढ़ दल बीजेपी नागरिकता संशोधन कानून के पक्ष में कैंपेन चला रही है. इसी सिलसिले में आज केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लखनऊ पहुंचे और उन्होंने साफ कर दिया कि किसी भी हालत में सीएए को वापस नहीं लिया जाएगा.
जिसे विरोध करना हो करे मगर सीएए वापस नहीं होने वाला- अमित शाह
केंद्र और राज्यों में ठनी
दरअसल, सीएए को लेकर केंद्र और गैर बीजेपी शासित राज्यों में भी ठनी है. केरल और पंजाब सरकार ने तो इस कानून के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव तक पारित कर दिया है. वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 27 जनवरी को विधानसभा में प्रस्ताव लाएंगी.
राजस्थान के मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने भी कहा है कि हम जल्द ही विधानसभा में CAA के खिलाफ प्रस्ताव लाएंगे. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 12 दिसंबर को नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 को मंजूरी दी थी जिससे यह कानून बन गया था.